संत पापाः सुसमाचार, आनंदमय हृदय से येसु की घोषणा है

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में सुसमाचार की घोषणा को “एक बृहृद खुशी” की संज्ञा दी जहाँ हम अपने जीवन के द्वारा आनंद में ख्रीस्त को घोषित करते हैं।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधावरीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस के प्राँगण में एकत्रित सभी विश्वासियों औऱ तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

सुसमाचार की घोषणा के बहुत से साक्ष्यों से मिलन उपरांत, मैं प्रेरितिक उत्साह के इस विषय पर अपनी धर्मशिक्षा माला को चार बिन्दुओं के आधार पर संक्षेपित करना चाहता हूँ, जो प्रेरितिक उद्बोधन एभेंजेल्ली गौदियुम से प्रेरित हैं जिसकी दसवीं वर्षगाँठ हम इस महीने मनाते हैं। प्रथम बिन्दु जिसकी चर्चा आज हम करेंगे और कुछ नहीं बल्कि खुशी है जिसमें हम सुसमाचार की घोषणा के सार को पाते हैं। ख्रीस्तीय संदेश “एक बृहृद खुशी” की घोषणा है जिसे हम स्वर्गदूतों के द्वारा चरवाहों के लिए घोषित होता पाते हैं। इस खुशी का कारण क्या हैॽ एक सुसमाचार, एक आश्चर्य, एक सुन्दर घटनाॽ यह उससे भी बढ़कर है जो हमारे लिए येसु ख्रीस्त हैं, यह वे ईश्वर हैं जो मनुष्य बन कर हमारे बीच आये। अतः प्रिय भाइयो एवं बहनो, हमारे लिए सवाल यह है कि हमें उन्हें कैसे घोषित करते हैं। हम या तो उन्हें खुशी में घोषित करते या तो नहीं करते हैं।

उदास, असंतोष और नाराजगी ख्रीस्तीयता की निशानी नहीं

संत पापा ने कहा कि यही कारण है कि एक ख्रीस्तीय जो अपने में उदास, असंतोष से ग्रस्ति है,या उससे भी खराब एक ख्रीस्तीय जो अपने में नाराज या द्वेषपूर्ण है तो वह विश्वासनीय नहीं है। वह येसु के बारे में बातें करेगा लेकिन कोई उसकी बातों पर विश्वास नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि किसी ने एक बार ऐसे ख्रीस्तीयों की चर्चा करते हुए कहा कि लेकिन वे “मलिन चेहरे” वाले ख्रीस्तीय हैं, अर्थ उनके चेहर में खुशी के कोई भाव नहीं हैं। यह हमारे लिए जरुरी है कि हम अपनी मनोभावनाओं का ध्यान रखें। सुसमाचार की घोषणा अपनी निःशुल्कता में आती है क्योंकि यह पूर्ण से उत्पन्न होती है, न की दबाव से। और जब आप सुसमाचार का प्रचार एक आदर्श के आधार पर करते हैं तो यह सार्थक नहीं होता है, यह सुसमाचार का प्रचार नहीं है। सुसमाचार कोई आदर्श नहीं यह एक घोषणा है, खुशी की घोषणा। आदर्शें अपने में ठंढ़े हैं सारे के सारे, वहीं सुसमाचार में हम खुशी की गर्मी को पाते हैं। आदर्श को मुस्कुराना नहीं आता है, जबकि सुसमाचार में एक मुस्कान है, यह हमें मुस्कुराने में मदद करता है क्योंकि यह हमारी आत्मा का स्पर्श करता है।

येसु का जन्म सुसमाचार का सार

संत पापा ने कहा कि येसु का जन्म, इतिहास में, साथ ही जीवन में खुशी का स्रोत है। हम एम्माऊस की राह में शिष्यों के बारे में विचार करें जो अपनी खुशी के कारण विश्वास करने में असमर्थ थे, उसी भांति दूसरे, उसके बाद शिष्यों का पूरा समुदाय, जब येसु अंतिम व्यारी की कोठरी में उनके संग मिलते हैं, तो खुशी के कारण उन्हें विश्वास नहीं होता है। वे येसु के पुनरूत्थान की खुशी को अनुभव करते हैं। येसु से मिलन हमारे लिए सदैव खुशी लेकर आती है, और यदि हमारे साथ ऐसा नहीं होता, तो यह येसु से एक सच्चा मिलना नहीं है।

येसु अपने शिष्यों के संग जो करते हैं, हमारे लिए यही घोषित करता है कि सबसे पहले शिष्यों के बीच सुसमाचार का प्रचार होने की जरुरत है, हम ख्रीस्तीयों को सबसे पहले सुसमाचार की घोषणा से पोषित होना है। यह हमारे लिए बहुत जरूरी है।

वर्तमान की भागदौड़ और भ्रमित करने वाले वातावरण में, हम भी वास्तव में, अपने विश्वास को सूक्ष्म रुप में कमजोर होता पाते हैं, हम अपने को इस बात से विश्वस्त पाते हैं कि सुसमाचार अब नहीं सुना जाता है और अब सुसमाचार प्रचार करने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। हम अपने को इस प्रलोभन का शिकार होता भी पा सकते हैं जहाँ हम “दूसरों” को उनकी राहों में चलने के लिए छोड़ देते हैं। लेकिन वास्तव में, यही वह समय है जहाँ हम सुसमाचार की ओर अभिमुख होने और येसु ख्रीस्त को खोजने हेतु बुलाये जाते हैं जो अपने में “युवा बने रहते और सदैव हमारे लिए नवीनता के एक स्रोत हैं।”

लोग सुसमाचार की राह देखते हैं

संत पापा ने कहा कि इस भांति, एम्माऊस के उन शिष्यों की तरह जिन्हें मूल्यवान निधि मिली हम अपने दैनिक जीवन में उत्साह के साथ लौटते हैं। वे दोनों शिष्य अपने में आपार खुशी का अनुभव करते हैं क्योंकि उन्होंने येसु को पाया, जो उनके जीवन में परिवर्तन लाते हैं। हम मानवता में अपने भाई-बहनों को पाते जो आशा के एक शब्द की प्रतीक्षा कर रहे होते हैं। आज भी सुसमाचार की राह देखी जाती है, दुनिया के लोग इसकी चाह रखते हैं, यहाँ तक की अविश्वासी विकसित कार्यक्रम और दुनियादारी की संस्थाएँ भी विशेष कर वे समाज जो धार्मिक अर्थ के स्थानों को वीरान छोड़ देते हैं, वे भी येसु की खोज करते हैं। यह येसु को घोषित करने हेतु हमारे लिए एक उचित समय है। अतः मैं पुनः हर एक से यह कहना चाहूँगा,“सुसमाचार की खुशी हर किसी के हदय और जीवन को भर देती है जो येसु से मिलते हैं। वे जो उनके मुक्ति उपहार को स्वीकार करते वे अपने पाप, दुःख, आंतरिक खालीपन और अकेलेपन से मुक्त होते हैं। येसु ख्रीस्त में हम खुशी को निरंतर नवीन होता पाते हैं...हम इस बात को कभी न भूलें। संत पापा ने कहा कि यदि हममें से कोई इस खुशी को अपने में अनुभव नहीं करता तो हम स्वयं से पूछें क्या हमने येसु को पाया है। क्या हमने आंतरिक खुशी का अनुभव किया है। सुसमाचार हमेशा खुशी के मार्ग का अनुसरण करती है, यह एक बृहद घोषणा है। मैं हर ख्रीस्तीय का आहृवान करता हूँ चाहे वह जहाँ कहीं भी हो, वह आज येसु के संग अपने व्यक्तिगत मिलन को नवीकृत करे। हममें से प्रत्येक जन थोड़ा समय लेकर इस बात पर विचार करे, “येसु, क्या आप मेरे अंदर हैं, मैं आप से रोजदिन मिलना चाहता हूँ। आप एक व्यक्ति हैं, विचार नहीं, आप हमारी यात्रा में एक मित्र हैं, एक कार्यक्रम नहीं। आप प्रेम हैं जो बहुत सारे मुसीबतों को हल करते हैं। आप सुसमाचार की घोषणा की शुरूआत हैं, येसु, आप खुशी के स्रोत हैं।” आमेन।  

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15 November 2023, 12:22