पोप : कला ईश्वर और मानवता के बीच मेल को दर्शाती है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन ने बुधवार को "स्मारकों की सुरक्षा और परमधर्मपीठ की वास्तु-विरासत की सुरक्षा के लिए आयोग: गतिविधि के 100 वर्ष (1923-2023)" शीर्षक से एक सम्मेलन की मेजबानी की।
पोप फ्राँसिस ने आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर फ्रांसेस्को बुरानेली को संबोधित एक संदेश में अध्ययन दिवस में भाग लेनेवालों को अपनी शुभकामनाएँ दीं।
सांस्कृतिक संरक्षण में कलीसिया का योगदान
अपने संदेश में, पोप ने परमधर्मपीठ और वाटिकन सिटी राज्य की ऐतिहासिक और कलात्मक विरासत की देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि मानवता की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और सुरक्षित करने की व्यापक इच्छा मूल रूप से इटली के प्राचीन राज्यों, विशेष रूप से परमधर्मपीठीय राज्य से उत्पन्न हुई थी।
15वीं शताब्दी में, पोप ने रोम की पुरातात्विक खुदाई से पूरे यूरोप में रईसों, विद्वानों और संप्रभुओं के निजी संग्रह में पुरावशेषों के प्रवाह को रोकने के उद्देश्य से आदेश जारी किए थे।
पोप फ्राँसिस ने याद किया कि 17वीं और 18वीं सदी के कई संत पापाओं ने "बड़ी संख्या में कला के कार्यों की बिक्री की प्रतिक्रिया के रूप में और नेपोलियन युग की दर्दनाक लूट की मरम्मत के लिए" फरमान जारी किए थे।
इन शिलालेखों और पोप चिरोग्राफ ने कानूनी सिद्धांतों को विकसित करने में मदद की जिन्हें आधुनिक संसदों द्वारा अपनाया गया।
"इनमें से," उन्होंने कहा, "सांस्कृतिक विरासत की सार्वजनिक उपयोगिता की अवधारणा - रोमन कानून की एक अवधारणा से सामने आती है - जिसके अनुसार न केवल सार्वजनिक बल्कि निजी संपत्ति भी आमहित की जरूरतों के अंतर्गत है।”
पोप ने कहा कि आधुनिक राज्यों ने अपनी सुरक्षा और सभी के आनंद के लिए कला और वास्तुकला विरासत के कार्यों को विनियमित करने और सूचीबद्ध करने का अधिकार ग्रहण कर लिया है।
आस्था की उद्घोषणा की अभिव्यक्ति के रूप में कला
पोप ने याद दिलाया कि परमधर्मपीठ ने अपनी सांस्कृतिक संपत्तियों की सुरक्षा के लिए 2001 में एक कानून अपनाया था।
उन्होंने कहा कि विनियमन को जल्द ही "बदली हुई ऐतिहासिक और सामाजिक परिस्थितियों के साथ-साथ आंतरिक कानून और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों दोनों के विकास के साथ प्रभावी ढंग से मेल करने हेतु अद्यतन किया जाएगा।"
पोप बेनेडिक्ट सोलहवें का हवाला देते हुए, पोप फ्रांसिस ने कहा कि कलीसिया ने "अपनी भाषा को मानव और आध्यात्मिक प्रगति के लिए एक विशेषाधिकार प्राप्त माध्यम मानते हुए, हमेशा कला की दुनिया का समर्थन और प्रचार किया है।"
उन्होंने आगे कहा, कला दुनिया में "प्रभु के मार्ग" का एक मूर्त संकेत है, यानी, "कलीसिया के जीवन में उसकी धर्मविधिक कार्य और विश्वास की घोषणा में, विभिन्न आध्यात्मिक अभिव्यक्तियों में और और परोपकार के अभ्यास में।”
अंत में, पोप फ्राँसिस ने स्मारकों की सुरक्षा और वाटिकन की वास्तुकला विरासत की सुरक्षा के लिए स्थायी आयोग के सदस्यों को उनके कामों के लिए धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, "मैं कला की सुंदरता को दिखाने की जिम्मेदार और पेशेवर निरंतरता के लिए अपनी शुभकामनाएँ व्यक्त करता हूँ, जो मनुष्य और ईश्वर के बीच सामंजस्यपूर्ण संवाद का प्रतिबिंब है।"
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