संत पापाः सुसमचार सभों के लिए है
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन, संत पेत्रुस महागिरजाघऱ के प्रागंण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।
हमने अपने विगत आमदर्शन में ख्रीस्तीय घोषणा को खुशी की संज्ञा दी। आज हम इसके दूसरे पहलू की चर्चा करते हैं जो सभों के लिए है। ख्रीस्तीय घोषणा खुशी की उद्घोषणा है जो सभों के लिए है। येसु ख्रीस्त से सही अर्थ में मिलन का आश्चर्य हमारे पूरे जीवन में व्याप्त रहता है और यह हमें इसे अपने से परे दूसरों के लिए ले जाने की मांग करता है। ईश्वर इसकी चाह रखते हैं कि उनका सुसमाचार सभों को सुनाया जाये। वास्तव में, हम सुसमाचार घोषणा में “मानवीयकरण की शक्ति” अर्थात हर नर और नारी के लिए जीवन की परिपूर्णता को पाते हैं, क्योंकि येसु ख्रीस्त सभों के लिए जन्में, मरे और पुनः मृतकों में से जी उठे।
ख्रीस्तीय बहिर्मुखी
संत पापा ने कहा कि एभेनजेल्ली गौऊदियुम में हम पढ़ते हैं,“हर किसी को सुसमाचार प्राप्त करने का अधिकार है।” ख्रीस्तीयों को बिना किसी भेदभाव के सुसमाचार की घोषणा करनी है। उन्हें चाहिए कि वे नये कार्य को दूसरों में थोपने के बदले अपनी खुशी को साझा करें जो एक सुन्दर क्षितिज की ओर इंगित करती और दूसरों के लिए एक स्वादिष्ट भोज में सहभागी होने का निमंत्रण देती है। कलीसिया का विकास धर्मपरिवर्तन के द्वारा नहीं बल्कि आकर्षित करने के द्वारा होता है। उन्होंने कहा, “प्रिय भाइयो एवं बहनों, हम इस बात का अनुभव करें कि हम सुसमाचार कि वैश्विक सेवा हेतु बुलाये गये हैं। हम अपने में इस बात को स्पष्ट समझें कि हमें अपनी कमजोरियों से ऊपर उठने की शक्ति मिली है, हम अपने हर बुराई पर विजय हो सकते हैं। ख्रीस्तीयों का मिलन गिरजाघर के वस्त्रालय की अपेक्षा आहातों में अधिक होता है। वे गलियों और शहर के चौवराहों में मिलते हैं। उन्हें चाहिए की वे अपने में खुले और बहिर्मुखी हों। उनका यह व्यक्तित्व उनके लिए येसु से आता है जो अपने को दुनिया में प्रस्तुत करते हुए निरंतर एक यात्रा में आगे बढ़ते हैं। वे सभों के पास पहुंचना चाहते हैं यह तक कि वे अपने सभी मिलने वालों से सीखना चाहते हैं।
नारी का विश्वास, येसु का आश्चर्य
संत पापा ने कहा कि इस अर्थ में, सुसमाचार हमें कनानी नारी से येसु के आश्चर्यजनक मिलन की चर्चा करता है, जो अपनी बीमारी बेटी की चंगाई हेतु निवेदन करती है। येसु उसे इंकार करते हैं यह कहते हुए कि वे केवल इस्रराएल की खोई हुई भेड़ों के लिए भेजे गये हैं, “यह उचित नहीं की बच्चों की रोटी को पिल्लों के लिए फेंका जाये” (मत्ती.15.24,26)। लेकिन वह नारी अपने में दृढ़ बनी रहती और कहती है कि “स्वामी की मेज से गिरे हुए टुकड़ों को पिल्ले खाते ही हैं।” उसकी ये बातें सुन कर येसु को आश्चर्य होता है और वे कहते हैं, “नारी, तुम्हारा विश्वास महान है, तुम्हारी इच्छा पूरी हो” (28)। नारी से यह मिलन, अपने में एक अद्वितीय मिलन है। यहाँ कोई न केवल येसु के मन को बदलता, बल्कि ऐसा करने वाली एक परदेशी नारी है जो कि एक गैर-यहूदी होती है। येसु स्वयं इस बात को घोषित करते हैं कि उनका उपदेश केवल अपने लोगों तक ही सीमित न हो, लेकिन यह सभों के लिए खुला हो।
बुलावा विशेषाधिकार नहीं
संत पापा ने कहा कि धर्मग्रंथ बाईबल में हम यह पाते हैं कि ईश्वर के द्वारा किसी व्यक्ति का बुलावा उसे सभों के बीच जाने के लिए हो होता है। यह ईश्वर के कार्य करने का तरीका है, यह ईश्वर का बुलावा है। ईश्वर के सभी मित्रों ने सुन्दरता का अनुभव किया है वहीं वे अपने उत्तरदायित्व और अपने “चुने” जाने को भारी पाते हैं। वे अपनी कमजोरियों के कारण निराश होते हैं या अपनी निश्चितताओं को खोने का अनुभव करते हैं। लेकिन सबसे बड़ी परीक्षा यह होती है कि वे अपने बुलावे को एक विशेषाधिकार के रूप में देखते हैं। वे अपने में एक विशिष्टता का एहसास करते हैं। संत पापा ने कहा कि कृपा कर हम अपने में ऐसे मनोभाव धारण कभी न करें। हम यह नहीं कह सकते कि दूसरों की तुलना में हम विशेषाधिकार प्राप्त है, नहीं। हमारी बुलाहट एक सेवा के लिए है। ईश्वर के द्वारा किसी का चुनाव करना उसे सभों के लिए भेजा जाना होता है जिससे वह सभों को प्रेम करें, सभों के पास जाये।
बुलावा भेजा जाना है
इसके साथ ही ईश्वर ख्रीस्तीयता को एक संस्कृति, एक जातीयता, एक व्यवस्था के साथ पहचान पाये जाने के प्रलोभन से बचाये रखते हैं। ऐसा होने पर, यह अपनी वास्तविक ख्रीस्तीय प्रकृति को खो देता है। ईश्वर हमें सारी दुनिया के लिए चुनते हैं न की किसी एक खास समुदाय उच्च वर्ग के लिए। हम इस बात को न भूलें संत पापा ने कहा कि ईश्वर किसी को सभों को प्रेम करने के लिए चुनते हैं। यह वैश्विकता की क्षितिज है। सुसमाचार केवल मेरे लिए नहीं है, यह सभों के लिए है हम इसके याद करें।
इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने सबों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ किया और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
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