संत पापाः पवित्रता मानवीय बुलाहट है

संत पापा ने सब संतों के पर्व दिवस पर देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये अपने संदेश में मानवीय जीवन के बुलाहट- पवित्रता की ओर ध्यान आकर्षित कराया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने सब संतों के पर्व दिवस पर विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

उन्होंने संत पेत्रुस के प्रांगण में एकत्रित सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात और खुश पर्व। आज हम सब संतों का महोत्वस मनाते हैं। इस समारोह के प्रकाश में हम एक क्षण पवित्रता पर चिंता करें विशेषरुप से इसकी दो विशेषताओं पर- यह हमारे लिए एक उपहार है और वहीं यह एक मार्ग है।

पवित्रता एक उपहार

संत पापा ने पवित्रता को एक उपहार बतलाते हुए कहा कि हमने इसे ईश्वर की ओर से अपने बपतिस्मा में पाया है, यदि हम इसे अपने में विकसित करते तो यह हमारे पूरे जीवन को परिवर्तित कर सकता है। संतगण हमारी पहुँच से दूर नहीं हैं या वे सुदूर हमारे लिए नायकों की तरह नहीं रहते अपितु हमारी ही तरह, हमारे मित्र हैं जिसकी शुरूआत उन्हीं कृपाओं से होती है जो हमें भी प्राप्त हुई है। वास्तव में, यदि हम इसके बारे में विचार करें तो निश्चित रुप में कुछेक से हमारी मुलाकात हुई हैं। उन्होंने कहा कि कुछ उदार व्यक्ति, जो ख्रीस्तीय जीवन को गम्भीरता और सरलता में जीते हैं उन्हें मैं “हमारे द्वार के निकट संतों” की संज्ञा देता हूँ।

संत पापा ने कहा, “अतः पवित्रता एक उपहार है जो हमारे लिए दिया गया है जिससे हम आनंदमय जीवन व्यतीत कर सकें। इससे बढ़कर, जब हमें एक उपहार दिया जाता है, तो हमारी सबसे पहली प्रतिक्रिया क्या होती हैॽ हम विशेषरुप से अपने में खुश होते हैं, क्योंकि इसका अर्थ यही होता है कि कोई हमें प्रेम करता है।

उपहार में उत्तरदायित्व-कृतज्ञता के भाव

हमें हर उपहार को स्वीकार करने की जरुरत है, वहीं हर उपहार अपने में एक उत्तरदायित्व और कृतज्ञता के भाव को सम्माहित करता है जिससे वह अपने में व्यर्थ न हो। लेकिन हम कैसे कृतज्ञता के भाव को प्रकट करते हैंॽ यह हमारे लिए एक निमंत्रण है जिससे यह व्यर्थ में न जाये। सभी बपतिस्मा प्राप्त को एक ही निमंत्रण मिला है, यह “पवित्रता को धारण करते हुए उसे अपने सम्पूर्ण जीवन में पूरा करना है” (लुमेन जेनसियुम, 40)। इसी भांति यह हमें दूसरे बिन्दु की ओर ले चलता है कि पवित्रता एक यात्रा भी है, एक यात्रा जिसे हमें मिलकर एक साथ करने की आवश्यकता है। हमें अपने को उन अद्वितीय मित्रों के संग संयुक्त करते हुए जो संतगण हैं, एक-दूसरे की मदद करनी है।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि वे हमारे बड़े भाई-बहनें हैं, जिसके ऊपर हम सदैव विश्वस्त बने रह  सकते हैं- वे हमें मदद करते हैं, जब हम गलत मार्ग में चले जाते तो वे अपनी शांतिमय उपस्थिति से हमारी मदद करने में कभी नहीं चूकते हैं। वे हमारे निष्ठावान मित्रगण हैं, जिन पर हम भरोसा कर सकते हैं, क्योंकि वे हमारी भलाई चाहते हैं। हम उनके जीवन में एक उदाहरण को पाते हैं, उनकी प्रार्थना में हमें सहायता और मित्रता प्राप्त होती है, तथा उनके संग एकता में रहना हमें भ्रातृत्वमय प्रेम में पिरोये रखता है।

पवित्रता एक यात्रा

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि पवित्रता एक उपहार है, यह एक यात्रा है। अतः हम अपने आप से पूछ सकते हैं, क्या मैं पवित्र आत्मा से मिले उपहार की याद करता हूँ, जो मुझे पवित्रता में बने रहने हेतु बुलाते और वहाँ तक पहुंचने में मदद करते हैंॽ क्या मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँॽ क्या मैं यह अनुभव करता हूँ कि संतगण मेरे निकट रहते हैं, क्या मैं उनसे बातें करता और उनकी ओर आता हूँॽ क्या मैं उनमें से किसी के जीवन इतिहास से आवगत हूँॽ यह हमारे लिए अच्छा है कि हम उनके जीवन के बारे में जाने रऱ उनके उदाहरणों से अपने को प्रभावित होने दें। उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करना हमारे लिए बहुत ही लाभदायक होता है।  

मरियम, सभी संतों का रानी, हमें मिले उपहार के लिए खुशी का अनुभव करने में मदद करें और अनंत जीवन की ओर बढ़ने हेतु उत्सुकता जगायें।

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने पुनः विभिन्न देशों से आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन किया और गुद्ध ग्रस्त देशों यूक्रेन, इस्ररायल और फिलीस्तीन के लिए प्रार्थना करने का आग्रह करते हुए सभों से विदा ली। 

 

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01 November 2023, 15:13