सन्त पापा ने की बेघरों के लिए लॉन्ड्री की व्यवस्था
वाटिकन सिटी
इटली, शुक्रवार, 3 नवम्बर 2023 (रेई, वाटिकन न्यूज़): इटली के ट्यूरिन शहर में निर्धनों एवं बेघर लोगों की व्यथाओं के प्रति उत्कंठित सन्त पापा फ्राँसिस की पहल पर बेघर और आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिये गुरुवार दो नवम्बर को स्नानागारों एवं वॉशिग मशीनों की व्यवस्था शुरु कर दी गई है।
इस व्यवस्था के उदघाटन पर कहा गया कि साफ़-सफ़ाई और स्वच्छता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए इन स्नानागारों एवं वॉशिंग मशीनों का लक्ष्य सर्वप्रथम लोगों को मानव प्रतिष्ठा और पूर्ण गरिमा प्रदान करना है। एक व्यवस्था ट्यूरिन की सान जोर्जो पल्ली में स्थापित की गई है जबकि दूसरी शहर के केन्द्र ला सोस्ता में की गई है।
रचनात्मक एकजुटता
02 नवम्बर को इन व्यवस्थाओं का उदघाटन सन्त पापा फ्राँसिस के दूत एवं परमधर्मपीठीय दानकर्त्ता कार्यालय के अध्यक्ष कार्डिनल कॉनराड क्रायेस्की द्वारा पवित्र ख्रीस्तयाग से किया गया जिसमें लगभग 200 बेघर लोगों सहित कई लोगों ने भाग लिया।
सन्त पापा फ्रांसिस के परमधर्मपीठीय दानकर्त्ता कार्यालय के साथ-साथ कई उद्योगों जैसे प्रोटेक्टर एण्ड गैम्बल तथा हायर यूरोप एवं सन्त इजिदियो लोकधर्मी काथलिक उदारता संगठन ने इस पहल को समर्थन दिया है। कार्डिनल क्रायेस्की ने बताया कि स्वच्छता क्षेत्र की कई अग्रणी कंपनियां ऐसे उत्पाद उपलब्ध कराएंगी, जो गरीबों और बेघरों को स्नान करने के साथ-साथ कपड़े और कंबल धोने और सुखाने में सक्षम बनाएंगी।
निर्धनों एवं बेघर लोगों के प्रति सन्त पापा फ्राँसिस की उत्कंठा के फलस्वरूप 2015 में वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के स्तम्भों के बीच एक नाई की दूकान तथा स्नान करने की व्यवस्थाएँ खोली गई थीं, फिर 2017 में रोम में तथा 2019 में जोनोआ शहर में कपड़े धोने की मशीनें लगाई गई थीं।
"दया की कल्पना"
एक बयान में कहा गया है कि उक्त परियोजना, 2016 के "मिज़ेरिकोर्दिया एत मिज़ेरा" में शामिल निमंत्रण का प्रत्युत्तर देती है, जो अन्य बातों के अलावा "दया की कल्पना" की बात करती है, जो "कई नए कार्यों को जीवन देने, कृपा का फल" देने में सक्षम है।
कार्डिनल क्रायेस्की ने कहा, "जब हम सर्वाधिक ग़रीब और सबसे कमज़ोर लोगों की मदद करते हैं तो हम वास्तव में ख्रीस्त के अनुयायी कहलाते हैं, क्योंकि हम सुसमाचार के साधन बनते हैं", उन्होंने कहा, "यह पहल मेरे लिए खुशी का स्रोत है, क्योंकि यह घायल मानवता के क़रीब होने का एक और अवसर है। ईश्वर की उपस्थिति और निकटता को कम से कम प्रकट करने का एक तरीका है"।
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