युद्ध को बढ़ने से रोकने के लिए पोप को 'मानवीय प्रज्ञा' पर भरोसा है
वाटिकन न्यूज
पोप फ्राँसिस के लिए, इजराइल और फिलिस्तीन में छिड़े युद्ध का वैश्विक स्तर पर बढ़ना "एक संभावना" है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि "मानवीय प्रज्ञा" पर भरोसा करने से ऐसा नहीं होगा। पोप की टिप्पणी इतालवी समाचार कार्यक्रम टीजी1 के निदेशक जानमार्को कियोची के साथ एक लंबे साक्षात्कार के दौरान आई, जिसे बुधवार को इटली के सार्वजनिक प्रसारक राययूनो पर प्रसारित किया गया।
इस्राएल और गजा
मध्यपूर्व की स्थिति पर गौर करते हुए पोप फ्राँसिस ने पुनः एक बार दोहरायी कि “हर युद्ध एक हार है। युद्ध से कुछ भी हल नहीं होता, कुछ भी नहीं। सब कुछ शांति से, वार्ता से हल हो सकता है।” उन्होंने कहा, “वे किबुत्ज़िम में घुसे, (लोगों को) बंधक बना लिया। कुछ लोगों को मारा। और उसके बाद प्रतिक्रिया शुरू हुई। इस्राएली उन बंधकों की खोज कर रहे हैं, उन्हें बचाने के लिए। युद्ध में, एक थप्पड़ दूसरे को भड़काता है। पहला मजबूत है और दूसरा उससे भी मजबूत, इसलिए यह चल रहा है। युद्ध एक पराजय है। मैं और एक पराजय को महसूस करता हूँ। दो व्यक्ति जिन्हें एक साथ रहना चाहिए था, उस विवेकपूर्ण समाधान के साथ: दो प्रजा, दो राज्यों। ओस्लो समझौता: दो स्पष्ट रूप से चित्रित राज्य और येरूसालेम की विशेष स्थिति के साथ।”
शांति के लिए पिछले सप्ताह की प्रार्थना की याद करते हुए संत पापा ने कहा कि विश्व एक “बहुत ही अंधकारमय घड़ी” से गुजर रहा है। उन्होंने आगे कहा, “किसी को स्पष्ट रूप से चिंतन करने की क्षमता नहीं मिल रही है और सबसे बुरे समय में मैं जोड़ूंगा: यह एक और हार है। पिछले विश्व युद्ध के बाद से, 1945 से लेकर अब तक, ऐसा ही हो रहा है, एक के बाद एक हार, क्योंकि युद्ध रुके ही नहीं हैं। लेकिन सबसे गंभीर समस्या अब भी हथियार उद्योग ही है। निवेश को समझनेवाले एक व्यक्ति, जिनसे मैं एक बैठक में मिला था, मुझे बताया कि आज जो निवेश सबसे अधिक आय उत्पन्न करते हैं वे हैं हथियार कारखाने।
पोप ने बतलाया कि वे गाजा में रहनेवाले धर्मसमाजियों के माध्यम से वहाँ के लोगों से रोज टेलीफोन पर बात कर रहे हैं। "मैं मिस्री सहायक पल्ली पुरोहित, फादर यूसुफ को हर दिन फोन करता हूँ और उन्होंने मुझे बतलाया है कि 'पल्ली में 563 लोग हैं, कुछ ख्रीस्तीय और कुछ मुस्लिम। बीमार बच्चों की सेवा मदर तेरेसा की धर्मबहनें कर रही हैं। इस छोटी पल्ली में 563 लोग रह रहे हैं! मैं हर दिन उन्हें साथ रहने की कोशिश करता हूँ। इस समय, ईश्वर को धन्यवाद कि इस्राएली सेना पल्ली का सम्मान कर रही है।
युद्ध और यहूदी विरोधी भावना
पोप ने कहा, “मैं याद करता हूँ कि परमाध्यक्षीय काल की शुरुआत में एक बहुत ही कठिन क्षण था जब सीरिया में भयंकर युद्ध छिड़ गया था, और मैंने प्राँगण में प्रार्थना का आयोजन किया था, जहाँ ख्रीस्तीय और मुस्लिम भी शामिल हुए थे, जो प्रार्थना करने के लिए अपनी दरी लेकर आए थे। वह बहुत कठिन समय था। मेरे लिए, यह एक बुरी बात है, लेकिन फिर भी, यह कहना अच्छा नहीं है, कि आपको इसकी आदत हो गई है। दुर्भाग्य से, आपको इसकी आदत हो जाती है। पर हमें इसकी आदत नहीं डालनी चाहिए।”
संभावित वैश्विक युद्ध गहराने के बारे में पोप ने कहा, “कई चीजों और कई जिंदगियों का अंत हो सकता है। मुझे लगता है कि मानवीय विवेक इन चीजों को रोक देगी। जी हाँ, संभावना है लेकिन... और यह युद्ध हमें प्रभावित करता है क्योंकि इजराइल, फिलिस्तीन, पवित्र भूमि, येरूसालेम हमारे लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन [यूक्रेन में युद्ध] भी हमें प्रभावित करता है क्योंकि यह हमारे निकट है। इनके अलावे कई अन्य युद्ध भी हैं जिनका हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता: किवु; यमन; शहीद हुए रोहिंग्याओं के साथ म्यांमार। दुनियाभर में युद्ध चल रहे हैं, लेकिन हथियार उद्योग इसके पीछे है।”
पोप फ्राँसिस ने यहूदी-विरोध मुद्दे पर भी बात की, जो "दुर्भाग्य से छिपा हुआ है।" उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए, आप इसे यहाँ-वहाँ कुछ करते हुए युवाओं में देख सकते हैं। यह सच है कि यह मामला बहुत गंभीर है लेकिन इसमें हमेशा कुछ न कुछ यहूदी विरोधी बात होती है; और यह हमेशा द्वितीय विश्व युद्ध में हुए नरसंहार को देखने के लिए पर्याप्त नहीं है, जिसमें छह लाख लोग मारे गए, गुलाम बनाए गए, और यह नहीं गया है। दुर्भाग्य से, यह समाप्त नहीं हुआ है, मुझे नहीं पता कि इसे कैसे समझाऊँ और मेरे पास कोई स्पष्टीकरण नहीं है, यह सच है कि मैं इसे देखता हूँ और मुझे यह पसंद नहीं है।
यूक्रेन में संघर्ष
जब पोप फ्राँसिस से वाटिकन की शांति पहल पर यूक्रेनी प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया: "मैं यूक्रेनी लोगों के बारे में सोचता हूँ, हमें आज उनके बारे में आलोचना नहीं करनी चाहिए। यूक्रेनी लोग शहीद लोग हैं, स्टालिन के समय में बहुत गंभीर उत्पीड़न हुए थे। वे शहीद लोग हैं। मैंने इसके बारे में और खतरनाक शहादत के बारे में एक पुस्तक पढ़ी, यह भयानक थी... वे ऐसे लोग थे जिन्होंने बहुत कष्ट सहा और अब कुछ भी उन्हें फिर याद दिला देती है। मैं उन्हें समझता हूँ और मैंने राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का स्वागत किया, मैं समझता हूँ, कि उन्हें शांति की जरूरत है। रुकिये! थोड़ा रुकिये और शांति समझौते की तलाश कीजिए, समझौता ही इसका असली समाधान हैं। दोनों के लिए।"
पोप ने याद करते हुए कहा, "यूक्रेन में युद्ध के दूसरे दिन मैं रूसी दूतावास गया, मुझे लगा कि मुझे वहाँ जाना होगा, और मैंने कहा कि अगर कोई फायदा हो तो मैं पुतिन के पास जाने को तैयार हूँ।" और उसी समय से मेरी रूसी दूतावास के साथ अच्छी बातचीत हुई। जब मैंने कुछ कैदियों को पेश किया, तो मैं वहाँ गया और उन्होंने उन्हें मुक्त कर दिया, उन्होंने कुछ को आज़ोव से भी मुक्त कर दिया। संक्षेप में, दूतावास ने उन लोगों को मुक्त कराने में बहुत अच्छा काम किया जिन्हें मुक्त कराया जा सकता था। लेकिन बातचीत वहीं रुक गई। जब लावरोव ने मुझे लिखा: 'यदि आप आना चाहते हैं तो इसके लिए धन्यवाद, लेकिन यह आवश्यक नहीं है।' मैं दोनों जगहों पर जाना चाहता था।
कलीसिया में महिलाएँ
“यहाँ वाटिकन में, कार्यस्थल पर अधिक महिलाएँ हैं। उदाहरण के लिए, वाटिकन राज्य की उप-राज्यपाल एक महिला, एक धर्मबहन हैं, और गवर्नर की भूमिका अधिक व्यापक होती है, लेकिन वे प्रभारी हैं। अर्थव्यवस्था परिषद में छह कार्डिनल और छह लोकधर्मी हैं; इन छह लोकधर्मियों में से पांच महिलाएँ हैं। फिर समर्पित जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग की सचिव एक महिला हैं; समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग की सचिव भी एक महिला हैं, बिशप चुनने के लिए गठित आयोग में तीन महिलाएँ हैं, क्योंकि महिलाएँ उन चीजों को समझती हैं जिन्हें हम नहीं समझते, स्थिति को समझने के लिए महिलाओं में विशेष प्रवृत्ति होती है, और इसकी आवश्यकता है। मेरा मानना है कि उन्हें कलीसिया के सामान्य कार्य में शामिल किया जाना चाहिए।”
महिलाओं के पुरोहिताभिषेक के संबंध में, पोप फ्राँसिस ने कहा, “उसमें एक ईशशास्त्रीय समस्या है, प्रशासनिक समस्या नहीं। कलीसिया में महिलाएँ कुछ भी कर सकती हैं; आपके पास एक राज्यपाल भी हो सकती है, कोई समस्या नहीं है। लेकिन ईशशास्त्रीय, प्रेरितिक दृष्टिकोण से वे अलग हैं : पेट्रिन (संत पेत्रुस की शिक्षा और लेख) सिद्धांत, जो अधिकार क्षेत्र का है; और मरियम सिद्धांत जो अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि कलीसिया नारी है, कलीसिया एक दुल्हिन है, पुरूष नहीं बल्कि वह नारी है – इसको समझने के लिए ईशशास्त्र की जरूरत है - और महिला कलीसिया और कलीसिया में महिलाओं की शक्ति पुरुष पुरोहितों की तुलना में अधिक मजबूत और महत्वपूर्ण है। कुँवारी मरियम, पेत्रुस से अधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि कलीसिया महिला है। लेकिन अगर हम इसे कार्यात्मकता रूप तक सीमित करना चाहते हैं, तो हम हार जाते हैं।
सिनॉड और ब्रह्मचर्य
पोप फ्राँसिस के लिए, सिनॉडालिटी (एक साथ चलने) पर धर्माध्यक्षीय धर्मसभा का परिणाम "सकारात्मक" रहा। उन्होंने कहा, ''हमने पूरी आजादी के साथ हर चीज पर बात की और यह एक खूबसूरत चीज है।'' और एक अंतिम दस्तावेज बनाना संभव हुआ, जिसका अक्टूबर में अगले सत्र के लिए अध्ययन किया जाना चाहिए: परिवार की तरह, यह भी दो चरणों में एक धर्मसभा है। मेरा मानना है कि हम धर्मसभा के उस अभ्यास पर सटीक रूप से पहुंचे हैं जो संत पॉल छटवें, महासभा के अंत में चाहते थे क्योंकि उन्हें एहसास हुआ था कि पश्चिमी कलीसिया ने उस धर्मसभा के आयाम को खो दिया है जिसे दूसरी ओर पूर्वी कलीसिया ने बरकरार रखा है। ”
समलैंगिक जोड़े के संबंध में संत पापा ने कहा, “जब मैं कहता हूँ 'हर कोई, हर कोई, हर कोई', तो यह पूरी प्रजा है। कलीसिया लोगों का स्वागत करती है, हर किसी का, और यह नहीं पूछती कि आप कैसे हैं। फिर, भीतर, हर कोई अपने ख्रीस्तीय संबंध में बढ़ता और परिपक्व होता है। यह सच है कि आज इस बारे में बात करना थोड़ा फैशनेबल हो गया है। कलीसिया सभी का स्वागत करती है। यह दूसरी बात है जब कुछ संगठन हैं जो प्रवेश करना चाहते हों। सिद्धांत यह है: कलीसिया उन सभी को स्वीकार करती है जिन्हें बपतिस्मा दिया जा सकता है। संगठनों को बपतिस्मा नहीं दिया जा सकता। जी हाँ, लोगों को दिया जा सकता है।”
कलीसिया के भीतर और बाहर दुराचार
साक्षात्कार में पोप फ्राँसिस ने बताया कि वे पोप बेनेडिक्ट 16वें के काम को जारी रख रहे हैं। “बहुत सारी 'सफाई' की गई। उन्होंने दुर्व्यवहार के सभी मामलों पर चिंता व्यक्त की और बतलाया कि रोमी परमाध्यक्षीय कार्यालय (कूरिया) से भी कुछ लोगों को भेज दिया गया है। पोप रत्ज़िंगर इसमें साहसी थे। उन्होंने उस समस्या को अपने हाथ में लिया और कई कदम उठाए और फिर उसे खत्म करने के लिए सौंप दिया। यह जारी है। दुर्व्यवहार, चाहे अंतरात्मा का हो, यौन शोषण, या कुछ और, बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। यह सुसमाचार के विपरीत है; सुसमाचार सेवा है, दुरुपयोग नहीं और हम ऐसे कई धर्माध्यक्षों को देखते हैं जिन्होंने यौन शोषण के साथ-साथ अन्य [दुर्व्यवहार के प्रकारों] का अध्ययन करने के लिए अच्छा काम किया है।"
सबसे कठिन क्षण
पोप से पूछे जाने पर कि उनके परमाध्यक्षीय काल में सबसे कठिन क्षण क्या रहा, उन्होंने जवाब देते हुए कहा, "शायद यह कठिन और कठोर था जब मुझे सीरियाई युद्ध का विरोध करना था... मुझे नहीं पता था कि क्या करना है, यह बहुत कठिन था। मुझे इस तरह की किसी चीज की आदत नहीं थी, और गलतियाँ करने और नुकसान पहुँचाने का डर भी था। यह मुश्किल रहा है। कुछ आसान या कम आसान क्षण भी आये। लेकिन प्रभु ने हमेशा मुझे समाधान निकालने में मदद की है, या कम से कम धैर्य रखकर समाधान की प्रतीक्षा करने का बल दिया है।”
जब पोप से पूछा गया कि उन्हें किस चीज से डर लगता है, तो उन्होंने जवाब दिया: “छोटे-छोटे डर आते रहते हैं। ये हो या वो हो। पवित्र भूमि में युद्ध मुझे डराता है। ये लोग, इस कहानी का अंत कैसे होगा? परन्तु प्रभु के सामने इसका समाधान है। ऐसा नहीं है कि डर दूर हो जाता है। लेकिन वे मानवीय तरीके से बना रहता है, ऐसा कहा जा सकता है। डर होना अच्छी बात है।”
“कोप 28 के लिए मैं दुबाई जाऊँगा”
संत पापा ने कहा, “हाँ, मैं दुबई जाऊँगा। मुझे लगता है कि मैं 1 दिसंबर से 3 दिसंबर तक के लिए निकल जाऊँगा। मैं वहाँ तीन दिन तक रहूँगा। मुझे याद है कि जब मैं स्ट्रासबर्ग गया था, यूरोपीय संसद में, और राष्ट्रपति ओलांद ने मुझे लेने के लिए पर्यावरण मंत्री सेगोलीन रॉयल को भेजा था। और उन्होंने मुझसे पूछा, 'क्या आप पर्यावरण पर कुछ तैयार कर रहे हैं? आपको यह पेरिस बैठक से पहले करना चाहिए।' मैंने यहाँ कुछ वैज्ञानिकों का आह्वान किया, जो तेजी से आगे बढ़े। 'लौदातो सी' रिलीज़ हुई, यह पेरिस से पहले आई। और पेरिस का सम्मेलन सबसे अच्छा था। पेरिस के बाद हर कोई पीछे चला गया और इसमें आगे बढ़ने के लिए साहस की जरूरत है।”
विश्वास
यह पूछे जाने पर कि क्या आपका विश्वास कभी डगमगाया, पोप ने उत्तर दिया, “इसे खोने के अर्थ में, नहीं। लेकिन इसे महसूस न करने और अंधेरे रास्तों पर चलने के अर्थ में लगा - ईश्वर कहाँ हैं? – आप महसूस करते हैं कि ईश्वर छिपे हुए हैं, वे कहाँ हैं? या हम पीछे हो जाते और दूर भटक जाते हैं। और प्रभु आप कहाँ हैं? और आप इसे ठीक क्यों नहीं करते? और आप महसूस करते हैं कि प्रभु आपसे बात कर रहे हैं क्योंकि मेरे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है। ईश्वर [जादूगर] नहीं है, नहीं। वे कुछ और हैं।”
"मैराडोना और मेसी के बीच मैं पेले को पसंद करता हूँ"
अंत में, पोप ने इस सवाल का जवाब दिया कि अर्जेंटीना के दो महान फुटबॉल खिलाड़ियों, माराडोना या मेस्सी में से वे किसे पसंद करते हैं: "मैं तीसरा कहूँगा: पेले को।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here