संत पापा : आस्था और सेवा आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं
वाटिकन न्यूज़
वाटिकन सिटी, सोमवार 13 अक्टूबर 2023 : “आस्था और सेवा घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं और हमें ईश्वर के करीब ले जाते हैं।” संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार को एक सिख प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह विचार प्रस्तुत किया, जो विभिन्न देशों से आए थे और संयुक्त अरब अमीरात में दुबई में गुरु नानक दरबार सिख मंदिर की एक पहल के लिए रोम में एकत्र हुए थे।
संत पापा दिसंबर की शुरुआत में संयुक्त अरब अमीरात के दुबई शहर में, कोप 28 सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। अंतरधार्मिक शिखर सम्मेलन में मानव बंधुत्व दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के लिए फरवरी 2019 की यात्रा के बाद, यह संयुक्त अरब अमीरात में उनकी दूसरी प्रेरितिक यात्रा है। वे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले पहले परमाध्यक्ष होंगे।
आस्था से प्रेरित सेवा
शनिवार की सुबह, संत पापा ने विविध प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करने और उन देशों में समुदायों को उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली आस्था-प्रेरित सेवा के बारे में जानने पर खुशी व्यक्त की, जो अब उनका घर बन गया है।
संत पापा ने कहा, " इस तरह के प्रयास, विश्वास को जीने और समाज की भलाई में योगदान करने के आपके प्रयास के गवाह हैं," खासकर जब वे खुद को एकीकृत करना चाहते हैं लेकिन साथ ही "अपनी विशिष्ट पहचान के प्रति दृढ़ रहते हैं।"
संत पापा ने लोगों के बीच पुल बनाने और गरीबों, जरूरतमंदों और पीड़ितों की सेवा करने की उनकी प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किया, यह देखते हुए कि, ऐसा करने में, वे स्वीकार करते हैं कि कैसे उनका अपना जीवन धन्य और समृद्ध हुआ है। विश्वास और सेवा, जैसा कि आप जानते हैं, घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं।"
ईश्वर को पाने का सच्चा मार्ग
संत पापा ने आगे कहा, "वास्तव में, ईश्वर को पाने का सच्चा मार्ग, जैसा कि आपके पवित्र ग्रंथ ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ कहते हैं, हमारे साथी मनुष्यों की सेवा में निहित है।"
संत पापा ने सुसमाचार में येसु के शब्दों को याद किया: "मैं भूखा था और तुमने मुझे खाना दिया, मैं प्यासा था और तुमने मुझे पानी दिया, मैं अजनबी था और तुमने मेरा स्वागत किया, मैं नंगा था और तुमने मुझे कपड़े दिए, मैं बीमार था और तू ने मेरी सुधि ली, मैं बन्दीगृह में था और तू ने मुझ से भेंट की।” (मत्ती 25:35-36)
संत पापा ने उन्हें यह सेवा जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
आशीर्वाद बनें
उन्होंने कहा, "विशेष रूप से हमारे बीच के सबसे निचले तबके और समाज की परिधि पर रहने वाले लोगों की निस्वार्थ सेवा, हमें सचेत रूप से अपनी लघुता और अपर्याप्तता के बारे में जागरूक करने के अलावा, हमें ईश्वर के करीब लाती है।"
प्रतिनिधिमंडल को अपना आशीर्वाद देने से पहले, संत पापा फ्राँसिस ने प्रार्थना करते हुए अपना संदेश समाप्त किया, "सेवा हमेशा आपके जीवन का तरीका बनी रहे" और आप "भाईचारे और समानता, न्याय और शांति की भावना को बढ़ावा देने में उन सभी के लिए आशीर्वाद बनें जिनकी आप सेवा करते हैं!"
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