संत पापाः मानव जीवन की रक्षा सर्वोच्च है
वाटिकन सिटी
वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो परोलीन ने संत पापा के संदेश को जेनेवा के वैश्विक शरणार्थी मंच पर घोषित किया।
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि यह द्वितीय वैश्विक शरणार्थी मंच हमें चार साल पहले हुए कार्यों पर विचार-मंथन का आहृवान करता है। हमारा यहाँ जमा होना हमारी निष्ठा को व्यक्त करता है जहाँ एक साथ मिलकर शरणार्थियों की समस्या का समाधान निकालने के प्रतिबद्ध हैं। यह हमारे लिए आशा की एक निशानी है।
व्यक्ति की स्वतंत्रता
उन्होंने कहा कि शरणार्थियों की चुनौतियों पर चर्चा करने से पहले हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हर कोई अपनी स्वतंत्रता में कहीं भी रहने या पलायन करने का चुनाव कर सकता है। हर किसी को अपने देश में सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है।
आज करीबन 114 मिलियन लोग युद्ध, हिंसा, सतावट, धार्मिक विश्वास के कारण और साथ ही जलवायु परिवर्तन से प्रभावित जबरन विस्थापन को बाध्य होते हैं। ये सारे कारण अपने में जटिल हो गये हैं यद्यपि इसके संबंध में हमारे प्रत्युत्तर प्रर्याप्त नहीं है। नतीजन, हमें निरंतर असंख्य लोगों के मारे जाने के समाचार मिलते हैं।
मानव जीवन की रक्षा सर्वोच्च
मानव जीवन की सुरक्षा करना और उन्हें बचाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। “हम सभी समुदायों के निर्माण हेतु बुलाये गये हैं जो दूसरों का स्वागत करता, उन्हें प्रोत्सहन देता और उनके संग चलते हुए उन्हें अपने समुदाय का अंग बनाने हेतु खुले रहते हों, जो हमारे द्वारों को खटखटाते हैं।”
संत पापा ने कहा कि इस संदर्भ में हमें चाहिए कि शरणार्थी होना केवल एक दर्जा प्रदान करना नहीं है बल्कि उन्होंने पूर्ण मानवीय गरिमा प्रदान करना है। मानव परिवार के सदस्यों स्वरूप हर व्यक्ति को घर कहने के लिए एक जगह का अधिकार मिलता हो। इसका मतलब उन्हें भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा और सम्मानजनक रोजगार प्राप्त होता हो। इसका अर्थ यह भी है कि उनके लिए एक ऐसी जगह हो जहाँ उन्हें समझा जाए शामिल किया जाता हों, प्यार और उनी देखभाल की जाती हो, जहाँ वे जीवन में भाग ले सकते हैं और अपनी ओर से एक योगदान दे सकते हैं।
शरणार्थी अधिकार और कर्तव्य के व्यक्ति
शरणार्थी केवल सहायता की वस्तु नहीं, बल्कि अधिकार और कर्तव्य वाले व्यक्ति हैं। हमें उन्हें एक नई शुरुआत से वंचित नहीं करना है, जहां उनकी प्रतिभा और कौशल मेजबान समुदायों के लिए एक संसाधन बन जाते हैं। शरणार्थियों को समाधान का हिस्सा बना कर ही हम उन्हें मनुष्य के रूप में विकसित होने में एक स्थान दे सकते हैं जिससे वे जहाँ रहते वहां अपने बीज बो सकें।
संत पापा ने अपने संदेश में यह आशा व्यक्त की कि यह मंच 1951 शारणर्थी सम्मेलन की "भावना" और "दृष्टिकोण" दोनों को पुनर्जीवित करने में ठोस सिद्ध होगा, साथ ही साथ यह भाईचारे, एकजुटता और गैर-प्रतिशोध के सिद्धांतों की पुष्टि करने का अवसर होगा।
अपने मन और दिल में यह ध्यान में रखते हुए कि हम सभी एक-दूसरे के लिए जिम्मेदार हैं, संत पापा ने कहा कि मैं दूसरे वैश्विक शरणार्थी मंच के सभी प्रतिभागियों, आज उपस्थित राज्यों और संगठनों, और सभी शरणार्थियों और उनके परिवारों पर भगवान के आशीर्वाद का आह्वान करता हूं।
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