संत पापा देवदूत प्रार्थना में संत पापा देवदूत प्रार्थना में  (ANSA)

संत पापाः मुक्तिदाता के स्वागत हेतु विश्वासनीय आवाज बनें

संत पापा फ्रांसिस ने आगमन के दूसरे रविवार को अपने देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में शांति और संयम में बने रहते हुए विश्वासनीय आवाज बनने का संदेश दिया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने आगमन के दूसरे रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

संत पापा ने सभों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आगमन के दूसरे रविवार का सुसमाचार हमें योहन बपतिस्ता के बारे में जिक्र करता है जो येसु के आगमवक्ता हैं, यह उन्हें “मरूभूमि में पुकारने वाले की आवाज” कहता है। मरूभूमि एक निर्जन स्थान है, जहाँ हम कोई भी बातचीत को नहीं पाते हैं, और आवाज जिसके द्वारा विचारों को व्यक्त किया जाता हमारे लिए दो विरोधाभाव निशानियों को व्यक्त करता है। वे दोनों योहन बपतिस्ता में संयुक्त हैं।

आगमन का आहृवान

मरूभूमि में हम योहन को, यर्दन नदी के निकट जहाँ सालों पहले लोगों ने प्रतिज्ञात देश में प्रवेश किया, उपदेश देता हुआ पाते हैं। हम उन्हें यह कहते हुए सनते हैं- कि लोग ईश्वर को सुनें, उस स्थान की ओर लौट आयें जहाँ चालीस साल पहले ईश्वर उनके संग थे, जिन्होंने उनकी रक्षा की और अपने लोगों को मरूभूमि में शिक्षित किया था। यह मौन और महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ कोई भी व्यक्ति व्यर्थ की चीजों में जीवन व्यतीत नहीं कर सकता है बल्कि वह उन बातों पर ध्यान केन्द्रित करता है जो जीवन के लिए अपरिहार्य हैं।

आनवश्यक चीजों का परित्याग

यह सदैव हमारे लिए एक महत्वपूर्ण बात की याद दिलाती है- जीवन में आगे बढ़ने के लिए हमें जरूरत से ज्याद चीजों से अपने को वंचित करने की आवश्यकता है, क्योंकि अच्छा जीवन व्यतीत करने का अर्थ अपने जवीन में व्यर्थ की चीजों से भरा होना नहीं है बल्कि यह अपने को उन क्षणभंगुर चीजों से विमुख करना है। यह अपने जीवन की गहराई में उतरना है जिससे हम उन चीजों के संग अपने  को संयुक्त कर सकें जो ईश्वर के सम्मुख आने हेतु हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। केवल अपनी शांति और प्रार्थना के माध्यम हम ईश्वर के लिए स्थान तैयार करते जो पिता के शब्द हैं, जिसके द्वारा हम व्यर्थ की बातों से जो हमें दूषित करती हैं अपने को मुक्त करते हैं। 

संत पापा- हम विश्वासनीय आवाज बने

शांति और संयम

शांति और संयम- ये शब्द जिनका उपयोग हम अपने जीवन में, संचार माध्यमों और सामाजिक संचार माध्यमों में करते हैं केवल गुण मात्र नहीं है बल्कि यह ख्रीस्तीय जीवन का महत्वपूर्ण भाग है।

दूसरी बात की चर्चा करते हुए संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए आवाज है। यह वह माध्यम है जो यह प्रकट करता है कि हम क्या सोचते और अपने हृदयों में क्या धारण करते हैं। अतः हम इस बात को समझते हैं कि यह शांति से कितनी जुड़ी हुई है क्योंकि यह उन बातों की अभिव्यक्ति है जो हमें अंदर से प्रोषित करती है जहाँ  पवित्र आत्मा हमें सुन्दर सलाह देते हैं। भाइयो और बहनों कोई अपने में शांत रहना नहीं जानता तो इसका अर्थ यह नहीं कि उसके पास कहने को कुछ अच्छी चीजें हैं, जबकि शांति के प्रति सजगता हमारे लिए शक्तिशाली शब्दों को व्यक्त करती है। योहन बपतिस्ता में शब्द की शक्ति सच्चाई और उनके हृदय की शुद्धता से संयुक्त है।

शांति को स्थान दें    

हम अपने में पूछें, मेरे जीवन में शांति का क्या स्थान हैॽ क्या यह एक खालीपन है, शायद प्रताड़ना भरी शांतिॽ या इसमें सुनने के लिए एक स्थान है, प्रार्थना के लिए, मेरे हृदय के दिशा निर्देश के लिएॽ क्या मेरा जीवन संयम से भरा है या यह क्षणभंगुर चीजों से भरा हैॽ हमें जीवन की धारा के विपरीत ही क्यों न जाना पड़े  हम शांति को, संयम और सुनने को अपने जीवन में महत्व दें।

माता मरियम शांति रानी हमें मरूभूमि में रहने हेतु मदद करें, जिससे हमारे शब्द उनके बेटे येसु के लिए विश्वासनीय हो सकें जो हमारे पास आ रहे हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।  

देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा ने कहा कि 75 साल पहले 10 दिसम्बर 1948 को वैश्विक मानवीय अधिकारों पर हस्ताक्षर किया गया था। यह एक मुख्य परियोजना की भांति है। इस संदर्भ में बहुत से कदम लिये गये हैं और बहुत से कदम लेने  बाकी हैं, दर्भाग्य की बात है कि कई बार इसके विपरीत निर्णय लिये गये हैं। मानव अधिकार के संबंध में हमारी निष्ठा कभी समाप्त नहीं होती है। मैं उन लोगों के करीब हूँ जो मानव अधिकार के संबंध में ठोस कदम लेते और दूसरों के अधिकारों की रक्षा करते हैं जिसके बदले में उन्हें व्यक्तिगत रुप में कीमत चुकानी पड़ती है।

संत पापा ने आरमेनियन और आजरबैजान के कैदियों की रिहाई का स्वागत किया। उन्होंने इसे दो देशों के बीच शांति का एक सकारात्मक कदम बतलाते हुए देशों के अधिकारियों को शीघ्र ही शांति स्थापना की पहल करने हेतु प्रोत्साहित किया।

संत पापा ने कहा कि कुछ ही दिनों में दुबई में चल रही कोप28, जलवायु संगोष्टी समपन होगी। मैं आप सबों से निवेदन करता हूँ कि आप इसके अच्छे नतीजे के लिए प्रार्थना करें जिससे हमारे सामान्य निवास और लोगों का रक्षा हो सके।

उन्होंने युद्ध के कारण दुःख झेल रहे लोगों की याद करते हुए उनके लिए प्रार्थना करने का आहृवान किया।“हम ख्रीस्त जयंती की ओर बढ़ रहे हैं, क्या हम ईश्वर की सहायता से शांति स्थापना हेतु ठोस कदम ले सकते हैं”ॽ संत पापा ने कहा कि हम जानते हैं कि यह सहज नहीं है। कुछ युद्धों के गहरे ऐतिहासिक कारण हैं। लेकिन हमारे पास यह साक्ष्य है कि नर औऱ नारियों ने विवेक और धैर्य में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए कार्य किये हैं। हम उनके उदाहरणों का अनुकरण करें। “हमारे सभी प्रयासों में युद्ध के कारण को दूर करने, मानव अधिकार, नागरिकों की रक्षा, अस्पतालों, धार्मिक स्थलों, युद्ध बंदियों की रिहाई और मानवीय अधिकारों को सुनिश्चित करने की बातें कही जायें। हम युद्ध के कारण बिखरे यूक्रेन, फिलीस्तीन, इस्रराएल को न भूलें।

संत पापा ने दो दिन पूर्व तिभोली के एक अस्पताल में लगी आगजली के शिकार लोगों की याद की। तदोउपरांत उन्होंने रोम, इटली और विश्व के विभिन्न स्थानों से विश्वासियों विशेष रुप से संत निकोला मोनफ्रेदी, स्काफाती के स्काऊट दल, नेवोली, गेरेनजानो और रोविगो के युवाओं अभिवादन किया। और अंत में सभों से अपने लिए प्रार्थना का निवेदन करते हुए सभों को रविवारीय मंगलकामनाएं अर्पित कर विदा लीं। 

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10 December 2023, 22:35