संत पापाः ईश्वर, दुनिया के प्रेम में बड़ा अंतर है
वाटिकन सिटी
संत पापा ने मिस्सा बलिदान के प्रवचन में कहा कि सारी पृथ्वी की जनगणना, यह य़ेसु ख्रीस्त के जन्म का संदर्भ था और सुसमाचार इसकी चर्चा करता है। जनगणना की चर्चा साधारण तौर पर की गई होगी लेकिन यह हमारे लिए महत्वपूर्ण बात कहती है। यहाँ हम एक बड़े विरोधाभाव को पाते हैं। सम्राट विश्व की जनसंख्या जानना चाहते हैं वहीं ईश्वर गुप्त रुप में दुनिया में प्रवेश करते हैं। वे जो शक्तिशाली हैं अपनी शक्ति का उपयोग कर इतिहास में अपने को स्थापित करना चाहते हैं जबकि इतिहास के राजा अपने लिए नगण्य का चुनाव करते हैं। शक्तिशालियों में कोई भी उनकी ओर ध्यान नहीं देता है,सिवाय कुछ चरवाहों के जो सामाजिक जीवन के हाशिये में रहते हैं।
संत पापा ने कहा कि जनगणना किसी और चीज के बारे में कहती है। धर्मग्रंथ में, हम इसके नकारात्मक भाव को पाते हैं। राजा दाऊद अपनी बड़ी संख्या के कारण जनगणना का अदेश देता है, वह अपने में आत्म-निर्भरता का अनुभव करते हुए बड़ा पाप करता है। वह अपने में शक्तिशाली होने का ज्ञान हासिल करना चाहता था। नौ महीने बाद उसे इस बात का ज्ञान होता है कि कितने हैं जो तलवार भंज सकते हैं। ईश्वर इससे क्रोधित होते और लोगों को दुःख का सामना करना होता है। उस रात को नौ महीने मरियम के गर्भ में रहने के बाद “दाऊद के पुत्र” का जन्म दाऊद के शहर, बेतलेहेम में होता है। वे जनगणना का विरोध नहीं करते बल्कि शांति में अपना नाम दर्ज कराते हैं। यहाँ हम ईश्वर को क्रोध और सजा देने वाला नहीं बल्कि उन्हें करूणा के ईश्वर स्वरुप पाते हैं जो एक कमजोर रुप में दुनिया में यह घोषित करने आते हैं, “भले लोगों को शांति।” आज हमारे हृदय बेतलेहेम में हैं जहाँ हम शांति के राजा को दुत्कारा हुआ पाते हैं।
ईश्वर की शैली
विश्व की जनगणना एक शब्द में, दुनियावी रूप में शक्ति और ताकत, नाम और प्रसिद्धि को व्यक्त करता है जहाँ हम चीजों को परिणाम, सफलता, संख्यों और आकड़ों में पाते हैं जिसकी भूख विश्व को है। यह येसु के कार्यों की रूपरेखा को भी व्यक्त करता है जो शरीरधारण कर हमें खोजने आते हैं। वे पूर्णतः के ईश्वर नहीं, बल्कि वे शरीरधारी ईश्वर हैं। वे अपनी शक्ति दिखलाते हुए अन्याय को खत्म नहीं करते हैं लेकिन झुककर प्रेम प्रदर्शित करते हैं। वे अपनी शक्तिमत्ता में नहीं बल्कि छोटे रुप अपने को प्रस्तुत करते हैं। वे हमारी कमजोरियों को दूर नहीं करते बल्कि उन्हें अपने में धारण करते हैं।
प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि आज की रात हम अपने में पूछें हम किस ईश्वर पर विश्वास करते हैंॽ देहधारी ईश्वर पर या परिपूर्णतः के ईश्वर परॽ क्योंकि हम अपने लिए सदैव एक जोखिम को पाते हैं जहाँ हम गैऱ-ख्रीस्तीय मानसिकता से ख्रीस्त जयंती मनाते हैं जो हमारे लिए ईश्वर को एक शक्तिशाली, दुनिय़ा की सफलता और अपने भौतिकता में भरा ई्श्वर प्रस्तुत करता है। ईश्वर की इस गलत छवि के कारण अपने मानवीय सोच में हम उन्हें अच्छों के संग अच्छा और बुरों के संग बुरा, अपने बीच से सारी कमजोरियों और तकलीफों को दूर करने वाले के रुप में देखते हैं। वहीं ईश्वर हमारे लिए जादूई छड़ी नहीं घुमाते हैं वे हमारे लिए लेन-देने के ईश्वर नहीं हैं जो सारी चीजों को एक साथ करने की प्रतिज्ञा करते हों। वे बटन दबाकर हमें नहीं बचाते हैं बल्कि हमारे निकट आते हैं जिससे हम अपने अंदर की दुनिया को बदल सकें। हमारे ईश्वर ऐसे नहीं हैं वे जनगणना के समय सभों के लिए दुनिया में आते हैं।
सच्चे और जीवंत ईश्वर
हम अपने सच्चे और जीवित ईश्वर पर चिंतन करें। हमारे ईश्वर सभी मापदण्डों से परे हैं यद्यपि वे हमें अपने को आंकने देते हैं। वे इतिहास का अंग बनते हुए इतिहास में क्रांति लाते हैं। ईश्वर जो हमें इतना सम्मान देते हमें अपने को दुत्कारने की अनुमति देते हैं। वे हमारे पाप अपने ऊपर लेते, वे हमारे दुःख को खत्म नहीं करते लेकिन उसे बदल देते हैं, वे हमारी मुसीबतों को दूर नहीं करते बल्कि एक आशा प्रदान करते जो सभी मुसीबतों से बड़ी होती है। हमें आलिंगन करने की बड़ी चाह में वे अद्वितीय होते हुए भी हमारे लिए छोटे बन जाते हैं। अपनी महानता में वे नम्र होने का चुनाव करते हैं। अपनी धार्मिकता में वे हमारे अन्याय को स्वीकारते हैं। यही ख्रीस्त जयंती का आश्चर्य है जहाँ हम ईश्वर को उऩकी कोमलता में हमें बचाने हेतु मानव बनकर आता पाते हैं। हम उस बालक पर चिंतन करें, हम चरनी पर चिंतन करें जिसे स्वर्गदूत “एक निशानी” कहते हैं। यह एक सच्ची निशानी है जिसके द्वारा ईश्वर करूणामय चेहरे को सदैव सिर्फ अपने प्रेम में प्रकट करते हैं।
हम आश्चर्य करें
प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि हम उनके शरीरधारण पर आश्चर्य करें। यह हमारे लिए मानवीय कमजोरी को व्यक्त करता है। उन्होंने ऐसा क्यों कियाॽ क्योंकि वे हमारी चिंता करते हैं, वे हमें सारी चीजों से मूल्यवान समझते और हमें प्रेम करते हैं। ईश्वर ने जनगणना के समय इतिहास को बदल दिया अतः हम उनके लिए एक संख्या मात्र नहीं हैं बल्कि हमारा नाम उनके हृदय में अंकित है। यदि हम अपने हृदय की ओर देखते हुए अपनी कमजोरियों को इस दुनिया की निगाहों से देखते जो न्यायी है और जो क्षमा नहीं करती है तो हम ख्रीस्त जयंती मनाने में कठिनाई का अनुभव करेंगे। हम अपनी कमजोरियों, असफलताओं और मुसीबतों के कारण असंतोष का अनुभव करेंगे। हम आज येसु को पहल करने दें। वे हमें कहते हैं, “मैं तुम्हारे लिए मानव बना हूँ, तुम्हारे लिए मैं तुम्हारी तरह बन गया हूँ।”
अपने को खोलें
अतः हम अपनी तकलीफों में क्यों घिर रहेंॽ चरवाहों की भांति जिन्होंने अपना झुण्ड छोड़ा, हम अपने दुःख से बाहर निकलें और ईश्वर का आलिंगन करें जो हमारे लिए एक बालक बने हैं। हम अपने जीवन की सारी चीजों को उन्हें सौंप दें और वे हमारी देख-रेख करेंगे। वे हमारी पूर्णतः की ओर नहीं देखते बल्कि हमें विश्वासी हृदय को खोलने कहते हैं। हम उनमें अपने को एक प्रेमी पुत्र-पुत्री की भांति पहचान पायेंगे। अपने जन्म के द्वारा वे हमारे जीवन को ज्योति से भरे देते हैं।
येसु ख्रीस्त संख्या नहीं बल्कि हमारे चेहरों को देखते हैं। बेतलेहेम की भीड़ अपने ही उधेड़बुन में फंसी थी, लोग जनगणऩा के जोश में व्यस्त थे, इस स्थिति में केवल थोड़े ही लोग, मरियम, योसेफ, चरवाहे और मंजूषी ही येसु के निकट रहे। हम उनसे सीखें। वे हृदय से उनकी ओर देख रहे थे। उन्होंने बातें नहीं कीं, सिर्फ फुसफुसाया।
आराधना का अर्थ
आराधना देहधारण को आलिंगन करने का माध्यम है। क्योंकि पिता के शब्द येसु शांति में हमारे जीवन का अंग बनते हैं। बेतलेहेम, “रोटी के घर” में जैसा उन्होंने किया हम भी वैसा ही करें। हम जीवन की रोटी के सामने खड़े हों। हम आराधना करें जो समय बर्बदी करना नहीं बल्कि ईश्वर के लिए निवास स्थल तैयार करना है। देहधारण के बीज को हम अपने अंदर उगने दें, यह ईश्वर के संग सहयोग करना है जो खमीर की भांति दुनिया को बदले हैं। हम ईश्वर से निवेदन करें, पापों के क्षमा की याचना करें जिससे वे हमारे जीवन इतिहास को नया बना सकें। एक महान कहनीकार ने अपने पुत्र को एक बार लिखा, “मैं तुम्हारे समाने प्रेम के महान चिन्ह को परमप्रसाद के रुप में रखता हूँ...। वहाँ तुम रोमांच, महिमा, सम्मान, निष्ठा और विश्व में प्रेम करने के सभी तरीकों को पाओंगे।”
दुनियावी प्रेम-ईश्वर का प्रेम
आज की रात, प्रेम इतिहास में परिवर्तन लाती है। यह हमें यह विश्वास दिलाती है कि ईश्वर के प्रेम की शक्ति दुनियावी प्रेम की शक्ति से एकदम भिन्न है। प्रभु, हमें मरियम योसेफ, चरवाहों और मंजूषियों की तरह बना जो आराधना हेतु आप के चारों ओर जमा होते हैं। आप के प्रेम का साक्ष्य, हमें दुनिया के सामने आपके सुन्दर चेहरे का प्रमाण प्रस्तुत करने में मदद करेगा।
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