पोप: क्रिसमस हमारी दुनिया में शांति लाए और दुःख को खुशी में बदल दे
वाटिकन न्यूज
संत पापा ने कहा, "प्रिय भाइयो और बहनो, ख्रीस्त जयन्ती मुबारक हो।"
दुनियाभर के ख्रीस्तियों की निगाहें और दिल, बेथलहम की ओर जाती हैं; इन दिनों, यह दुःख और मौन का स्थान बन गया है, फिर भी यहीं पर लंबे समय से प्रतीक्षित संदेश पहली बार घोषित किया गया था: "आज दाउद के शहर में आपके लिए एक उद्धारकर्ता का जन्म हुआ है, जो मसीह प्रभु है।" (लूकस 2:11) बेथलहम के ऊपर स्वर्गदूत द्वारा कहे गए उन शब्दों को हम भी दुहराते हैं। हम आशा और विश्वास से भरे हुए हैं क्योंकि हमें एहसास होता है कि प्रभु का जन्म हमारे लिए हुआ है। पिता के शाश्वत वचन, अनंत ईश्वर ने हमारे बीच अपना घर बना लिया है। शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया। (योहन 1:14) यह वह सुसमाचार है जिसने इतिहास की दिशा बदल दी!
संत पापा ने कहा, ”बेथलहम का संदेश वास्तव में "बड़े आनंद की खुशखबरी" है। (लूकस 2:10) कैसा आनंद? यह इस दुनिया की ख़ुशी, मनोरंजन का उल्लास नहीं है बल्कि एक ऐसी ख़ुशी है जो "महान" है क्योंकि यह हमें महान बनाती है। आज, हम सभी, अपनी सभी कमियों के साथ, एक अभूतपूर्व उपहार के निश्चित वादे को स्वीकार करते हैं: स्वर्ग में जन्म लेने की आशा। हाँ, हमारे भाई येसु अपने पिता को हमारा पिता बनाने आये हैं; एक छोटा बच्चा, हमें ईश्वर के कोमल प्रेम और और भी बहुत कुछ के बारे में बताता है। वह, पिता का एकलौता पुत्र, हमें "परमेश्वर की संतान बनने की शक्ति" देता है। (योहन 1:12) यह वह आनंद है जो दिलों को सांत्वना देता है, आशा को नवीनीकृत करता है और शांति प्रदान करता है। यह पवित्र आत्मा का आनंद है: ईश्वर के प्यारे बेटे और बेटियाँ होने का आनंद।”
भाइयो और बहनो, आज बेथलहेम में, धरती पर छाई गहरी छाया के बीच, एक अखंड ज्योति जलाई गई है। आज दुनिया का अंधकार ईश्वर की रोशनी से दूर हो गया है, जो "प्रत्येक पुरुष और महिला को प्रबुद्ध करता है।" (योहन 1:9) आइए, हम अनुग्रह के इस उपहार का आनंद लें! आनन्द मनायें, जिन्होंने अपनी निश्चितताओं पर विश्वास खो दिया है, आप अकेले नहीं हैं: मसीह आपके लिए पैदा हुए हैं! आनन्द मनायें, जिन्होंने सारी आशा त्याग दी है, क्योंकि परमेश्वर अपना हाथ बढ़ाता है आपको आशा प्रदान करता है; वह आप पर उंगली नहीं उठाता, बल्कि आपको अपने डर से मुक्त करने के लिए, आपके बोझ से छुटकारा पाने के लिए और अपना छोटा सा शिशु हाथ प्रदान करता है कि, उसकी नजर में, आप किसी भी अन्य चीज़ से अधिक मूल्यवान हैं। . आनन्द मनायें, क्योंकि याह की प्राचीन भविष्यवाणी तुम्हारे लिए पूरी हो गई है: "हमारे लिए एक बच्चा पैदा हुआ है, एक बेटा हमें दिया गया है, और उसका नाम रखा गया है... शांति का राजकुमार" (9: 6). उसके साथ, "अनंत शांति होगी" (9:7)।
संत पापा ने कहा कि धर्मग्रंथों में, शांति के राजकुमार का विरोध "इस दुनिया के राजकुमार" (योहन 12:31) द्वारा किया जाता है, जो मृत्यु के बीज बोकर, "जीवन के प्रेमी" प्रभु के खिलाफ साजिश रचता है (सीएफ. प्रज्ञा ग्रंथ 11:26). हम इसे बेथलहम में देखते हैं, जहां उद्धारकर्ता के जन्म के बाद निर्दोषों का वध हुआ। हमारी दुनिया में कितने निर्दोषों का कत्लेआम किया जा रहा है! अपनी माताओं के गर्भ में, हताशा में और आशा की तलाश में किए गए सफर में, उन सभी नन्हें बच्चों के जीवन में जिनका बचपन युद्ध के कारण तबाह हो गया है। वे आज के नन्हे येसु हैं।
संत पापा ने कहा, तो फिर, शांति के राजकुमार को "हाँ" कहने का अर्थ है युद्ध को, हर युद्ध को, युद्ध की मानसिकता को "नहीं" कहना, यह एक लक्ष्यहीन यात्रा, जीत के बिना एक हार, एक अक्षम्य मूर्खता है। युद्ध को "नहीं" कहने का अर्थ है हथियार को "नहीं" कहना। मानव हृदय कमज़ोर और आवेगशील है; अगर हमारे हाथ में मौत के उपकरण आ जाएं तो देर-सबेर हम उनका इस्तेमाल करेंगे और हम शांति की बात कैसे कर सकते हैं, जब हथियारों का उत्पादन, बिक्री और व्यापार बढ़ रहा है? आज, हेरोद के समय की तरह, ईश्वर के प्रकाश का विरोध करने वाली बुराई पाखंड और छिपाव की छाया में अपनी साजिश रचती है। बहरे सन्नाटे के बीच कितनी हिंसा और हत्याएं होती हैं, कई लोगों को पता ही नहीं चलता! लोग हथियार नहीं बल्कि रोटी चाहते हैं, वे पेट भरने के लिए संघर्ष करते हैं और केवल शांति चाहते हैं, उन्हें पता नहीं है कि हथियारों पर कितना अधिक सार्वजनिक धन खर्च किये जा रहे हैं। फिर भी उन्हें जानना चाहिए! इसके बारे में बात की जानी चाहिए और लिखा जाना चाहिए, ताकि युद्ध की कठपुतली की डोर को चलाने वाले हितों और मुनाफे को प्रकाश में लाया जा सके।
संत पापा ने कहा, “इसायाह, जिन्होंने शांति के राजकुमार की भविष्यवाणी की थी, एक ऐसे दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे जब "राष्ट्र राष्ट्र के विरुद्ध तलवार नहीं उठाएंगे", एक ऐसा दिन जब लोग "युद्ध नहीं सीखेंगे", बल्कि इसके बजाय "अपनी तलवारों को पीटकर हल के फाल बना लेंगे, और अपने काँटों में भाले” (इसायाह2:4)। ईश्वर की मदद से, आइए हम उस दिन के आने के लिए काम करने के लिए हर संभव प्रयास करें!
संत पापा ने कहा कि ऐसा इज़राइल और फ़िलिस्तीन में हो सकता है, जहाँ युद्ध उन लोगों के जीवन को तबाह कर रहा है। मैं उन सभी को गले लगाता हूँ, विशेषकर गाजा और संपूर्ण पवित्र भूमि के ख्रीस्तीय समुदायों को। मेरा दिल पिछले 7 अक्टूबर के घृणित हमले के पीड़ितों के लिए दुखी है और मैं अभी भी बंधक बनाए गए लोगों की मुक्ति के लिए अपनी तत्काल अपील दोहराता हूँ। मैं निर्दोष पीड़ितों पर हुए भयावह सैन्य अभियानों को समाप्त करने का अनुरोध करता हूँ और मानवीय सहायता के प्रावधान को खोलकर हताश मानवीय स्थिति के समाधान का आह्वान करता हूँ। हिंसा और नफरत का अंत हो। संत पापा की आशा है कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समर्थन से पार्टियों के बीच ईमानदार और सतत बातचीत के माध्यम से फिलिस्तीनी प्रश्न का समाधान हो सकता है।
संत पापा ने कहा, “मेरे विचार युद्धग्रस्त सीरिया के लोगों और लंबे समय से पीड़ित यमन के लोगों के प्रति भी हैं। मैं प्यारे लेबनानी लोगों के बारे में भी सोचता हूँ और प्रार्थना करता हूँ कि जल्द ही राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता मिले।
बालक येसु पर विचार करते हुए, मैं यूक्रेन के लिए शांति की प्रार्थना करता हूँ। आइए, हम संकटग्रस्त लोगों के साथ अपनी आध्यात्मिक और मानवीय निकटता को नवीनीकृत करें, ताकि हम में से प्रत्येक के समर्थन के माध्यम से, वे ईश्वर के प्रेम की ठोस वास्तविकता को महसूस कर सकें।
संत पापा ने अर्मेनिया और अज़रबैजान को भी याद किया और कहा, “अर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच निश्चित शांति का दिन निकट आ सकता है। इसे मानवीय पहलों को आगे बढ़ाकर, शरणार्थियों की वैधता और सुरक्षा के साथ उनके घरों में वापसी और प्रत्येक समुदाय की धार्मिक परंपराओं और पूजा स्थलों के प्रति पारस्परिक सम्मान द्वारा आगे बढ़ाया जाए।
इसके बाद संत पापा ने अपने विचारों को अफ्रीका की ओर मोड़ा। संत पापा ने कहा, “आइए, उन तनावों और संघर्षों को न भूलें जो साहेल, हॉर्न ऑफ अफ्रीका और सूडान के साथ-साथ कैमरून, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और दक्षिण सूडान के क्षेत्र को परेशान करते हैं।
आशा है कि वह दिन निकट आ जाएगा जब बातचीत और मेल-मिलाप की प्रक्रियाओं के जरिए कोरियाई प्रायद्वीप में भाईचारे के बंधन को मजबूत किया जाएगा, जो स्थायी शांति के लिए स्थितियां बनाने में सक्षम होगा।
ईश्वर का पुत्र, जो एक मासुम बच्चा बन गया, अमेरिका में राजनीतिक अधिकारियों और अच्छे इरादों वाले सभी व्यक्तियों को सामाजिक और राजनीतिक संघर्षों को हल करने, गरीबी के उन रूपों से लड़ने के लिए जो व्यक्तियों की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं, असमानता को कम करने के लिए उपयुक्त तरीके ढूँढ़ने करने के लिए प्रेरित करें और प्रवासन आंदोलनों की परेशान करने वाली घटना का समाधान मिले।
चरनी से, बालक येसु हमें उन लोगों की आवाज़ बनने के लिए कहते हैं जिनके पास कोई आवाज़ नहीं है। उन मासूम बच्चों की आवाज़ जो रोटी और पानी के अभाव में मर रहे हैं। उन लोगों की आवाज़ जिन्हें काम नहीं मिल रहा या जिन्होंने अपनी नौकरियाँ खो दी हैं; उन लोगों की आवाज़ जो बेहतर भविष्य की तलाश में अपनी ज़मीन से भागने को मजबूर हैं, कठिन यात्राओं में अपनी जान जोखिम में डालते हैं और बेईमान तस्करों का शिकार बनते हैं।
संत पापा ने कहा, “भाइयों और बहनों, हम अनुग्रह और आशा के मौसम जुबली के करीब पहुंच रहे हैं, जो अब से एक साल बाद शुरू होने वाला है। पवित्र वर्ष की तैयारी का यह समय हृदय परिवर्तन का, युद्ध को अस्वीकार करने और शांति को अपनाने का, और इसायाह की भविष्यवाणी के शब्दों में, प्रभु के आह्वान का खुशी से जवाब देने का अवसर हो, "सुसमाचार लाने के लिए" उत्पीड़ितों के लिए, टूटे हुए हृदयों को बांधना, बंदियों के लिए स्वतंत्रता की घोषणा करना और बंदियों के लिए रिहाई की घोषणा करना।" (61:1)
वे शब्द येसु में पूरे हुए, जिनका जन्म आज बेथलहम में हुआ है। (लूकस 4:18) आइए हम उनका स्वागत करें! आइए, हम अपना दिल उसके सामने खोलें, वे उद्धारकर्ता हैं, शांति के राजकुमार हैं!
उसके बाद संत पापा ने दूतों और संतों, संत पौलुस और संत पेत्रुस से मध्यस्थ प्रार्थना करते हुए सब विश्वासियों को समारोही दण्डमोचन प्रदान किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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