आप्रवासियों की जीवन रक्षा को दी जाये प्राथमिकता
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 15 दिसम्बर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो):जिनिवा स्थित ग्लोबल रेफ्यूजी फोरम के वरिष्ठ अधिकारियों को सम्बोधित एक सन्देश में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि आप्रवासियों की जीवन रक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये। उन्होंने अपने इस विश्वास की पुनरावृत्ति की कि आप्रवासियों एवं शरणार्थियों की दुर्दशा हम सबकी एक साझा जिम्मेदारी है। हालांकि, कहा कि इस दिशा में आशा के संकेत भी देखे गये हैं जो एकजुटता, आतिथेय और सहयोग की को प्रकाश में लाते हैं।
सन्त पापा का सन्देश वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन द्वारा उक्त सम्मेलन के प्रतिभागियों के समक्ष पढ़ा गया, जो शरणार्थियों पर आयोजित सर्वाधिक विशाल अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन है। शरणार्थियों के वैश्विक समझौते में निर्धारित उद्देश्यों के व्यावहारिक कार्यान्वयन का समर्थन करने के लिए ग्लोबल रेफ्यूजी फोरम की संरचना को कार्यरूप दिया गया था।
आशा के संकेत
सन्त पापा ने उन देशों एवं मेज़बान समुदायों का उल्लेख किया कि जो प्रतिदिन शरणार्थियों के स्वागत के लिए अपनी सीमाओं और अपने दिलों को उदार रखते हैं; जो लोग समुद्र में लोगों की जान बचाना जारी रखते हैं, और आतिथ्य केंद्रों में राहत कार्यों द्वारा एकात्मता का प्रदर्शन करते हैं।
उन्होंने उन प्रवासियों की आशा को भी बरकरार रखा “जो अपना जीवन बदलना चाहते हैं और जिस समाज में वे जाते हैं, उसमें योगदान देना चाहते हैं; और वे सब जो सहयोग और एकजुटता को वैश्विक समस्याओं का प्रमुख समाधान मानते हैं।
चुनने के लिये स्वतंत्र
सन्त पापा ने आप्रवास करने या न करने का चयन करने के प्रत्येक व्यक्ति के अधिकार को दोहराते हुए कहा, "प्रत्येक व्यक्ति को अपने देश में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिलना चाहिए।" इसे "एक निश्चित प्रतिगमन" के रूप में देखते हुए उन्होंने इस बात पर गहन चिन्ता व्यक्त की कि "आज, लगभग 11 करोड़ चालीस लाख लोग बलात विस्थापित किये गये हैं, जिनमें से कई आंतरिक रूप से, संघर्षों, हिंसा और उत्पीड़न के कारण अथवा धार्मिक उत्पीड़न या फिर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण विस्थापन के लिये मजबूर हुए हैं।"
अपर्याप्त वैश्विक प्रत्युत्तर
सन्त पापा ने कहा कि लोग आप्रवास के लिये मजबूर क्यों होते हैं इसके कारण तेजी से जटिल हो गए हैं, "फिर भी हमारे प्रत्युत्तरों ने इन उभरती और गंभीर चुनौतियों का पर्याप्त समाधान नहीं ढूँढ़ा है।" उन्होंने कहा, "परिणामस्वरूप, सुरक्षा की तलाश में या निराशाजनक भविष्य से भागने की आशा में हम ज़मीन और समुद्र में खोई गई अनगिनत जिंदगियों का शोक मना रहे हैं।"
सन्त पापा ने कहा कि पुरमधर्मपीठ अपने इस विश्वास की पुनरावृत्ति करती है कि "मानव जीवन की रक्षा और बचाव हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "ढेर सारी ख़बरों और आँकड़ों से भरी दुनिया में हम प्रायः भूल जाते हैं कि इन संख्याओं के पीछे मानवीय चेहरे हैं, प्रत्येक की अपनी कहानी और पीड़ा है।"
उन्होंने कहा, "प्रत्येक संख्या हमारे साथी भाइयों और बहनों में से एक का प्रतिनिधित्व करती है जिन्हें मदद की ज़रूरत है।"
जोखिम भरी स्वदेश वापसी की निन्दा करते हुए सन्त पापा ने कहा, "जो लोग भागने के लिए मजबूर हैं उनके सुरक्षित और स्वैच्छिक स्वदेश वापसी के सिद्धांत का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।" उन्होंने कहा, "किसी को भी ऐसे देश में वापस नहीं भेजा जाना चाहिए जहां उन्हें गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन या यहां तक कि मौत का सामना करना पड़ सकता है।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here