संत पापाः विश्व को शांति शिल्पकारों की जरूरत
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने लोकप्रिय आन्दोलन की 80वीं स्थापना वर्षग्राँठ के अवसर पर संगठन के सदस्यों से मुलाकात करते हुए उन्हें अपना संदेश दिया।
संत पापा ने कहा कि इन 80 सालों के दौरान आप ने अपने संदेशों को युवाओं, समुदायों, परिवारों, समर्पित जीवन के लोगों, पुरोहितों धर्माध्यक्षों के अलावे विभिन्न सामाजिक वातावरण में प्रसारित किया है। इस संदर्भ में एकतावर्धक और अंतरधार्मिक वार्ता के क्षेत्र में आपके कार्य अति सराहनीय रहे हैं जिसके फलस्वरुप हम “पुनर्जन्म”, जन जीवन में परिवर्तन, बुलाहट में वृद्धि को पाते हैं और जिसके लिए हम ईश्वर का धन्यवाद करते हैं।
मरियम की छवि
संत पापा ने कहा कि 7 दिसंबर, 1943 को इटली के ट्रेंटो में कियारा का “हाँ” हमें मरियम की छवि प्रस्तुत करती है। उन्होंने लोकप्रिय आंदोलन को जन्म दिया, जिसे मरियम के कार्य स्वरूप भी जाना जाता है। उन्हें दैनिक जीवन के कार्यों में, जब वह अपने परिवार के लिए किराने का सामान खरीदने को गयीं, ईश्वर के कार्यों को पूरा करने की प्रेरणा मिली।
तीन बातें
संगठन के सदस्यों को याद दिलाते हुए संत पापा ने कहा कि 2021 के फरवरी महीने में मैंने आप की आमसभा को संबोधित कर तीन महत्वपूर्ण बातों की ओर ध्यान आकर्षित कराया था, आदर्श को विश्वासनीय आयाम में जीना, समस्याओं को विकास के अवसरों के रुप में स्वागत करना और आध्यात्मिकता को सुसंगतता और यर्थाता में धारण करना। “उन्हें पुनः याद दिलाते हुए मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप उन्हें अपने जीवन में अमल करते हुए कलीसियाई प्रौढ़ता, आर्दश के प्रति निष्ठा और शांति हेतु समर्पण की दिशा में बढ़ने हेतु प्रोत्साहित करें।”
ईमानदारी में वार्ता
प्रथम बिन्दु की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए संत पापा ने कलीसियाई सहभागिता पर जोर दिया और कहा कि इसकी शुरूआत आप के समुदायों से हो, आप सहभागिता औऱ सहयोग की भावना को प्रोत्साहित करें यहां तक की सरकारी स्तर पर भी। यह हमारे मध्य एक-दूसरे को सुनने हेतु पारिवारिक महौल तैयार करेगा जिसके फलस्वरुप हम एक-दूसरे का सम्मान करेंगे विशेष रुप से उन कमजोरों के संबंध में जिन्हें हमारी मदद की जरुरत है। “इस संदर्भ में आप संचार और ईमानदारी पूर्ण वार्ता पर विशेष ध्यान दें।”
सुसमाचार का बीज बोयें
आर्दश के प्रति निष्ठा के संबंध में उन्होंने संस्थापिका की बातों को याद दिलाते हुए कहा, “सुसमाचार को केवल उनके लिए छोड़े जो आप का अनुसरण करते हैं, यदि आप ऐसा करते हैं तो आदर्श अपनी एकता में बनी रहेगी।” यह सुसमाचार है जो बिना प्रभावित हुए सदैव बना रहता है। “आप सुसमाचार के बीज बोते हुए एकता स्थापित करें जिसे ईश्वर सदैव पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे बीच करने की चाह रखते हैं।” उन्होंने कहा की हमारा ऐसा करना येसु के सुसमाचार को प्रसारित करेगा जहाँ सभी एकता में बने रहेंगे।
शांति के प्रति प्रतिबद्धता के बारे में संत पापा ने कहा कि दुनिया की वर्तमान स्थिति भ्रातृत्व की मांग करती है जहाँ हम शांति से शिल्पकार बनने हेतु बुलाये गये हैं। उन्होंने कहा “केवल प्रेम ही शांति उत्पन्न कर सकती है अतः मैं आप से निवेदन करता हूँ की आप शांति का साक्ष्य दें, जिसे येसु ने क्रूस से हमारे लिए प्रस्तुत किया और अपने शत्रुओं पर विजय पाई।”
आगमन सतर्कता का समय
अपने संदेश के अंत में संत पापा ने आगमन के काल की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए सतर्कता में बने रहने का आहृवान किया। “दुनियादारी की आध्यात्मिकता हमें घेरे रहती है अतः हमें इस बात को सीखने की जरुरत है कि हम अपने निर्णय, सुसंगतता और यर्थातता में इसका उत्तर किस तरह देते हैं।” उन्होंने कहा कि हमारे कहने और करने में अंतर दुनिया के बुरा उदाहरण होता है। इसका उपचार सुसमाचार की ओर लौटना है जो हमारे विश्वास और इतिहास का आधार है जहाँ हम नम्रता, स्वार्थहीनता और सरलता को पाते हैं।
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