जनवरी माह में पोप की प्रार्थना की प्रेरिताई
“कलीसिया में करिश्मे की विविधता से डरने की कोई जरूरत नहीं है। बल्कि, इस विविधता को जीने में हमें आनंदित होना चाहिए!
प्रथम ख्रीस्तीय समुदायों में विविधता और एकता पहले से ही मौजूद थी। तनाव को उच्च स्तर पर सुलझाया जाता था। लेकिन उससे भी बढ़कर, विश्वास की यात्रा में आगे बढ़ने के लिए, हमें अन्य संप्रदायों और ख्रीस्तीय समुदायों के अपने भाइयों एवं बहनों के साथ ख्रीस्तीय एकता संवाद की भी आवश्यकता है।
यह भ्रमित करने या बाधा डालनेवाली नहीं है, लेकिन ख्रीस्तीय समुदाय के लिए ईश्वर का वरदान है ताकि यह एक शरीर, ख्रीस्त के शरीर की भांति बढ़ सके।
उदाहरण के लिए, आइए, पूर्वी कलीसियाओं के बारे में सोचें। उनकी अपनी परम्पराएँ हैं, उनके अपने विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठान हैं... फिर भी वे विश्वास की एकता बनाए रखते हैं। वे इसे मजबूत करते हैं, विभाजित नहीं करते।
यदि हम पवित्र आत्मा द्वारा संचालित होते हैं, तो प्रचुरता, बहुरूपता, विविधता कभी भी संघर्ष का कारण नहीं बनती हैं।
पवित्र आत्मा हमें सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह याद दिलाती है कि हम ईश्वर से प्यार किये गये बच्चे हैं - ईश्वर के प्रेम में सभी समान हैं, और हर कोई भिन्न है।
आइए, हम पवित्र आत्मा से प्रार्थना करें कि वे हमें ख्रीस्तीय समुदायों के भीतर विभिन्न विशिष्टताओं के वरदान को पहचानने और काथलिक कलीसिया के भीतर विभिन्न धार्मिक परंपराओं की समृद्धि की खोज करने में मदद करें।”
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