संत पापाः परीक्षा और प्रलोभन जीवन के अंग हैं
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।
पिछले सप्ताह हमने गुणों और अवगुणों पर अपनी धर्मशिक्षा की शुरूआत की। यह ख्रीस्तीय के लिए आध्यात्मिक संघर्ष का बोध कराता है। ख्रीस्तीय का जीवन अपने में शांतिमय, सीधा और चुनौतियों से रहित नहीं है, वरन् यह हमारे लिए विश्वास का संघर्ष है जिसे हमें अपने में बनाये रखने की जरुरत है, क्योंकि यह विश्वास में मिली उपहारों को हमारे जीवन में समृद्ध बनाता है। बपतिस्मा संस्कार जिसे हर ख्रीस्तीय अपने में ग्रहण करते हैं, हमारे लिए प्रतीकात्मक रुप में एक संघर्षमय जीवन को प्रकट करता है। वास्तव में, प्राचीन कुस्ती के पहलवान प्रतियोगिता के पूर्व अपने मांसपेशियों और पूरे शरीर को तेल से विलेपित करते थे जिससे वे विरोधी की पकड़ में न आयें। दीक्षांत का विलेपन हमारे लिए इस बात स्पष्ट करता है कि ख्रीस्तीय संघर्ष से अछूता नहीं है। वे औरों की भांति अपने जीवन में परीक्षाओं और प्रलोभनों के घाट में उतरते हैं।
परीक्षा और प्रलोभन से लड़ें
मठवासी जीवन के पिता कहे जाने वाले अंतोनी महान कहते हैं, “प्रलोभनों को हटाओ और कोई भी नहीं बचेगा।” संतगण वे नहीं हैं जो प्रलोभनों से बचाये गये बल्कि वे अपने में इस बात से सतर्क थे कि जीवन में बुराई का आगमन निरंतर विभिन्न रूपों में होता है, उन्हें पहचानने और उनसे अपने से दूर करने की जरुरत है। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हममें प्रत्येक जन इसका अनुभव अपने जीवन में करते हैं। हम सभों में बुरे विचार उत्पन्न होते हैं, यह प्रलोभन हर किसी के लिए आता है और हमें इसके विरूद्ध लड़ने की जरुरत है जिससे हम उन प्रलोभनों में न गिरें। “यदि हममें से किसी को कोई प्रलोभन नहीं होता तो यह अपने में अतिविशिष्टता है।” लेकिन हम सभी को इस दौर से होकर गुजरना होता है और हमें चाहिए कि हम अपनी उन परिस्थितियों में उनके पार जाना सीखें।
आत्म-परख करें
संत पापा ने कहा कि वे लोग जो अपने में “अच्छा होने” की बात कहते हैं। “नहीं, मैं अच्छा हूँ, मैं अच्छा हूँ, मुझे को तकलीफें नहीं होती हैं।” उन्होंने कहा कि हमारे लिए सच्चाई यही है कि हममें से कोई भी ठीक नहीं है। यदि कोई ठीक है तो वह अपने में सपने देखने की भांति है। हममें से हर किसी में बहुत सारी बातें हैं जिसे हमें ठीक करना है और हमें सतर्क रहने की जरुरत है। संत पापा ने आगे कहा कि हम सभी पापी हैं, अपने पापों को जानने हेतु हमें आत्म-परख करने की जरुरत है। हमें ईश्वर से कृपा की याचना करने की जरुरत है जिससे हम अपने को जान सकें और अपने जीवन में परिवर्तन ला सकें। येसु में हमें यह मूल ज्ञान प्राप्त होता है।
नम्रता का उदाहरण
संत पापा ने येसु के बपतिस्मा की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि सुसमाचार के प्रथम पन्नों पर हम यर्दन नदी में मुक्तिदाता के बपतिस्मा लेने की चर्चा सुनते हैं। क्यों येसु अपने में शुद्धिकारण की प्रक्रिया से होकर जाते हैंॽ येसु ऐसा क्यों करते हैंॽ वे ईश्वर हैं अपने में सभी रूपों में परिपूर्णॽ उन्होंने कौन-सा पाप कियाॽ संत पापा ने कहा कि उन्होंने कोई भी पाप नहीं किया। इस संबंध में योहन बपतिस्मा को भी अपने में भ्रमित पाते हैं जिसके बार में धर्मग्रंथ हमें कहता है, “मुझे आप से बपतिस्मा लेने की जरूरत है और आप मेरे पास आते हैं।” येसु अपने में, योहन बपतिस्ता से एक अगल मुक्तिदाता है जिसकी चर्चा उन्होंने लोगों से की थी, वे एक क्रोधी और न्याय करने वाले ईश्वर नहीं हैं लेकिन उसके विपरीत पापियों के संग खड़ा होने वाले ईश्वर हैं, हम सभों के संग रहने वाले ईश्वर जिससे हम उनसे भयभीत न हों। लेकिन क्यों येसु हमारे संग ऐसा करते हैंॽ वे पापी नहीं हैं लेकिन हम सभी पापियों के संग रहते, हमारे बीच में आते हैं। और यह हमारे लिए एक अति सुन्दर बात है।
येसु हमें सदैव क्षमा करते हैं
संत पापा ने कहा कि हम पापस्वीकार में कहते हैं कि मेरे बहुत से पाप हैं। “आप येसु से उनके बारे में बातें करें और वे उनसे बाहर निकलने हेतु मदद करेंगे।” येसु हमें कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं, कभी नहीं। हम इसके बारे में ध्यानपूर्वक विचार करें। हमारे पाप कितने ही बड़े क्यों न हों, वे हमें समझते हैं और हमारे साथ चलते हैं, वे हमारे पापों को समझते और हमें क्षमा करते हैं। संत पापा ने कहा कि हम इस बात को कभी न भूलें। हमारे जीवन की बुरी परिस्थितियों में जब हम पापों में फिसल जाते, येसु हमारे निकट खड़े होते और हमें उठने में मदद करते हैं। यह हमें सांत्वना प्रदान करता है। हमें इस सच्चाई को नहीं भूलना चाहिए। हमारे पाप में गिरने के बाद भी वे हमारे निकट खड़े होते हमारे बचाते और हमें उठने में मदद करते हैं। संत पापा ने इस दुविधा को स्पष्ट कराते हुए कहा कि लेकिन क्या येसु हमारे सभी पापों को क्षमा करते हैं। उन्होंने कहा कि सभी पापों को, वे हमें क्षमा करने आये, वे हमें बचाने आये, वे चाहते हैं कि हम अपना हृदय उनके लिए खोलें। वे हमें क्षमा करना कभी नहीं भूलते हैं, यह हम हैं जो बहुत बार उनसे क्षमा मांगना भूल जाते हैं।
येसु से प्रार्थना करें
“हम क्षमा मांगने की योग्यता को अपने में धारण करें। हममें से हर कोई को बहुत सारी चीजों के लिए क्षमा मांगने की जरुरत है, हम उनके बारे में सोचें और आज येसु से बातें करें।” उन्होंने कहा कि हम यह कहते हुए बातें करें, “प्रभु, मैं यह नहीं जानता कि यह सच है या नहीं, लेकिन मैं आपको अपने से दूर रखने की क्षमता रखता हूँ। मैं क्षमा के योग्य नहीं हूँ। मैं एक पापी हूँ, एक पापी, लेकिन मुझे आप अपने से दूर न करें।” यह हमारे लिए एक अति सुन्दर प्रार्थना होगी, “प्रभु, मुझे अपने से दूर न कर।”
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