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गैर-लाभकारी संस्था नोलिते तिमेरे ('डरो मत') के सदस्यों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस गैर-लाभकारी संस्था नोलिते तिमेरे ('डरो मत') के सदस्यों से मुलाकात करते हुए संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

पोप फ्राँसिस : रूवांडा नरसंहार को कभी न भूलें

पोप फ्राँसिस ने इटली के एक गैर-लाभकारी संस्था के सदस्यों से मुलाकात की जो 1994 के नरसंहार के मद्देनजर रवांडा में स्थापित एक अनाथालय के लिए धन जुटाता है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार, 27 जनवरी 2024 (रेई) : संत पापा ने इटली के गैर-लाभकारी संस्था नोलिते तिमेरे ('डरो मत') के सदस्यों से कहा, "वह नरसंहार भयानक था, अत्यन्त भयावाह। इसे कभी न भूलें, ताकि इसे फिर कभी न दोहराया जाए।"

संगठन रवांडा के मबारे में एक अनाथालय के लिए धन जुटाता है, जिसकी स्थापना 1994 में रवांडा नरसंहार से अनाथ हुए बच्चों की सेवा के लिए की गई थी।

25 वर्षों की एकजुटता

पोप फ्राँसिस ने कहा, नोलिते तिमेरे का नारा है 'पुनः शुरू करने की आशा देना।'

पोप ने दोहराया, "पुनः शुरू करना।" "यह अच्छा और सुंदर है जिसको आपने चिते में सैकड़ों बच्चों का स्वागत करते हुए इतने मूर्त तरीके से जिया है।"

रवांडा की राजधानी किगाली के ठीक बाहर “द सिटी ऑफ नाज़रेथ” नामक अनाथालय की स्थापना 1998 से 2003 तक देश में प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष साल्वातोर पेनाचियो द्वारा की गई थी। नोलिते तिमेरे की वेबसाइट के अनुसार, सिते वर्तमान में देश भर के 429 अनाथ और गरीब बच्चों की मेजबानी करता है।

पोप फ्रांसिस ने कहा, "एक चौथाई सदी से आप बच्चों के लिए एक साथ, खुली भावना और बिना शर्त प्यार से काम कर रहे हैं, उन्हें मुस्कुराहट देने और भविष्य के लिए आशा देने की सामुहिक इच्छा से एकजुट होकर।"

दोस्ती, दीवारें नहीं

पोप ने सिटे के प्रतीक चिन्ह पर भी विचार किया, जिसमें उन्होंने कहा, "रवांडा की एक टोकरी को दर्शाता है, जो एकजुटता और बांटने का प्रतीक है।"

संत पापा ने कहा, "यह हमें याद दिलाता है कि "ऐसी दुनिया में जहां लोगों के बीच दीवारें और विभाजन बढ़ रहे हैं, उदारता में कोई बाधा नहीं है।"

नोलिते तिमेरे, जो इटली में स्थित है, नियमित रूप से सिते को वित्तीय सहायता और स्वयंसेवी समूह दोनों भेजता है।

पोप ने जोर देकर कहा, "युद्ध और हथियार बच्चों की मुस्कान और भविष्य छीन लेते हैं।" "यही कारण है कि यह सुंदर है, कि आपका लक्ष्य दोस्ती के अवसर पैदा करना, ऐसे रिश्तों को जन्म देना जो टिके रहें...उम्र, राष्ट्रीयता, संस्कृति और सामाजिक स्थिति में अंतर को पार करते हुए।"

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27 January 2024, 15:20