"शहीद" पोप पॉल छटवें पर पुस्तक में पोप फ्राँसिस की प्रस्तावना
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 18 जनवरी 24 (रेई) : संत पापा ने प्रस्तावना में लिखा है, “मुझे खुशी है कि कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो ने प्रभु के रूपांतरण के दिन, जो "इस दर्दनाक, नाटकीय और शानदार भूमि" से संत पापा पॉल छठवें के विदा लेने की पुण्य तिथि भी है, जिसको उन्होंने अपने वसीयतनामा में, पिता के घर के लिए प्रस्थान कहा था, पर दिए गए अपने उपदेशों की श्रृंखला को प्रकाशित करने का निर्णय लिया है। मुझे इस बात की भी खुशी है कि उन्होंने इसे 2023 में करने का निश्चय किया जो जोवन्नी बतिस्ता मोनतिनी (संत पापा पॉल छठवें) के परमाध्यक्षीय काल की शुरुआत की 60वीं वर्षगांठ का वर्ष है।”
उन्होंने कहा, “मेरे मन में अक्सर सोच आता है कि क्या इस पोप को "शहीद" नहीं माना जाना चाहिए! एक बार, पोप पॉल छठवें की धन्य घोषणा से कुछ समय पहले एक व्यक्तिगत मुलाकात में, मैंने इसे बिशप मार्सेलो के साथ भी साझा किया था। मैंने उनसे मजाक में पूछा था कि उनके ख्रीस्तयाग में मुझे लाल या सफेद परिधान पहनने पड़ेंगे। उन्होंने मेरी बात नहीं समझी और देखा कि पोप के अंतिम संस्कार में लाल वस्त्र निर्धारित है... मैंने उन्हें समझाया कि मेरा मतलब क्या था और वे सोचने लगे।”
दरअसल, 15 दिसंबर 1969 को, कार्डिनल मंडली और रोमन कुरिया के साथ क्रिसमस की शुभकामनाओं के पारंपरिक आदान-प्रदान के अवसर पर, पोप पॉल छठवें ने उस तथ्य का उल्लेख किया जिसमें वाटिकन द्वितीय ने अपनी ओर "ध्यान आकृष्ट किया था, और, कुछ पहलुओं के तहत, आध्यात्मिक तनाव” उत्पन्न हुए थे, जिसमें कई पुरोहितों के संकट भी शामिल थे। उस संदर्भ में उन्होंने कहा: "यह हमारा कांटों का ताज है।"
कलीसिया से प्यार करने का आह्वान पोप पॉल छठवें की धर्मशिक्षा में सबसे अधिक बार और बार-बार आनेवाले आह्वानों में से एक था। उन्होंने इसे वह दर्पण माना जिसमें ख्रीस्त को देखा जा सके, वह स्थान जिसमें ईसा मसीह से मुलाकात की जा सके और यह उनके लिए सबसे आवश्यक थी। हम सभी को ख्रीस्त से उनकी प्रार्थना याद है, जो एकमात्र आवश्यकता थी! और यह ख्रीस्त के प्रति उनका अद्वितीय और पूर्ण प्रेम है जिसे कार्डिनल सेमेरारो ने ख्रीस्त के रूपांतरण के रहस्य में प्रासंगिक अपने प्रवचनों में रेखांकित करने की कोशिश की थी।
संत पॉल छठवें रूपांतरित ख्रीस्त पर चिंतन करनेवाले, उपदेशक और गवाह थे। हम कह सकते हैं कि वे येसु द्वारा चुने गए तीन प्रेरितों के साथी के रूप में, सुसमाचार के उस दृश्य में प्रवेश करना चाहते थे। इसके अलावा, उनकी अंतरंग और गुप्त इच्छा हमेशा "उसके साथ पहाड़ पर" होने की रही थी और इसने उनके जीवन को ही रूपांतरित कर दिया।
संत पापा ने कहा, “मुझे खुशी है कि ये विचार प्रकाशित हुए हैं, क्योंकि संत पॉल छठवें की छवि ने मुझे भी हमेशा आकर्षित किया है। मैं पहले ही एक अन्य अवसर पर कह चुका हूँ कि कैसे उनके कुछ भाषणों – उदाहरण के लिए मनीला, नाज़रेथ में ... - ने मुझे आध्यात्मिक शक्ति दी है और मेरे जीवन में बहुत कुछ अच्छा किया है। यह एक ज्ञात तथ्य है कि मेरा पहला प्रेरितिक प्रबोधन इवेंजेली गौदियुम के कुछ उद्देश्य, प्रेरितिक प्रबोधन इवेंजेली नूनसियांदी के सिक्के के दूसरे पहलू जैसा है, जो एक प्रेरितिक दस्तावेज़ है और जो मुझे बहुत पसंद है। दूसरी ओर, सभी ने अक्सर मुझे उनकी अभिव्यक्ति को दोहराते हुए सुना है जो मेरे दिल में घर कर गई है: सुसमाचार प्रचार करने की मधुर और सुखद आनन्द। जब मैं बोयनोस आयरिस का बिशप था तब भी मैंने इसे दोहराया था और मैं इसे आज भी दोहराता हूँ।”
इस संकलन के लिए चुना गया शीर्षक फादर मेरी-जोसेफ ले जुलौ के एक वाक्यांश से लिया गया है। जो एक महान दोमिनिकन ईशशास्त्री थे, जिनकी मैं भी सराहना करता हूँ। उन्होंने इसे द्वितीय वाटिकन महासभा की भविष्यवाणी, आध्यात्मिक, सैद्धांतिक, प्रेरितिक और मिशनरी महानता को समर्पित खंड में लिखा है। प्रस्तावना की इन पंक्तियों को समाप्त करने से पहले मैं भी इससे प्रेरणा लेना चाहूँगा। जैसे-जैसे 2025 की जयंती का आयोजन नजदीक आ रहा है, मैंने वास्तव में, सभी से द्वितीय वाटिकन महासभा के ख्रीस्तीय एकता के मौलिक दस्तावेजों को लेकर इसकी तैयारी करने के सलाह दी है।
अब, उनकी पुस्तक में, फादर ले जुलौ ने वाटिकन द्वितीय को ख्रीस्त के चेहरे पर चिंतन के रूप में वर्णित किया है। वाटिकन द्वितीय की धर्मशिक्षा को इसी प्रकाश में फिर से पढ़ा, अध्ययन, अन्वेषण और कार्यान्वित किया जाना चाहिए। लिथुआनिया के विलनियुस, में एक बैठक के दौरान, मैंने एक जेसुइट को जवाब दिया था जिसने मुझसे पूछा था कि वे मेरी मदद कैसे कर सकते हैं, मैंने कहा, “इतिहासकार कहते हैं कि एक महासभा को लागू होने में 100 साल लगते हैं। हम इसके बीच में हैं। इसलिए, यदि आप मेरी मदद करना चाहते हैं, तो इस तरह से कार्य करें कि कलीसिया में महासभा को आगे बढ़ाया जा सके।"
ख्रीस्त के चेहरे पर चिंतन करें! इवेंजेली गौदियुम में मैंने लिखा है कि प्रत्येक उपदेशक को ईश वचन पर चिंतन करना चाहिए, लेकिन उसे अपने विश्वासियों पर भी चिंतन करना चाहिए।" मैं कहना चाहूँगा कि सिनोडल कलीसिया के लिए भी यही बात लागू होती है। एक कलीसिया जो ईश वचन और ईश्वर की पवित्र प्रजा पर भी चिंतन करनी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि इन पन्नों में लिखे विचार भी इसे प्रोत्साहित करेंगे।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here