"पवित्र परिवार के प्रहरी" मरियम प्रार्थना नेटवर्क का एक प्रतिनिधिमंडल पोप से मुलाकात करते हुए "पवित्र परिवार के प्रहरी" मरियम प्रार्थना नेटवर्क का एक प्रतिनिधिमंडल पोप से मुलाकात करते हुए  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

पोप फ्राँसिस : माता मरियम के साथ प्रार्थना करना सुन्दर है

पोप फ्राँसिस ने "पवित्र परिवार के प्रहरी" मरियम प्रार्थना नेटवर्क के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करते हुए धन्य कुँवारी मरियम के साथ प्रार्थना करने के अनुभव पर जोर देते हुए कहा कि यह ईश्वर को छोटे-छोटे प्रयासों को भी फल देने में मदद करता है।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 11 जनवरी 24 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने 11 जनवरी को पवित्र परिवार के प्रहरी के प्रतिनिधि मंडल का स्वागत किया।  

सादगी और विनम्रता

संत पापा ने गौर किया कि पवित्र परिवार के प्रहरी ने मरियम की प्रार्थना नेटवर्क की स्थापना की है जिसका उद्देश्य कलीसिया और दुनिया के मतलबों को हमारी पवित्र माँ के सामने प्रस्तुत करना है।

संत पापा ने उनके इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा, “मैं आपके आंदोलन की सादगी और विनम्रता की सराहना करता हूँ, जो आपमें से सबसे पहले की सामान्य प्रार्थना में अनायास उत्पन्न हुई।” जो व्यक्ति "प्रहरी" बनना चाहता है उसके लिए आवश्यक प्रतिबद्धता सरल है, इसके लिए हर दिन एक रोजरी माला विन्ती करना है।”

संत पापा ने कहा कि लोगों की नजर में भले ही यह छोटा लगे लेकिन ईश्वर की दृष्टि में महान है यदि इसे पूर्ण विश्वास के साथ, उत्साह एवं एक मन से किया जाए। ईश्वर छोटे को भी प्यार करते हैं और उसे फलदायक बनाते हैं।

"पवित्र परिवार के प्रहरी" मरियम प्रार्थना नेटवर्क
"पवित्र परिवार के प्रहरी" मरियम प्रार्थना नेटवर्क

मरियम एक प्रतीक

आंदोलन में सिर्फ महिलाएँ जुड़ी हैं जो कुँवारी मरियम की छवि में कलीसिया की विशिष्ट और अपूरणीय बुलाहट को दर्शाती है। जो न केवल उनकी मध्यस्थता से निवेदन करने के लिए प्रार्थना करती हैं बल्कि उनकी ममता कलीसिया और दुनिया के सभी बच्चों के लिए मध्यस्थ प्रार्थना में उनके साथ होना चाहती हैं।  

अतः संत पापा ने पवित्र परिवार के प्रहरी दल के सदस्यों से कहा कि वे मरियम के साथ, माँ हैं और एक प्रहरी के रूप में अपनी प्रार्थना एवं अपने समर्पण द्वारा वे मरियम के आदर्श से प्रेरित हैं। इसलिए दुनिया की वास्तविकताओं एवं दूसरों पर उनकी नजर कुँवारी मरियम के समान; ममता, धैर्य, समझदारी और सहानुभूतिपूर्ण होनी चाहिए।  

संत पापा ने उन्हें अपने पूरे जीवन में; न केवल प्रार्थना के समय बल्कि अपने दैनिक क्रियाकलापों, अपने परिवार में, पल्ली में और अपने कार्य क्षेत्र में इन सदगुणों का अभ्यास करने की सलाह दी। उन्होंने उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में दुनिया की दुखद घटनाओं, विशेषकर, युद्ध, हिंसा और उदासीनता से पीड़ित, परित्यक्त, बंचित और विभिन्न कठिनाइयाँ झेल रहे लोगों की भी याद करने का आग्रह किया।

संत पापा ने कहा, “ये सब गलतफहमी और निराशा को जन्म दे सकते हैं। लेकिन मरियम, शिशु येसु को गरीबी झेलते देखकर निराश नहीं होती या शिकायत नहीं करतीं हैं। वे चुप रहतीं; उसे अपने हृदय में रखती और चिंतन करती हैं।”

कोमलता का महत्व

उन्होंने कहा, “मुझे आशा है कि आप लोगों को उनके अनुभव का अर्थ खोजने में मदद कर सकते हैं, और भविष्य में हमेशा आशा और विश्वास बनाए रख सकते हैं।”

मरियम येसु के लिए कोमलता थी; और उसी तरह वे कलीसिया एवं दुनिया के लिए कोमल हैं। जो निश्चित रूप से एक "प्रहरी" की भी बुलाहट है: कि वे कलीसिया और दुनिया के लिए मरियम की कोमलता को मूर्त रूप दें।

अंत में, संत पापा ने उनके समर्पण के लिए धन्यवाद देते हुए प्रोत्साहन दिया कि भौगोलिक और संख्या में बृद्धि के बावजूद वे सरल एवं हृदय के दीन बने रहें।

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11 January 2024, 16:42