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ते देउम में संत पापा: हमारे दिल कृतज्ञता और आशा से भरे रहें

संत पापा फ्राँसिस ने ईश्वर की माता मरियम की पारंपरिक प्रथम संध्या प्रार्थना समारोह में पिछले वर्ष के लिए कलीसिया के धन्यवाद भजन ‘ते देउम’ के गायन की अध्यक्षता की, जो नववर्ष की पूर्वसंध्या संत पेत्रुस महागिरजाघर में संपन्न हुई।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, सोमवार 01 जनवरी 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने 31 दिसंबर की शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघर में ईश्वर की मां मरियम की पारंपरिक प्रथम संध्या प्रार्थना समारोह का नेतृत्व किया और पिछले वर्ष के लिए धन्यवाद भजन ‘ते देउम’ का गायन किया। साल के अंत के पारंपरिक उत्सव के लिए लगभग 6,500 प्रतिभागी महागिरजाघर में एकत्रित हुए थे।

इस अवसर पर अपने उपदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने कृतज्ञता और आशा पर विचार किया और बताया कि कैसे विश्वास हमें सांसारिक मानसिकता से अलग जीवन जीने में सक्षम बनाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि "कुँवारी मरियम से जन्मे ईश्वर के पुत्र येसु मसीह में विश्वास, समय और जीवन का अनुभव करने का एक नया तरीका देता है" हमें ईश्वर के प्रति आभारी होने और भविष्य को आशा के साथ देखने में मदद करता है जो संतुष्टि और आशावाद की भावना से उपर है।

ईश्वर को धन्यवाद देना

संत पापा ने कहा, हालांकि ज्यादातर लोग कैलेंडर वर्ष की आखिरी रात को धन्यवाद देते हैं, लेकिन कभी-कभी "आवश्यक आयाम" गायब हो जाता है, वह है ईश्वर और हमारे भाइयों और बहनों के साथ हमारा रिश्ता। उन्होंने बताया कि कैसे इस धर्मविधि में, धन्यवाद के महान भजन, ‘ते देउम’ में हमारी आस्था से प्रेरित "स्तुति, आश्चर्य, कृतज्ञता" प्रभु के जन्म के उत्सव और कुँवारी मरियम से सीखने के साथ आती है।

हमारे दिल में आभार

संत पापा ने सुझाव दिया कि हम मरियम के दिल में अपार कृतज्ञता के बारे में सोचें क्योंकि उसने नवजात येसु को देखा था, ईश्वर की माँ के रूप में अनुभव की आश्चर्यजनक गहराई, जोसेफ के साथ यह जानना कि बच्चा कहाँ से आया था,  फिर भी उसने बालक के "साँस लेने, रोने का अनुभव किया, खाने, कपड़ा ढकने और हर जरुरत को पूरा करते हुए शिशु की देखभाल की।"

आशा के तीर्थयात्री

कलीसिया कृतज्ञता सीखती है, लेकिन आशा भी, संत पापा ने समझाया, क्योंकि मरियम आशा से भरी थी, अनुग्रह से भरी थी और इसलिए विश्वास और आशा से भरपूर थी। और यह सिर्फ आशावाद नहीं है, बल्कि "ईश्वर में विश्वास है जो अपने वादों के प्रति वफादार है," एक ऐसा विश्वास जो समय के उस आयाम में "आशा का रूप लेता है" जिसमें हम यात्रा कर रहे हैं। "ख्रीस्तीय, मरियम की तरह, आशा के तीर्थयात्री हैं।"

जयंती 2025

संत पापा ने तब याद किया कि जयंती 2025 का विषय "आशा के तीर्थयात्री" है। उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि कलीसिया और नागरिक समुदायों की अच्छी गवाही के साथ रोम एक "आशा का शहर" बनने के लिए तैयार हो, "एक ऐसा गवाह जो, घटनाओं से अधिक, जीवन की शैली, नैतिक और आध्यात्मिक गुणवत्ता में शामिल होते हुए एकसाथ जीवन बिताये।"

एक सरल उदाहरण के रूप में, उन्होंने सुझाव दिया कि संत पेत्रुस महागिरजाघर में आने वाले लोगों का अच्छी तरह से स्वागत का आश्वासन दिया जाना चाहिए, जो सभी राष्ट्रीयताओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को आकर्षित करता है। साथ ही, उन्होंने सुझाव दिया कि यह अच्छा होगा यदि बुजुर्ग और शारीरिक चुनौतियों से जूझ रहे लोग रोम के सार्वभौमिक ऐतिहासिक केंद्र की सुंदरता का दौरा करने और उसकी सराहना करने में सक्षम हो पायेंगे।

प्रार्थनामय तैयारी

अंत में, संत पापा ने याद किया कि कैसे एक तीर्थयात्रा, विशेष रूप से जुबली जैसी अनोखी तीर्थयात्रा के लिए पहले अच्छी तैयारी की आवश्यकता होती है और इसीलिए वर्ष 2024 प्रार्थना के लिए समर्पित होगा। उन्होंने कहा, धन्य माँ मरियम हमें यहाँ बहुत कुछ सिखा सकती हैं, क्योंकि हम खुशियाँ और दुःख, संतुष्टि और चुनौतियों को प्रत्येक दिन, प्रत्येक क्षण, प्रत्येक प्रयास को अपनी आंतरिक दृष्टि से येसु की ओर मोड़कर जी सकते हैं। सब कुछ उनकी उपस्थिति में और प्रभु की कृपा से कृतज्ञता और आशा के साथ जीवन जी सकते हैं।

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01 January 2024, 15:30