संत पापा : पवित्र भूमि में संघर्ष समाप्त करने के लिए कार्रवाई करें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, सोमवार 15 जनवरी 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 15 जनवरी को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में येरुसालेम के ‘स्टुडियम बिब्लिकुम फ्रांसिस्कनुम’ प्रोफेसरों, शैक्षणिक अधिकारियों और छात्रों से मुलाकात की। जो अपने संस्थान के सौंवी वर्षगाठ पर रोम आये हुए हैं। इसका उद्घाटन 7 जनवरी 1924 को येरूसालेम में येसु को कोड़े मारे जाने के तीर्थालय में किया गया था और कुछ साल बाद यह रोम में परमधर्मपीठीय अंतोनियानुम विश्वविद्यालय से जुड़ गया। तब से, इसका इतिहास हमेशा पवित्र भूमि में फ्रायर्स माइनर की उपस्थिति से जुड़ा रहा है। आज, सौ साल बाद, मैं कुछ पहलुओं को याद करना चाहूँगा।
पवित्र भूमि के लिए प्रार्थना
इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच संघर्ष की समाप्ति के लिए लगातार प्रार्थना करने का एक नया निमंत्रण देते हुए संत पापा ने कहा। पवित्र भूमि और उसमें रहने वाले लोगों की वर्तमान स्थिति हमें प्रभावित करती है और पीड़ा पहुँचाती है। यह हर दृष्टि से बेहद गंभीर है। यह बहुत गंभीर है। मैंने फादर फल्तास की बातें सुनीं, जो बातें उन्होंने मुझे बताईं और हर दिन मैं गाजा की पल्ली के साथ संवाद करता हूं, जो इस स्थिति से बहुत पीड़ित हैं।
संत पापा फ़्राँसिस का मानना है कि उन्हें जो समाचार प्राप्त हुए हैं वे जो कुछ हो रहा है उसके केवल "दो उदाहरण" हैं और दोहराते हैं कि परिस्थितियाँ कितनी गंभीर और चिंताजनक हैं।
यह स्थिति बहुत गंभीर है। इस त्रासदी को रोकने के लिए हमें प्रार्थना करनी चाहिए और अथक प्रयास करना चाहिए।
पवित्र भूमि में फ्रांसिसकन भिक्षुओं की गवाही
संत पापा फ्राँसिस ने शैक्षणिक संस्थान का प्रबंधन करने वाले फ्रांसिसिकन भिक्षुओं से कहा कि वे अपनी गवाही देना जारी रखें जहां ख्रीस्तीय धर्म की उत्पत्ति हुई थी।
यह आपके लिए उन यातनापूर्ण स्थानों में आपकी उपस्थिति के कारणों और गुणवत्ता, वहां आपकी उपस्थिति, उन लोगों की शहादत में गहराई से जाने के लिए एक और बड़ा प्रोत्साहन हो सकता है, जहाँ हमारे विश्वास की जड़ें निहित हैं।
स्टुडियुम बिब्लिकुम फ्रांसिस्कनुम का योगदान
संत पापा फ्राँसिस का मानना है कि बाइबिल में वर्णित स्थानों में, स्टुडियुम बिब्लिकुम फ्रांसिस्कनुम ने, "अपनी लाइब्रेरी और संग्रहालय के साथ, महत्वपूर्ण पुरातात्विक खुदाई को बढ़ावा दिया है और जारी रखा है" जिसमें से "कीमती खोजें सामने आई हैं", , जो विशिष्टता को भी रेखांकित करता है विश्वविद्यालय के मुख्य उद्देश्य है, "पवित्र धर्मग्रंथ के अध्ययन को पवित्र स्थानों और पुरातात्विक अनुसंधान के साथ जोड़ना।"
प्रेरितिक सेवा हेतु धर्मशास्त्र के अध्ययन को अंतिम रूप दें
संत पापा यह भी याद करते हैं कि बाइबिल ग्रंथों के प्रति फ्रांसिसकनों का प्रेम "संत फ्रांसिस की उसी इच्छा में स्थापित प्रेम" है, जो "ईश्वर के वचन के ज्ञान और उसके अध्ययन" को "सरल विद्वता का मामला" नहीं मानते थे। लेकिन ज्ञान प्रकृति के अनुभव, जिनका उद्देश्य, विश्वास में, लोगों को सुसमाचार को बेहतर ढंग से जीने और उन्हें अच्छा बनाने में मदद करना है।" असीसी के गरीब फ्रांसिस के शिष्य संत बोनावेंचर ने भी ब्रेविलोक्वियम के प्रस्तावना में रेखांकित करते हुए लिखा, "ईश्वर के वचन के उपहार का स्वागत करने के लिए 'सरल विश्वास के साथ पिता ईश्वर के पास जाना आवश्यक है और ''येस मसीह के सच्चे ज्ञान'' तक पहुंचने के लिए विनम्र हृदय से प्रार्थना करें।” संत पापा ने कहा, “आपकी शताब्दी के अवसर पर, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि पवित्रशास्त्र के प्रति इस प्रकार के दृष्टिकोण को नज़रअंदाज़ न करें। बाइबिल के स्रोतों का कठोर और वैज्ञानिक अध्ययन, सबसे अपडेट तरीकों और संबंधित विषयों से समृद्ध, आपको हमेशा ईश्वर के पवित्र लोगों के जीवन के साथ संपर्क में जोड़ा जा सकता है और आपके विशिष्ट करिश्मे का लाभ कलीसिया में प्रेरितिक सेवा के उद्देश्य से हो।
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने रेखांकित किया कि स्टूडियुम बिब्लिकुम फ्रांसिस्कानुम का काम ऐसे समय में कितना मूल्यवान है, जहाँ ईश्वर "हमें अपने वचन को बेहतर ढंग से सुनने और जानने के लिए कहते हैं, ताकि यह तेजी से समझने योग्य तरीके से दुनिया में गूंज सके।" संत पापा फ्रांसिस्कनों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, आप विद्वान अनुसंधान, शिक्षण और पुरातात्विक गतिविधि को आगे बढ़ाना जारी रखे।"
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here