एथलेटिका वाटिकाना से संत पापा: 'दुनिया में शांति का पुल बना सकता है खेल '
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार, 13 जनवरी 2024 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार सुबह वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में एथलेटिका वाटिकाना खेल संघ के सपरिवार खिलाड़ियों का स्वागत किया। संत पापा ने उनका अभिवादन करते हुए कहा कि बच्चों और परिवार के साथ रहना कितना अच्छा लगता है। संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय और इतालवी खेल अधिकारियों को भी अपना अभिवादन भेजा, जो अपनी उपस्थिति से परमधर्मपीठ के साथ बातचीत और सहयोग की जीवंतता की गवाही देते हैं।
शौकियापन हमेशा बनाए रखें
संत पापा फ्राँसिस ने टूटी हुई दुनिया में शांति और भाईचारा बनाने और समाज में एकजुटता और समावेशन को बढ़ावा देने के साधन के रूप में खेल के महत्व को याद किया।
संत पापा ने सड़कों, पगडंडियों और खेल के मैदानों पर एथलेटिका वटिकाना की उपस्थिति और खेल की महान दुनिया में ख्रीस्तीय गवाही के लिए अपनी खुशी व्यक्त की, जो आज सबसे व्यापक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, बशर्ते कि शौकियापन हमेशा बनाए रखा जाए। जो खेल की रक्षा करता है।
संत पापा ने कहा, “यह महत्वपूर्ण है कि हमारी बैठक 2024 के पहले दिनों में होगी, जो ओलंपिक और पैरालंपिक वर्ष है। "ओलंपिक संघर्ष विराम" के मूल्य पर विचार करते हुए, मेरी आशा है कि, जिस विशेष रूप से अंधेरे ऐतिहासिक क्षण का हम अनुभव कर रहे हैं, खेल पुलों का निर्माण कर सकता है, बाधाओं को तोड़ सकता है, शांतिपूर्ण संबंधों को बढ़ावा दे सकता है।”
भाईचारा, समावेश और एकजुटता
ठीक पाँच वर्ष पहले शुरु हुए एथलेटिका वाटिकाना खेल संघ की प्रशांसा करते हुए संत पापा ने कहा कि सादगी के साथ, एथलेटिका वाटिकाना खेल जगत की महिलाओं और पुरुषों, शौकीनों और पेशेवरों के बीच ख्रीस्तीय धर्म की गवाही देते हुए भाईचारे, समावेश और एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
संत पापा ने कहा, “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि वे अन्य एथलीटों के साथ दौड़ते हुए या साइकिल चलाते हुए या उनके साथ खेलते हुए अपने जीवन को साझा करने का प्रयास करते हैं। एथलेटिका वाटिकाना की पहल - सबसे सरल और सबसे सहज से लेकर अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी तक - महिलाओं और पुरुषों से बने एक समुदाय की अभिव्यक्ति के रूप में परमधर्मपीठ की आम सेवा से जुड़े हुए हैं। वे धर्म प्रचार के अनुभव के रूप में खेल के जुनून को जीते है।”
निकटता और कोमलता
संत पापा ने कहा कि उनका संघ खेल गतिविधियों के अलावा, जरूरतमंद लोगों को प्रार्थना और सेवा के क्षण भी प्रदान करता है। सबसे कमजोर लोगों के साथ ठोस निकटता पूरी तरह से उनके मिशन का हिस्सा है। संत पापा शारीरिक रूप से विकलांग और बौद्धिक विकलांगता वाले युवाओं, कैदियों, प्रवासियों, सबसे गरीब परिवारों के साथ उनके एशोसिएशन की पहल के बारे में कहते हैं, “यह अच्छा है कि ओलंपिक और पैरालंपिक चैंपियन, राजनयिक और कूरिया के सदस्यों सहित हर कोई इन बैठकों में समान सम्मान के साथ भाग लेता है। मैं "निकटता" शब्द पर लौटता हूँ, एक निकटता जो खेल के माध्यम से कोमल हो जाती है। जैसे ईश्वर हमारे साथ है: ईश्वर निकट है और वह कोमल है, और इसी कारण वह दयालु है।”
समाज निर्माण का भी माध्यम खेल
संत पापा ने कहै कि खेल न केवल अपनी प्रतिभा को अभिव्यक्त करने का माध्यम है बल्कि समाज निर्माण का भी माध्यम है। खेल वास्तव में हमें भाईचारे का मूल्य सिखाता है। हम अकेले नहीं हैं: खेल मैदान में, किसी व्यक्ति की उत्पत्ति, भाषा या संस्कृति कोई मायने नहीं रखती। प्रतिबद्धता और सामान्य लक्ष्य मायने रखता है। खेल में एकता हमारे जीवन के लिए एक शक्तिशाली रूपक है। यह हमें याद दिलाता है कि, हमारे मतभेदों के बावजूद, हम सभी एक ही मानव परिवार के सदस्य हैं। खेल में लोगों को उनकी शारीरिक, आर्थिक या सामाजिक क्षमताओं की परवाह किए बिना एकजुट करने की शक्ति है। यह एक समावेशन उपकरण है जो बाधाओं को तोड़ता है और विविधता का जश्न मनाता है। द्वितीय वाटिकन महासभा ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि खेल "विभिन्न राष्ट्रों या नस्लों के सभी परिस्थितियों के पुरुषों के बीच भाईचारे के संबंध स्थापित करने में मदद कर सकता है।" (गौदियुम एत स्पेस, 61)
युवाओं के लिए आशा का संदेश
आगे संत पाप ने कहा कि खेल सम्माननीय नियमों से बना होता है। विनम्रता के साथ जीतना और हार को सम्मान के साथ स्वीकार करना ऐसे मूल्य हैं जो खेल सिखाते हैं और जिन्हें अधिक न्यायपूर्ण और भाईचारापूर्ण समाज बनाने के लिए रोजमर्रा की जिंदगी में अपनाया जाना चाहिए। जैसा कि पूजनीय पापा पियुस बारहवें ने इतालवी खिलाड़ियों के लिए कहा था, “खेल वफ़ादारी की पाठशाला है, साहस की पाठशाला है, धैर्य की, दृढ़ संकल्प की, सार्वभौमिक भाईचारे की, सभी प्राकृतिक गुणों की, जो अलौकिक गुणों को एक ठोस आधार प्रदान करती है।“ ( 25 मई 1945)
खेल हमें यह भी दिखाता है कि हम धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ अपनी सीमाओं का सामना कर सकते हैं। प्रत्येक एथलीट, अनुशासन और प्रतिबद्धता के माध्यम से, हमें सिखाता है कि विश्वास और दृढ़ता के साथ हम उन लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था। आशा और साहस का यह संदेश विशेषकर युवाओं के लिए महत्वपूर्ण है।
संत पापा ने उन्हें खेल को एक जीवन पथ के रूप में देखने के लिए प्रोत्साहित किया जो उन्हें एक अधिक सहायक समुदाय बनाने और ख्रीस्तीय जीवन के मूल्यों :वफादारी, त्याग, टीम भावना, प्रतिबद्धता, समावेश, तपस्या, क्षमा आदि को आगे बढ़ाने में मदद करता है। संत पापा ने कहा, “शौकियापन के बारे में मत भूलिए, जो उस रस की तरह है जो खेल गतिविधि को जीवन देता है। हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ दें!”
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