मनुष्य की भलाई का अर्थ है उसकी प्रतिष्ठा का उत्थान, सन्त पापा
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 जनवरी 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): इटली के ऊनीकॉप फीरेन्से नामक व्यासायिक न्यास के सदस्यों से वाटिकन में शुक्रवार को मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा फ्राँसिस ने इस तथ्य की पुनरावृत्ति की कि मनुष्य की भलाई का अर्थ उसे आर्थिक समर्थन देना ही नहीं है बल्कि इससे भी बढ़कर उसकी प्रतिष्ठा को प्रोत्साहन प्रदान करना है।
सराहना
"इल कुओरे सी शोल्ये" अर्थात् "दिल पिघल जाता है" नामक उक्त व्यावसायिक न्यास के सदस्यों के उदारतापूर्ण कार्यों की सन्त पापा फ्राँसिस ने भूरि-भूरि प्रशंसा की।
उन्होंने कहा कि तीन राजाओं के पर्व की पूर्वसन्ध्या न्यास के सदस्यों से मिलना अर्थपूर्ण है, जो हमें प्रभु के देहधारण के रहस्य पर चिन्तन हेतु आग्रह करता है। उन्होंने कहा, "यह आध्यात्मिक संदर्भ आपकी प्रतिबद्धता के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो 50 वर्षों से, एक सहकारी के रूप में, और विगत दस से, एक फाउंडेशन के रूप में, सेवा के विभिन्न क्षेत्रों में सबसे जरूरतमंद लोगों के प्रति लक्षित है।"
सन्त पापा ने कहा कि यह सराहनीय है कि "आर्थिक गरीबी से लेकर आवश्यकता तक, अकेलेपन से लेकर प्रशिक्षण की आवश्यकता तक, वित्तीय और खाद्य सहायता के सामान्य साधनों के अलावा, लंबी पैदल यात्रा, साहित्य, कला और संगीत जैसे कई अन्य उपकरणों के उपयोग द्वारा उक्त न्यास अनेकानेक लोगों की सेवा में संलग्न है।"
व्यक्ति की प्रतिष्ठा
सन्त पापा ने कहा कि "इल कुओरे सी शोल्ये" ऊनीकूप न्यास ने केवल व्यावसायिक लाभ को ही मन में नहीं रखा बल्कि दूसरों की भलाई के लिये कुछ करना चाहा। धर्मग्रन्थ की अभिव्यक्ति का यदि प्रयोग करें तो हम कह सकते हैं कि उन्होंने "बंजर पत्थर दिल" के बजाय "हरे-भरे मांस के दिल" के निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहा।
उन्होंने कहा कि ऊनीकूप ने वास्तव में एक मानवीय आयाम को चुना और वह हैः दूसरों के लिए कुछ करने में मदद करना, उदारपूर्वक दान करना और सक्रिय प्रेम का वरण करना।
सन्त पापा ने कहा, " इस प्रकार, याद रखें कि व्यक्ति की भलाई की रक्षा करने का अर्थ न केवल उनके कुछ क्षेत्रीय हितों का ख्याल रखना है, बल्कि व्यक्तियों के समग्र विकास और गरिमा को बढ़ावा देना है।" इस स्तर पर, उन्होंने कहा, " जिनके पास अधिक संभावनाएँ हैं और जो ग़रीबी में जी रहे हैं, उनके बीच का मिलन केवल परोपकार तक सीमित होने से कहीं दूर, हमेशा पारस्परिक संवर्धन के लिए संभावित अवसर का गठन करता है।"
वर्तमान विश्व में व्याप्त युद्ध और हिंसा की पृष्ठभूमि में सन्त पापा ने ऊनीकूप के सदस्यों से आग्रह किया कि वे अपने काम में, संसाधनों और कौशल के बंटवारे में व्यक्ति के समग्र विकास, और सामुदायिक विकास और उससे भी बढ़कर सभी की भलाई का लक्ष्य जारी रखें।
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