फ्राँसिसकन पत्रिका से पोप : युद्ध भरी दुनिया में शांति के पुल निर्माता बनें
वाटिकन न्यूज
संत पापा ने गौर किया कि इस समय बहुत अधिक क्रूरता है, कई लोग राजनीतिक कारणों से जेल में हैं। उन्होंने कहा, “इसलिए मैं शांति के पुल निर्माण करने का आग्रह करता हूँ। यह एक कृपा है जिसको हमें संत फ्रांसिस से मांगनी चाहिए और आप फ्रांसिसकन्स को इन पुलों के निर्माण में मदद करनी चाहिए।" इन शब्दों के साथ पोप फ्रांसिस ने मासिक पत्रिका इटली के संत फ्रांसिस को दिए साक्षात्कार के दौरान पवित्र कॉन्वेंट के धर्मबंधुओं एवं पुरोहितों को संबोधित किया है। पवित्र कॉन्वेंट के धर्मबंधुओं द्वारा प्रकाशित पत्रिका का जनवरी अंक इन्हीं दिनों प्रकाशित होने वाला है।
संत पापा के साथ बातचीत 29 दिसम्बर को हुई थी। जब उन्होंने फ्रायर्स माइनर कॉन्वेंटुअल के प्रमुख कार्लोस त्रोवारेल्ली ओएफएमसी एवं पवित्र कॉन्वेंट संचार कार्यालय के निदेशक जुलियो चेसारेयो ओएफएमसी के साथ मुलाकात की थी। पोप फ्रांसिस से पूछा गया कि उनके लिए संत फ्रांसिस कौन हैं - इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे "एक विशेष संत हैं, जिन्होंने एक विशेष तरीके से प्रभु येसु का अनुकरण किया।"
पोप ने बतलाया कि वे विनम्रता और अच्छाई के संत हैं; वे धैर्यवान हैं और खुद को हर किसी के लिए पूरी तरह से समर्पित करते हुए किसी से कुछ नहीं मांगा। संत फ्रांसिस ने इसी तरह ईश्वर का अनुकरण करने का फैसला किया और उन्होंने अंत तक ऐसा किया।
अंत में, संत पापा ने उस उपहार पर प्रकाश डाला जो पवित्र आत्मा फ्रांसिसकन लोगों के माध्यम से कलीसिया को देना चाहते हैं: वह है अच्छाई। पोप फ्रांसिस ने बताया कि अच्छाई का मतलब है साक्ष्य और क्षमाशीलता। पोप ने जोर देकर कहा, "एक फ्रांसिस्कन को मेल-मिलाप के संस्कार के लिए बहुत तत्पर होना चाहिए, सब कुछ माफ कर देना चाहिए", इस बात पर जोर देते हुए कि "ईश्वर माफ करने से नहीं थकते" और "संत फ्रांसिस का दिल बड़ा था और वे भी माफी देते नहीं थकते थे।" पोप ने अंत में कहा कि वे फ्रांसिसकन लोगों से जो अपेक्षा करते हैं, वह यह है कि "वे मेल-मिलाप और क्षमा के प्रेरित बनें"।
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