संत पापाः उदासी हृदय में एक कीड़ा है
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित विश्व भर के सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात।
हम गुणों और अवगुणों पर अपनी धर्मशिक्षा माला की कड़ी में आज एक छोटे अवगुण उदासी पर चिंतन करेंगे, जो हृदय की निराशा है। यह मानव में व्याप्त रहने वाला एक निरंतर कष्ट है जो उसके जीवन की खुशी में रोड़ा बनती है।
उदासी के दो रूप
सर्वप्रथम हम इस बात पर गौर करें कि इसके संबंध में कलीसिया के आचार्यों ने विशेष अंतर को व्यक्त किया है। वास्तव में, हम ख्रीस्तीय के जीवन में एक उचित उदासी को पाते हैं और वह ईश्वर की कृपा से खुशी में परिणत हो जाती है, निश्चित रुप में यह हमें अपने से दूर नहीं करती है बल्कि हमारे लिए परिवर्तन का मार्ग बनती है। लेकिन हम एक दूसरे तरह की उदासी को पाते हैं जो हमारे हृदय में घर कर जाती और हमें निराश में चारो खाने चित कर देती है। हमें इस दूसरे तरह की उदासी से साहस और शक्ति से लड़ने की जरुरत है क्योंकि यह हमारे लिए शौतान से आती है। संत पौलुस कुरिथियों के नाम अपने पत्र में इसके बारे कहते हैं “ईश्वर की ओर से आने वाली उदासी हमें पश्चाताप की ओर अग्रसर करती है यह हमारे लिए मुक्ति का कारण बनती लेकिन दुनियावी उदासी हममें मृत्यु उत्पन्न करती है।”
उदासी मुक्ति का मार्ग
संत पापा ने कहा कि इस भांति हम एक मित्रवत उदासी को पाते हैं जो हमारे लिए मुक्ति लाती है। इसके संबंध में हम उड़ाव पुत्र के दृष्टांत को देख सकते हैं, जब वह अपने जीवन के सबसे निम्न स्थिति में पहुंचता तो उसे घोर पश्चताप का अनुभव होता है, यह उसमें चेतना लाती है, और वह अपने पिता के घर लौटने की सोचता है। यह अपने किये गये पापों पर विलाप करने की कृपा लाती है, यह हमें कृपा की दशा से गिरने की याद दिलाती है, यह हममें आंसू लाती क्योंकि हम उस शुद्धता को खो देते हैं जिसकी चाह ईश्वर हमसे करते हैं।
उदासी- नखुशी की खुशी न बनें
वहीं दूसरी उदासी हमारे लिए आत्मा की बीमारी है। यह मानव हृदय में तब उत्पन्न होती जब एक इच्छा या आशा खत्म हो जाती है। सुसमाचार में हम इसे एम्माऊस की राह दो शिष्यों में पाते हैं। वे दो शिष्य निराशा में येरुसालेम छोड़ते हैं, वे अपने मन की दुःखद भरी स्थिति को एक अपरिचित के सामने रखते हैं जो उनके संग चलता है, “हमने आशा की थी कि वे- येसु येरुसालेम का उद्धार करेंगे। उदासी के इस आयाम को हम उनके खोने के अनुभव में पाते हैं। मानव के हृदय में उठती आशाएं कई बहुत टूट कर बिखर जाती हैं। यह किसी चीजे को अपने में धारण करने की तमन्ना हो सकती है जिसे हम अपने में हासिल नहीं कर सकते हैं, लेकिन यह अपने में महत्वूपूर्ण हो सकता है जैसा की हमारी एक भावना का टूटना। जब ऐसा होता है तो मनुष्य को ऐसा लगता है मानो उसमें पहाड़ गिरा गया हो, और ऐसी स्थिति में वह अपने में निराशा का अनुभव करता है, उसका जोश कमजोर हो जाता, वह अपने में हताश और दुखित हो जाता है। हम सभी अपने जीवन के तूफान भरे क्षणों से होकर गुजरते हैं जो हममें उदासी उत्पन्न करती है क्योंकि ये हमें इस बात का एहसास दिलाती है कि हमारे सपने टूट गये हैं। ऐसी स्थिति में कुछेक हैं जो कठिनाई को बाद अपने में आशावान बने रहते हैं, तो वहीं दूसरे अपने को उदासी से घिरा पाते हैं जो उनके हृदयों को जंजीरों में कैद कर लेती है। संत पापा ने कहा “क्या आप ऐसी परिस्थिति में खुश रहते हैंॽ हम ऐसी स्थिति में ध्यान दें क्योंकि ऐसी स्थिति में हम कड़वाहट के घूंट को पीते हैं जो अपने में स्वादहीन होता है। उदासी अपने में नखुशी की खुशी बन जाती है।”
अतीत से चंगाई जरुरी है
उन्होंने कहा कि कुछ शोक जहाँ एक व्यक्ति किसी के गुजर जाने से सदैव शोकित रहता है तो यह जीवन के लिए उचित नहीं है। जीवन में कुछ क्रोध भरे कटुता के क्षण जिसे व्यक्ति अपने में धारण करता जो उसे किसी का शिकार होने का आभास दिलाता है तो यह हममें स्वास्थ्यपूर्ण जीवन का संचार नहीं करता है, चाहे वह ख्रीस्तीय ही क्यों न हो। हर किसी के जीवन का एक अतीत है जिससे हमें चंगाई प्राप्त करने की आवश्यकता है। उदासी जो हमारे जीवन का एक स्वाभाविक मनोभाव है हमारे मन को बुरा बना सकती है।
उदासी हृदय में कीड़ा है
जीवन की उदासी एक विनाशकारी शैतान है। मरूभूमि के आचार्य इसे हृदय में कीड़े की संज्ञा देते हैं जो हमें अंदर ही अंदर खोखला कर देता है। यह एक सुन्दर छवि है। यह इस बात को समझने में मदद करती है कि एक कीड़ा किस भांति हमारे हृदय के अंदर की चीजों को खत्म कर देता है। हम इस उदासी के प्रति सचेत रहें और येसु के बारे में चिंतन करें जो हमारे लिए पुनरूत्थान की खुशी लाते हैं। संत पापा ने येसु के पुनरूत्थान की ओर निगाहें गड़ाने का आहृवान किया जहाँ से हमारे लिए जीवन की सारी आशाएँ आती हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन उदासी की घड़ी में मैं क्या करूँॽ आप रुकें और देखें क्या यह अच्छी उदासी हैॽ क्या यह बुरी उदासी हैॽ इस तरह हम उदासी की प्रकृति के अनुसार व्यवहार करें। आप इस बात को न भूलें कि उदासी एक बहुत बुरी चीज है जो हमें निराशावाद बना सकती है, यह हमें स्वार्थी बना सकती है जिसका उपचार अपने में कठिन है।
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