इफाड से पोप : हमारे भोजन की बर्बादी सभी भूखों को खाना खिला सकता था
वाटिकन न्यूज
रोम, बृहस्पतिवार, 15 फरवरी 2024 (रेई) : पोप फ्राँसिस ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) के प्रबंध समिति के 47वें सत्र में प्रतिभागियों को एक संदेश भेजा।
उन्होंने संदेश में "एक बेहतर दुनिया के लिए प्रयास करने हेतु समर्पित प्रतिबद्धता, समय और ऊर्जा के लिए अपना आभार व्यक्त किया, जहाँ किसी की गरिमा का उल्लंघन नहीं किया जाता है और जहाँ भाईचारा एक वास्तविकता बन जाता है, जो सभी के लिए खुशी और आशा का स्रोत बनता है।"
संत पापा ने कहा कि आज हमारी दुनिया भोजन से संबंधित एक हृदयविदारक विरोधाभास का सामना कर रही है।
उन्होंने कहा, ''एक ओर जहाँ लाखों लोग भूख से त्रस्त हैं, वहीं दूसरी ओर भोजन की बर्बादी को लेकर बड़ी असंवेदनशीलता देखी जा रही है।''
पोप ने कहा कि यह खाद्य अपशिष्ट हर साल बड़ी मात्रा में ग्रीनहाउस गैसें पैदा करता है, जबकि उचित राशन व्यवस्था सभी भूखों को खिलाने के लिए पर्याप्त होती।
पोप ने जलवायु में परिवर्तन, संसाधनों की लूट और लाखों लोगों की आजीविका को खतरे में डालनेवाले अनगिनत संघर्षों का वर्णन करते हुए चेतावनी दी, "हम दुनिया को खतरनाक सीमा तक धकेल रहे हैं।"
पोप फ्राँसिस ने कहा कि संकटों का सामना करने में, चाहे वे कुछ भी हों, सबसे पहले ग्रामीण समुदाय ही प्रभावित होते हैं।''
उन्होंने आगे कहा, "आदिवासी भी कठिनाई, अभाव और दुर्व्यवहार के शिकार हैं", जबकि "प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के बारे में उनका ज्ञान और पर्यावरण से उनका संबंध जैव विविधता के संरक्षण में मदद करता है।"
तब पोप फ्राँसिस ने लोगों के एक अन्य उपेक्षित समूह की बात की: महिलाएँ, जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में आधे से अधिक खाद्य असुरक्षित घरों के मुख्य सहारा हैं, जहाँ कई युवाओं के पास प्रशिक्षण, संसाधनों और अवसरों की कमी है।
पोप ने उपस्थित सभी लोगों को "काम करने" के लिए आमंत्रित करने से पहले कहा, "यह वास्तविकता हमें मौजूदा समस्याओं, विशेष रूप से भूख और गरीबी का सामना करने के लिए प्रेरित करती है, अमूर्त रणनीतियों या अप्राप्य प्रतिबद्धताओं के लिए समझौता करके नहीं, बल्कि सामूहिक कार्रवाई से उत्पन्न होनेवाली आशा को विकसित करके।" एक अधिक समावेशी कृषि और खाद्य प्रणाली का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करें।”
अंत में, संत पापा ने प्रार्थना की कि एक निष्ठावान सहयोग और सेवा की भावना, हमारे अंतःकरण का मार्गदर्शन करे ताकि बहिष्कार, गरीबी और संसाधनों के कुप्रबंधन के कारणों के साथ-साथ जलवायु संकट के प्रभावों को भी खत्म किया जा सके।”
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