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100 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी पूर्वी आचे में पहुँचे 100 से अधिक रोहिंग्या शरणार्थी पूर्वी आचे में पहुँचे  (ANSA)

संत पापा: ‘हर जगह इतने सारे युद्ध, हमें शांति की जरूरत है’

बुधवारीय आम दर्शन समारोह के अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने रोहिंग्या के आपातकाल को न भूलते हुए, संघर्षों से घायल यूक्रेन, इज़राइल और फिलिस्तीन के लिए एक नई अपील की: "आइए, हम शांति के लिए प्रार्थना करें।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार, 7 फरवरी 2024 (रेई) : कागज पर नजरें झुकाये, भले ही उस पर कोई अपील न लिखी हो, शब्द वास्तव में दिल से और नई मौतों, हजारों घायलों, बमबारी, घरों और शहरों के नष्ट होने, मिसाइलों और ड्रोन हमलों के बारे में जान कर पैदा हुए दर्द से अपील के शब्द निकलते हैं। संत पापा ने आम सभा के अंत में कहा, "आइए, हम युद्धों को न भूलें।" उन्होंने संत पापा पॉल षष्टम सभागार में मौजूद 5,500 विश्वासियों से आग्रह किया कि वे इस भयावहता का आदी न बनें जो दुनिया को प्रभावित कर रही है।

युद्ध, हमेशा हार है

“आइए, पीड़ित यूक्रेन, फ़िलिस्तीन, इज़राइल और रोहिंग्या लोगों को न भूलें। अनेक, अनेक युद्ध जो हर जगह हैं। हम शांति के लिए प्रार्थना करते हैं...संत पापा फ़्राँसिस उस कहावत को दोहराते हैं जो अब हर सार्वजनिक अवसर पर दोहराई जाती है: "युद्ध हमेशा हार होती है"। "हमेशा", वे आज भी दोहराते हैं, सबसे बढ़कर प्रार्थनाएँ माँगते हैं। यह प्रत्येक ख्रीस्तीय का पहला ठोस कार्य है।

“हम शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। हमें शांति चाहिए।”

रोहिंग्या, म्यांमार के लिए नवीनीकृत अपील

संत पापा फ्राँसिस, जिन्होंने 2017 में म्यांमार और बांग्लादेश दोनों का दौरा किया था, रोहिंग्या शरणार्थियों की पीड़ा के खिलाफ बार-बार आवाज उठाई है। रोहिंग्या, जिन्हें 1982 से म्यांमार में नागरिकता से वंचित कर दिया गया है, उन्हें राज्यविहीन बना दिया गया है, उन्हें दुनिया में सबसे अधिक उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में से एक के रूप में वर्णित किया गया है, और कई दशकों के दौरान वे भूमि या नाव से पड़ोसी देशों में भाग गए हैं।

2 फरवरी 2021 को म्यांमार में सैन्य तख्तापलट ने उनकी भेद्यता को और बढ़ा दिया।

हाल ही में 28 जनवरी को देवदूत प्रार्थना के बाद म्यांमार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने मानवीय सहायता की सुविधा के लिए अपील की, सभी से बातचीत का रास्ता अपनाने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा, "अब तीन साल से, दर्द की चीख और हथियारों की गड़गड़ाहट ने उस मुस्कान की जगह ले ली है जो म्यांमार के लोगों की विशेषता है।"

उन्होंने बर्मी धर्माध्यक्षों की आवाज के साथ अपनी आवाज मिलाते हुए प्रार्थना की कि "विनाश के हथियारों को मानवता और न्याय में वृद्धि के लिए उपकरणों में तब्दील किया जा सकता है।"

जबकि संत पापा ने स्वीकार किया कि शांति एक यात्रा है, उन्होंने इसमें शामिल सभी पक्षों को "बातचीत के कदम उठाने और खुद को समझ के साथ तैयार करने" के लिए आमंत्रित किया ताकि "म्यांमार की भूमि भाईचारे के मेल-मिलाप के लक्ष्य तक पहुंच सके।"

उन्होंने कहा, "प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के लिए मानवीय सहायता को आगे बढ़ने दिया जाए।"

म्यांमार में तीन साल पहले सत्ता पर कब्ज़ा करने वाली सैन्य सरकार के खिलाफ लड़ाई इस हद तक बढ़ गई है कि ज्यादातर लोग कहते हैं कि देश अब गृहयुद्ध में है।

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07 February 2024, 16:08