संत पापाः पुरोहित की प्रेरिताई का केंद्र सहयोग और सेवा है
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, 26 फरवरी 2024 : पुरोहिताभिषेक की तैयारी कर रहे उपयाजकों के लिए तैयार एक संबोधन में, संत पापा फ्राँसिस ने पुरोहित की प्रेरिताई के तीन पहलुओं पर प्रकाश डाला : धर्माध्यक्ष के साथ सहयोग, ईश्वर के लोगों के लिए सेवा और पवित्र आत्मा द्वारा मार्गदर्शन।
हालाँकि संत पापा के स्वास्थ्य के कारण एक निर्धारित बैठक स्थगित कर दी गई थी, संत पापा की टिप्पणी शनिवार को वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा प्रकाशित की गई थी।
ईमानदार सहयोगी
संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें सबसे पहले याद दिलाया कि कलीसिया उन्हें मुख्य रूप से नेता बनने के लिए नहीं कहती है, बल्कि धर्माध्यक्ष का ईमानदार सहयोगी बनने के लिए कहती है। उन्होंने कहा, पुरोहितों को कलीसिया की "एकता के रहस्य" के गवाह बनने के लिए बुलाया जाता है, विशेष रूप से भाईचारे, निष्ठा और विनम्रता के माध्यम से।
संक्षेप में, उन्होंने कहा, पुरोहित एक गायक मंडली के सदस्य होते हैं, "एकल कलाकार नहीं"; पल्ली समुदाय में भाईयों की तरह और पल्ली में न कि केवल एक विशेष समूह के लिए, बल्कि सभी के लिए पुरोहित हैं।
ईश्वर के लोगों की सेवा करना
संत पापा ने कहा, पुरोहित की प्रेरिताई का दूसरा पहलू ईश्वर के लोगों की सेवा है। उन्होंने कहा कि पुरोहिताई उपयाजकता में निहित है, जो पुरोहिताभिषेक के बाद समाप्त नहीं होती है। उन्होंने कहा, पुरोहित येसु के अनुरूप बनने के लिए बुलाये जाते हैं, जो "सेवा कराने नहीं, बल्कि सेवा कराने आए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, यह सेवा अमूर्त नहीं हो सकती, बल्कि ठोस होनी चाहिए: "सेवा करने का अर्थ है उपलब्ध होना, अपने स्वयं के एजेंडे के अनुसार जीवन जीना त्यागना, ईश्वर के आश्चर्य के लिए तैयार रहना... यह स्वीकृति, करुणा और कोमलता का एक निरंतर मनोभाव है ।"
पवित्र आत्मा द्वारा मार्गदर्शन
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने जोर देकर कहा कि पुरोहितों को हमेशा पवित्र आत्मा को "प्रधानता" देनी चाहिए, जो उन पर उतरेगा। संत पापा ने कहा, "यदि ऐसा होता है, तो आपका जीवन... प्रभु की ओर और प्रभु द्वारा उन्मुख होगा और आप वास्तव में 'प्रभु के व्यक्ति' होंगे।"
यह येसु के "दैनिक अभिषेक" के माध्यम से आता है "जब हम उसकी उपस्थिति में खड़े होते हैं, जब हम उसकी आराधना करते हैं, जब हम उसके वचन के साथ अंतरंग होते हैं, तो यह बदले में, "प्रभु भक्तों के लिए, मानवता के लिए, उन लोगों के लिए उनके सामने हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाता है जिनसे हम हर दिन मिलते हैं।"
संत पापा फ्राँसिस ने रोम के उपयाजकों को ईश्वर के प्रति उनकी "हां" के लिए धन्यवाद देते हुए और उनसे हर दिन उनके लिए प्रार्थना करने के लिए कहते हुए अपनी टिप्पणी समाप्त की।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here