कार्डिनल चाउ : सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण में ताओवादी एवं ख्रीस्तीय एक साथ
वाटिकन न्यूज
हांगकांग में चल रहे एक सम्मेलन की विषयवस्तु है "अंतरधार्मिक संवाद के माध्यम से एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण", जिसमें ख्रीस्तीयों और ताओवादियों को तीन दिनों के चिंतन और चर्चा के लिए एक साथ लाया गया है।
अंतरधार्मिक वार्ता के लिए गठित वाटिकन विभाग और हांगकांग के काथलिक धर्मप्रांत एवं ताओवादी संघ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सम्मेलन में पूरे एशिया के साथ-साथ कुछ यूरोपीय देशों के विद्वान और विशेषज्ञ भी भाग ले रहे हैं।
जैसे ही सम्मेलन का पहला दिन समाप्त हुआ, हांगकांग के बिशप, कार्डिनल स्टीफन चाउ और अंतरधार्मिक संवाद विभाग के सचिव मोनसिन्योर इंदुनिल जनकरत्ने कोडिथुवाक्कू कंकनामलगे ने ख्रीस्तीय धर्म और ताओवाद के बीच संपर्क के बिंदुओं के बारे में वाटिकन न्यूज के डेविन वॉटकिंस से बात की।
सेवा की साझा भावना
कार्डिनल चाउ ने कहा, सम्मेलन का उद्देश्य "यह प्रदर्शित करना है कि कैसे धर्म हमारे समाज के निर्माण के लिए रचनात्मक भागीदार बनने के लिए हाथ मिला सकते हैं।"
कार्डिनल ने कहा, "ताओवादी धर्म का दृष्टिकोण दुनिया में शांति और एकता की ओर एक आंदोलन को बढ़ावा देना है, जहां मानवता और मार्ग - हम कहेंगे 'प्रतीक चिन्ह' - जुड़े हुए हैं।"
उन्होंने आगे कहा, आशा है कि सेवा की इस साझा भावना की मान्यता से "चीन में धर्म के मूल्य और अर्थ को बेहतर ढंग से सराहा जाएगा।"
संवाद के लिए मात्तेओ रिच्ची का मॉडल
हांगकांग के बिशप ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्म और ताओवाद "दया, सादगी और सांसारिक उपलब्धियों के लिए प्रयास न करने के मूल्यों को साझा करते हैं।"
उन्होंने दूसरी संस्कृतियों और धर्मों के प्रति खुलेपन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि "हमारी काथलिक कलीसिया स्वीकार करता है कि वे भी जीवन और जीवन जीने की भावना की समझ के लिए दिव्य रहस्योद्घाटन के साथ - हालांकि अलग-अलग डिग्री तक - धन्य हैं।"
इस दृष्टिकोण का उदाहरण देनेवाले किसी व्यक्ति के उदाहरण के रूप में, कार्डिनल चाउ ने 16वीं सदी के जेसुइट मिशनरी, फादर मात्तेओ रिच्ची का मॉडल पेश किया जो चीनी भाषा और संस्कृति के अपने ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे।
उन्होंने कहा, फादर रिच्ची "धर्म और संस्कृति के बीच संवाद करने, कन्फ्यूशियस, बौद्ध और ताओवादियों की आध्यात्मिकता को हमारे काथलिक विश्वास एवं आध्यात्मिकता के साथ एकीकृत करने के आदर्श मॉडल हैं।"
कार्डिनल चाउ ने गौर किया कि उन्होंने "चीनी लोगों और चीनी सरकार से बहुत प्रशंसा और सम्मान जीता।"
संवाद की आध्यात्मिक शक्ति
इस बीच, मोसिन्योर कोडिथुवाक्कू ने आज की संघर्षपूर्ण दुनिया में बातचीत के महत्वपूर्ण क्षणों पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, “जैसा कि हम सभी जानते हैं, हम बहुत कठिन समय में जी रहे हैं। आशा की कमी है, निराशा है।”
इसलिए, "इस तरह की बैठकें, दुनिया को एक प्रतीकात्मक संदेश देती हैं, कि बातचीत संभव है और हम एक साथ बैठ सकते हैं और चर्चा कर सकते हैं, एक साथ काम कर सकते हैं और एक साथ चल सकते हैं।"
मोनसिन्योर ने जोर देकर कहा, अब चल रहे ख्रीस्तीय-ताओवादी सम्मेलन में "न केवल हांगकांग, बल्कि व्यापक दुनिया में भी योगदान करने की क्षमता है।"
श्रीलंका के पुरोहित ने इस प्रकार के आदान-प्रदान के आध्यात्मिक मूल्य पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, "इस तरह के संवाद में, हम ईश्वर के रहस्य में प्रवेश करते हैं। दूसरे को सुनने से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि ईश्वर ने खुद को उनके सामने कैसे प्रकट किया है... हम दूसरों के पवित्र रहस्य का सामना करते हैं।”
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