संत पापा : 'जयंती ईश प्रजा को आशा में जीने हेतु मदद करे'
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 16 मार्च 2024 : "जब अभिषेक और दया की शैली के साथ सुसमाचार प्रचार किया जाता है, तो इसे बेहतर सुनवाई मिलती है और हृदय परिवर्तन के लिए अधिक स्वेच्छा से खुलता है।" संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को सुसमाचार प्रचार के लिए गठित विभाग के सदस्यों की आम सभा की बैठक में धर्म प्रचार के संबंध में मौलिक प्रश्नों के अनुभाग के सदस्यों को संबोधित करते हुए यह अनुस्मारक पेश किया।
धर्मनिरपेक्ष दुनिया में सुसमाचार प्रचार
संत पापा के भाषण को मोनसिन्योर फिलिपो चम्पानेली ने पढ़ा। संत पापा ने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, कि हमारी धर्मनिरपेक्ष और व्यक्तिवादी दुनिया में सुसमाचार प्रचार के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
उन्होंने टिप्पणी की कि पिछले दशकों में धर्मनिरपेक्षता ने "भारी कठिनाइयां" पैदा की हैं, जो "ख्रीस्तीय समुदाय का होने की भावना के नुकसान से लेकर विश्वास की उदासीनता तक" तक फैली हुई हैं।
संत पापा ने कहा कि ये नकारात्मक प्रभाव नई डिजिटल संस्कृति द्वारा और भी अधिक बढ़ गए हैं, जो "अपने साथ मानव जाति का एक दृष्टिकोण भी लाता है जो स्वतंत्रता की आवश्यकता के साथ जुड़कर प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद सत्य की आवश्यकता का जिक्र करते समय पारस्परिक और सामाजिक संबंधों में समस्याग्रस्त प्रतीत होता है।"
"इसलिए," उन्होंने कहा, "हमारे सामने प्रमुख मुद्दा यह समझना है कि विश्वास के प्रसारण में जो दरार आई है उसे कैसे दूर किया जाए। इस उद्देश्य के लिए, परिवारों और प्रशिक्षण केंद्रों के साथ प्रभावी संबंध बहाल करना अत्यावश्यक है।''
“पुनर्जीवित प्रभु में विश्वास को प्रसारित करने के लिए, परिवार और ख्रीस्तीय समुदाय को प्रभु से मुलाकात के अनुभव की आवश्यकता होती है। येसु मसीह से मुलाकात जीवन बदल देता है। इस वास्तविक और अस्तित्वगत मुलाकात के बिना, हम हमेशा विश्वास को एक सिद्धांत बनाने के प्रलोभन के अधीन रहेंगे, न कि जीवन की गवाही।"
इस संबंध में, संत पापा फ्राँसिस ने नवीन सुसमाचार प्रचार को बढ़ावा देने के लिए तत्कालीन परमर्मपीठीय परिषद द्वारा 2020 में जारी धर्मशिक्षा की नई निर्देशिका का "न केवल धर्मशिक्षा पद्धति के नवीनीकरण के लिए, बल्कि सबसे ऊपर एक "वैध" और प्रभावी उपकरण के रूप में समग्र रूप से ख्रीस्तीय समुदाय की भागीदारी का स्वागत किया।”
धर्मप्रचारकों की महत्वपूर्ण भूमिका
धर्मप्रचारकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए, उन्होंने आशा व्यक्त की कि "धर्माध्यक्ष इस मंत्रालय में बुलाहट को बढ़ावा देने और साथ देने में सक्षम होंगे", विशेष रूप से युवाओं के बीच, "ताकि पीढ़ियों के बीच का अंतर कम हो सके और विश्वास का प्रसारण" ऐसा न प्रतीत हो, जैसे यह कार्य केवल वृद्ध लोगों को सौंपा गया है।”
"मैं आपको काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा को जानने, अध्ययन करने और महत्व देने के तरीके खोजने के लिए प्रोत्साहित करता हूँ, ताकि यह उन नई जरूरतों का जवाब दे सके जो गुजरते दशकों के साथ खुद को प्रकट करती हैं।"
"दया की आध्यात्मिकता" को बढ़ावा देना
संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "दया की आध्यात्मिकता" सुसमाचार प्रचार के काम का एक बुनियादी घटक है।
उन्होंने कहा, "ईश्वर की दया में कभी कमी नहीं होती है और हमें इसकी गवाही देने के लिए बुलाया गया है और इसे कलीसिया के शरीर की नसों में प्रसारित करने के लिए कहा गया है।"
इस संबंध में, उन्होंने दया के मिशनरियों द्वारा किए गए बहुमूल्य कार्यों को इंगित किया, जिसे उन्होंने 2015 में “पेपल बुल मिसेरिकोर्दिया वल्टस” (दया की दृष्टि) में स्थापित किया और 2016 में दया की असाधारण जयंती की घोषणा की।
उन्होंने कहा, “मेल-मिलाप के संस्कार के लिए अपनी उदार सेवा के साथ, वे गवाही देते हैं जिससे सभी पुरोहितों को ईश्वर के सेवक होने की कृपा और खुशी को फिर से खोजने में मदद मिलेगी जो हमेशा और बिना किसी सीमा के क्षमा करते हैं।"
आशा की जयंती की तैयारी के लिए प्रार्थना की आवश्यकता
अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने 2025 की आशा की जयंती की तैयारी पर विचार किया, जिसे वे आने वाले हफ्तों में जारी होने वाले एक प्रेरितिक पत्र में आधिकारिक तौर पर घोषित करेंगे।
उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि वे पन्ने कई लोगों को मनन-चिंतन करने और सबसे ऊपर, वास्तविक तरीके से आशा का अनुभव करने में मदद करने में सक्षम होंगे। "ईश्वर की पवित्र प्रजा को इसकी बहुत आवश्यकता है!"
अगले वर्ष रोम आने वाले लाखों जुबली तीर्थयात्रियों के स्वागत के प्रयासों के लिए विभाग को धन्यवाद देते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने इस आयोजन की तैयारी के लिए प्रार्थना के महत्व को याद किया, जिसके लिए 2024 को प्रार्थना के वर्ष के रूप में नामित किया गया है।
उन्होंने कहा, "हमें प्रार्थना को प्रभु की उपस्थिति में होने के अनुभव के रूप में, यह महसूस करने के रूप में फिर से खोजने की ज़रूरत है कि हम उसे समझते हैं, उसका स्वागत करते हैं और उससे प्यार करते हैं।"
अपने संबोधन को अंत करते हुए कहा, " भाइयों और बहनों, आइए हम माता मरिया और संतों के स्कूल में और अधिक प्रार्थना करना, बेहतर प्रार्थना करना शुरू करें।"
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