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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

पोप: 'मैं इस्तीफा देने पर विचार नहीं कर रहा हूँ लेकिन 'रोम का सेवानिवृत धर्माध्यक्ष' हो सकता हूँ

19 मार्च को छपी एक आत्मकथा की किताब में, पोप फ्राँसिस ने अर्जेंटीना की तानाशाही के दौरान अपने बचपन की यादें, बोयनोस आयरिस के महाधर्माध्यक्ष के रूप में अपनी प्रेरिताई पर विचार और अपने विश्वास की बात साझा की और कहा कि "ईश्वर के पुरुषों या महिलाओं को सबसे कमजोर लोगों की सेवा करनी चाहिए।"

वाटिकन न्यूज

इतालवी समाचार पत्र "कोरिएरे देला सेरा" ने पोप फ्राँसिस की आत्मकथात्मक पुस्तक "जीवन। इतिहास में मेरी कहानी" के कई अंश जारी किए हैं, जिसको वाटिकन के पत्रकार फाबियो मार्चेस रैगोना ने लिखा है, और जिसको 19 मार्च को हार्पर कॉलिन्स द्वारा जारी किया जाएगा।

गुरुवार को जारी अंशों में, पोप ने स्पष्ट किया है कि यदि वे इस्तीफा देते हैं, तो वे "ससम्मान सेवानिवृत पोप" नहीं बल्कि केवल "रोम के सेवानिवृत धर्माध्यक्ष" कहलाना पसंद करेंगे।

उस स्थिति में, वे "एक पापमोचक बनने और बीमार लोगों के प्रति एकात्मता के लिए संत मरिया मेजर महागिरजाघर में रहेंगे।"

पोप ने अपने इस्तीफे के मामले में इस संभावित परिदृश्य को स्पष्ट किया, हालांकि, उन्होंने जोर दिया कि यह "एक दूर की परिकल्पना है" क्योंकि इस संभावना पर विचार करने के लिए कोई "इतने गंभीर कारण" नहीं हैं, उन्होंने कहा कि वे “कठिनाई के क्षणों के बावजूद” इस पर विचार नहीं करते।"

पोप फ्राँसिस के अनुसार, "इस्तीफे के लिए कोई शर्त" नहीं है, जब तक कि "कोई गंभीर शारीरिक बाधा" उत्पन्न न हो, ऐसी स्थिति में उनके द्वारा अपने परमाध्यक्षीय कार्यकाल की शुरुआत में हस्ताक्षरित राज्य सचिवालय में जमा किया गया "इस्तीफा पत्र" लागू होगा।

उन्होंने कहा कि संभावना बहुत कम है, क्योंकि पोप "सुस्वस्थ हैं और ईश्वर की इच्छा से, अभी भी कई परियोजनाओं को साकार होना है।"

अर्जेंटीना में पीढ़ीगत नरसंहार

यह पुस्तक 300 से अधिक पृष्ठों की है और इसमें पोप फ्राँसिस के जीवन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें उनके परिवार के साथ उनके रिश्ते, विशेष रूप से, उनके दादा-दादी के साथ, 1929 में अर्जेंटीना में उनका प्रवास, सेमिनरी में प्रशिक्षण के दौरान "थोड़ा पटरी से उतरना" और द्वितीय विश्व युद्ध में खतरनाक परमाणु उपसंहार शामिल हैं।

पोप ने कहा, "युद्ध के उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग मानवता, हमारी गरिमा और हमारे आमघर में भविष्य की किसी भी संभावना के खिलाफ अपराध है," उन्होंने एक बड़ा सवाल उठाया कि युद्ध के नए हथियारों का निर्माण करते हुए, कोई कैसे "शांति और न्याय का चैंपियन" होने का दावा कर सकता है।"

ये पन्ने अर्जेंटीना की तानाशाही के इतिहास, जॉर्ज मारियो बेर्गोलियो के उन लोगों के साथ गहरे संबंधों, जो इससे बच नहीं पाए थे, जनरल जॉर्ज राफेल विडेला के शासन के दौरान जोखिम में पड़े युवाओं को आश्रय देने की उनकी प्रतिबद्धता और अपने प्रभावशाली शिक्षक एस्तेर को बचाने के असफल प्रयास को दर्शाते हैं।

पोप ने लिखा, अर्जेंटीना में जो हुआ वह "एक पीढ़ीगत नरसंहार था," उन्होंने तानाशाही के साथ किसी तरह से मिलीभगत होने के आरोपों को भी संबोधित किया, "उन अत्याचारों" के विरोध के सबूतों से इनकार किया।

पोप फ्रांसिस ने एस्तेर के बारे में लिखा, वह एक "सच्ची कम्युनिस्ट," एक नास्तिक "लेकिन सम्मानित व्यक्ति" थी, जिसने "कभी आस्था पर हमला नहीं किया। उसने मुझे राजनीति के बारे में बहुत कुछ सिखाया।"

इस स्मृति ने पोप को एक बार फिर यह दोहराने का अवसर प्रदान किया कि "गरीबों के बारे में बात करने से आप स्वतः कम्युनिस्ट नहीं बन जाते" क्योंकि "गरीब सुसमाचार के ध्वज हैं और येसु के दिल में हैं," और "ख्रीस्तीय समुदाय में, संपत्ति साझा थी: यह साम्यवाद नहीं है, यह शुद्ध ख्रीस्तीय धर्म है!"

मानव जीवन की रक्षा

पुस्तक में आगे पोप के मानव जीवन के कड़े बचाव के बारे कहा गया है, "गर्भाधान से मृत्यु तक," जहां गर्भपात "हत्या है", "किराए पर हत्या, मारनेवाले के द्वारा!" उन्होंने सरोगेसी की प्रथा को "अमानवीय" कहा।

पुस्तक में फुटबॉल, बेरगोलियो के जुनून, माराडोना के बारे में लेखन और "अब टीवी न देखने" की उनकी प्रतिज्ञा पर एक अध्याय भी शामिल है।

किताब में कॉर्डोबा में बिताए गए उनके समय को भी शामिल किया गया है, जिससे पोप ने कहा, "मेरे अधिनायकवादी रवैये के कारण की गई गलतियों पर चिंतन करने का अवसर, इस हद तक कि मुझ पर अतिरूढ़िवादी होने का आरोप लगाया गया। यह शुद्धिकरण का दौर था। मैं अपने आप में बहुत बंद था, थोड़ा अवसादग्रस्त।"

पोप बेनेडिक्ट 16वें के साथ संबंध

पोप बेनेडिक्ट 16वें का इस्तीफा, उसके बाद कॉन्क्लेव, और पोप के रूप में उनका चुनाव, फ्राँसिस नाम के साथ, आत्मकथा में एक और अध्याय है।

पोप फ्राँसिस ने ससम्मान सेवानिवृत पोप की छवि को बेईमान लोगों द्वारा वैचारिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए 'साधन के रूप में पेश' करते हुए देखने पर अपना दर्द बयाँ किया, और इसके परिणामस्वरूप होनेवाले "विवादों" का वर्णन किया जो "दस वर्षों में किसी तरह से कम नहीं हुआ और जिसने दोनों को चोट पहुंचाई।

"जीवन। इतिहास में मेरी कहानी" महामारी की अवधि को कवर करती है, यूरोपीय संघ में निहित संस्कृतियों की समृद्धि और लोगों के मतभेदों के बारे में अपीलों को याद करती है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इस तरह की अपील हंगरी के प्रधानमंत्री ओर्बन द्वारा सुनी जाएगी, "ताकि वे समझ सकें कि एकता की हमेशा बहुत आवश्यकता है," साथ ही ब्रसेल्स से ओर से भी "जो हर चीज को मानकीकृत करना चाहता है, उसे हंगरी की विशिष्ठता का सम्मान करना चाहिए।"

पुस्तक में, पोप फ्राँसिस ने अपने प्रिय विषयों, जैसे सृष्टि की सुरक्षा, युवाओं को संबोधित करते हुए उनसे "शोर मचाने" के लिए कहना, क्योंकि "समय समाप्त हो रहा है, हमारे पास ग्रह को बचाने के लिए बहुत कुछ नहीं बचा है" का स्पर्श किया है।

पोप फ्राँसिस जिस कलीसिया की कल्पना करते हैं वह एक "मातृ कलीसिया है, जो हर किसी को गले लगाती है और उनका स्वागत करती है, यहाँ तक कि उन लोगों का भी जो गलती महसूस करते हैं और जिन्हें अतीत में हमारे द्वारा दोषी ठहराया गया है," समलैंगिकों या ट्रांसजेंडरों के लिए चिंता "जो प्रभु की तलाश करते हैं और बदले में उन्हें अस्वीकार कर दिया गया है या निष्कासित कर दिया गया।"

पोप ने "अनियमित जोड़ों के आशीर्वाद" के लिए अपनी हाँ दोहराई, क्योंकि ईश्वर हर व्यक्ति को प्यार करते हैं, "विशेषकर पापियों को। और अगर कुछ भाई बिशप इस रास्ते पर नहीं चलने का फैसला करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह एक विभाजन का प्रवेश द्वार है, क्योंकि कलीसिया के धर्मसिद्धांत पर सवाल नहीं उठाया गया है।"

समलैंगिकता और सिविल मैरेज

उन्होंने कहा, जबकि समलैंगिक विवाह असंभव है, सिविल मैरेज (सिविल यूनियन) के लिए ऐसा नहीं है, क्योंकि "यह सही है जो प्यार के उपहार को जीते हैं उन्हें हरेक व्यक्ति की तरह कानूनी कवरेज मिल सकती है।"

पोप फ्राँसिस के शब्द उन लोगों के लिए अपनापन महसूस कराने के लिए एक प्रोत्साहन हैं जो अक्सर कलीसिया के भीतर हाशिए पर हैं, "विशेष रूप से वे जिन्होंने बपतिस्मा प्राप्त किया है और हर तरह से ईश्वर की प्रजा के हिस्से हैं और जिन्होंने बपतिस्मा नहीं लिया है और लेना चाहते हैं, या जो धर्मपिता या धर्ममाता बनना चाहते हैं, उनका स्वागत किया जाए।"

पोप ने उन लोगों के घावों को नहीं छिपाया जो यह मानते हैं कि वे "पोपतंत्र को नष्ट कर रहे हैं।"

भले ही "कोई सुधार में हमेशा बाधा डालने की कोशिश करे, जो पोप-राजा के समय में फंसा रहना चाहता," उन्होंने कहा, तथ्य यह है कि "वाटिकन यूरोप में अंतिम पूर्ण राजशाही है, और यह अक्सर अंदर में है यहां तर्क-वितर्क और अदालती पैंतरेबाज़ी की जाती है, लेकिन इन योजनाओं को निश्चित रूप से त्याग दिया जाना चाहिए।"

 

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14 March 2024, 17:30