संत पापा ने पुरोहित और 15 धर्मबहनों की शहादत को मान्यता दी
वाटिकन न्यूज़
वाटिकन सिटी, शनिवार 15 मार्च 2024 : जल्द ही धन्य घोषित होने वालों में 16 शहीद भी शामिल हैं, जो नाज़ीवाद और सोवियत साम्यवाद के तहत विश्वास के प्रति घृणा के कारण मारे गए। इस समूह में नाजी जर्मनी में दोषी ठहराए गए एक पुरोहित और लाल सेना के सैनिकों द्वारा या सोवियत रूस में नजरबंद शिविरों में मारे गए जर्मन मूल की 15 धर्मबहनें शामिल हैं।
गुरुवार को, संत पापा फ्राँसिस ने संत प्रकरण के लिए गठित परिषद के प्रीफेक्ट कार्डिनल मार्सेलो सेमेरारो से मुलाकात की और 25 काथलिक महिलाओं और पुरुषों से संबंधित आदेशों की घोषणा को अधिकृत किया।
इन आदेशों में जर्मनी में जन्मी 15 धर्मबहनों की शहादत को मान्यता देना शामिल है जो लाल सेना के आक्रमण के दौरान पोलैंड में सेवा कर रही थीं।
संत कैथरीन, कुंवारी और शहीद की धर्मबहनों के धर्मसमाज (सीएससी) की सिस्टर क्रिस्टोफोरा क्लॉमफास और उनकी 14 धर्मबहनों की 1945 में मृत्यु हो गई। सोवियत रूस के नजरबंद शिविरों में कठिनाई, दुर्व्यवहार, बलात्कार, यातना और बीमारियों को सहन करते हुए, सोवियत सैनिकों द्वारा विश्वास के प्रति घृणा के कारण धर्मबहनों को मार दिया गया था। ख्रीस्तीय धर्म के प्रति अवमानना के एक भयंकर संकेत के रूप में, उनके उत्पीड़क अक्सर उनके धार्मिक कपड़ों को काटते और फाड़ते थे।
एक जर्मन धर्मप्रांतीय पुरोहित और सेक्युलर इंस्टीट्यूट सोसाइटीस क्रिस्टी रेजिस के संस्थापक, फादर मैक्स जोसेफ मेट्ज़गर, की 17 अप्रैल, 1944 को नाजी जर्मनी में हत्या कर दी गई थी।
तीन सम्मानितों की धन्य घोषणा
संत पापा फ्राँसिस ने तीन सम्मानितों की मध्यस्थता के कारण हुए चमत्कारों को भी मान्यता दी, जिससे उनके धन्य घोषित होने का रास्ता साफ हो गया।
मैरोनाइट अंतियोक के प्राधिधर्माध्यक्ष स्टीफन डौएही, लेबनानी, जो 17 वीं शताब्दी (1630-1704) में रहते थे। उन्होंने गरीबों की सहायता और पूर्व और पश्चिम के बीच विश्वव्यापी संवाद के पक्ष में गहन कार्य किया।
एक स्पानिश धर्मप्रांतीय पुरोहित, क्रूस की कंपनी की धर्मबहनों के धर्मसमाज के सह-संस्थापक फादर जोस टोरेस पाडिला (1811-1878) और एक फ्रांसीसी धर्मप्रांतीय पुरोहित सम्मानित कमिलो कोस्टा डी ब्यूरेगार्ड, (1841-1910), जिन्हें चेम्बरी में ले बोकेज अनाथालय की स्थापना के लिए "अनाथों के पिता" का उपनाम दिया गया था।
सात नये सम्मानित
- सिरो-मलंकारा काथलिक कलीसिया त्रिवेन्द्रम के महाधर्माध्यक्ष जीवर्गीस थॉमस पैनिकरुवीटिल मार इवानियोस, 1919 में क्राइस्ट बेथनी आश्रम के ऑर्डर ऑफ द इमिटेशन ऑफ क्राइस्ट बेथनी आश्रम और सिस्टर्स ऑफ द इमिटेशन ऑफ क्राइस्ट बेथनी माधोम के संस्थापक, भारत और सिरो-मलंकारा काथलिक कलीसिया के पहले धर्माध्यक्ष।
- ब्राजीलियाई फादर लाइबेरियो रोड्रिग्स मोरेरा, (1884-1980) जिन्होंने अपना जीवन बीमारों और गरीबों के लिए बिताया और जीवन की परीक्षाओं को गहरी ख्रीस्तीय भावना के साथ जीया। वे यूखारिस्त के अथक उपासक थे।
- ऑर्डर ऑफ फ्रायर्स माइनर कपुचिन के एक क्रोएशियाई समर्पित लोकधर्मी अंतोनियो टोमिसिक, (1901-1981), जिन्होंने साम्यवाद के वर्षों के दौरान, जब सार्वजनिक रूप से धार्मिक चिन्ह और हाबिट (वस्त्र) पहनने से उपहास, सार्वजनिक अपमान और शत्रुता का सामना किया। प्रभु पर दृढ़ विश्वास के साथ, भाइयों की जरूरतों को पुरा किया।
- इटालियन लोकधर्मी और मां मदाल्डेना फ्रेस्कोबाल्डी कैप्पोनी, (1771-1839) क्रूस के संत पॉल की पशियोनिस्ट धर्मबहनों के धर्मसमाज की संस्थापिका।
- मारिया अलफिंडा हॉथोर्न, (1851-1926) लीमा के संत रोज़ की डोमिनिकन धर्मबहनों की संस्थापिका, 19वीं सदी के मध्य में अमेरिकी राज्य मैसाचुसेट्स के एक प्रोटेस्टेंट परिवार में पैदा हुईं और अपने पति के साथ यूरोप में काथलिक बन गईं। पति की शराब की लत के कारण उससे अलग हो गई, फिर उसने कैंसर रोगियों में ईसा मसीह की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया।
- अंजेलिना पिरिनी, (1922-1940) एमिलिया रोमाना में सेले डि साला डि सेसेनेटिको में पल्ली काथलिक एक्शन की प्रमुख नेता, जिनकी 1940 में मृत्यु हो गई।
- एलिज़ाबेत्ता जैकोबुची, (1858-1939) अलकेन्टरीन फ्रांसिस्कन तृतीयक संस्थान की धर्मबहन, हमेशा सबसे विनम्र कार्यों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहती थी और अनाथों और बुजुर्गों के लिए एक गहन धर्मार्थ कार्यों के साथ दुखभोग पर चिंतन के तपस्वी पहलू को जोड़ने में कामयाब रही।
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