खोज

इताली प्रान्त कम्पानिया के धर्माध्यक्षों के साथ, 11.04.2024 इताली प्रान्त कम्पानिया के धर्माध्यक्षों के साथ, 11.04.2024  (Vatican Media)

आपकी संपत्ति हैं लोग, धर्माध्यक्षों से सन्त पापा फ्राँसिस

इटली के कम्पानिया प्रान्त से अपनी पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात हेतु वाटिकन आये काथलिक धर्माध्यक्षों से गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि लोगों के मेषपाल बनना ही उनका दायित्व है क्योंकि लोग ही उनकी सम्पत्ति हैं।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 12 अप्रैल 2024 (रेई, वाटिकन सिटी): इटली के कम्पानिया प्रान्त से अपनी पंचवर्षीय पारम्परिक मुलाकात हेतु वाटिकन आये काथलिक धर्माध्यक्षों से गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि लोगों के मेषपाल बनना ही उनका दायित्व है क्योंकि लोग ही उनकी सम्पत्ति हैं।

लोगों के साथ सम्वाद

सन्त पापा ने कहा कि विश्व के सभी धर्माध्यक्षों के समक्ष सुसमाचार की गवाही देना एक चुनौती है, जिसका सामना वे लोगों के साथ सम्वाद में लिप्त होकर करें क्योंकि लोग ही उनकी यथार्थ सम्पत्ति हैं।

वाटिकन रेडियो से बातचीत में कम्पानिया प्रान्त के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष अन्तोनियो दी दोन्ना ने बताया कि 11 अप्रैल की मुलाकात में मेषपाली पहलू, लोगों के साथ संबंध, सुसमाचार की चुनौतियाँ जैसे विषयों पर सन्त पापा फ्राँसिस ने प्रकाश डाला।

महाधर्माध्यक्ष ने बताया कि सन्त पापा फ्राँसिस के साथ धर्माध्यक्षों की मुलाकात दो घण्टों तक चली जिसके दौरान सभी धर्माध्यक्षों ने उनसे व्यक्तिगत रूप से बातचीत की तथा सन्त पापा को "न केवल विश्वास में, बल्कि सबसे अधिक आशा में" सुदृढ़ करने के लिये धन्यवाद दिया।

"भेड़ की गंध" वाले चरवाहे

महाधर्माध्यक्ष दी दोन्ना ने कहा कि हमें विश्वास और आशा में सुदृढ़ करने के अतिरिक्त सन्त पापा ने हमें साहसी पुरोहित होने के लिये प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि यह अत्यधिक महत्वपूर्ण है इसलिये कि "आज एक धर्माध्यक्ष होने के साथ-साथ एक पुरोहित अथवा एक ईसाई होना भी आसान नहीं है"। उन्होंने बताया कि सर्वाधिक अहं बात जो सन्त पापा ने कही वह यह कि धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों को अपने क्षेत्र के लोगों के साथ सम्वाद करना चाहिये तथा उनकी कठिनाइयों को आसान करने के तौर तरीकों पर विचार करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस का चिन्तन ईश प्रजा के साथ धर्माध्यक्षों और पुरोहितों के सम्बन्ध पर रहा जिन्होंने हमें "भेड़ की गंध वाले चरवाहे" बनने के लिये आमंत्रित किया, जो अपने रेवड़ की रखवाली करते तथा उनमें से एक को भी नहीं खोते हैं। उन्होंने कहा कि दैनिक जीवन की ठोस स्थितियों में संलग्न समस्त धर्माध्यक्षों एवं पुरोहितों के लिये यह एक महान सन्देश है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

12 April 2024, 11:38