संत पापा पोंटिफिकल मिशन सोसाइटियों के अध्यक्षों  से मुलाकाकत की संत पापा पोंटिफिकल मिशन सोसाइटियों के अध्यक्षों से मुलाकाकत की  (ANSA)

संत पापा पीएमएस से: सुसमाचार के लिए कल्पनाशील और दृढ़ बने रहें

संत पापा फ्राँसिस ने पोंटिफिकल मिशन सोसाइटियों (पीएमएस) से मुलाकात की और उन्हें कठिनाइयों का सामना करते हुए रचनात्मक और दृढ़ रहने के लिए प्रोत्साहित किया, साथ ही उन शहीदों को याद किया जिन्होंने अपने विश्वास के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 25 मई 2024 (रेई) : संत पापा फ्राँसिस ने पोंटिफिकल मिशन सोसाइटियों के अध्यक्षों और प्रतिनिधियों के साथ वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की जो इन दिनों रोम के पास साक्रोफानो में वार्षिक आम सभा के लिए एकत्रित हुए हैं।

पोंटिफिकल मिशन सोसाइटियों (पीएमएस) की वार्षिक आम सभा में प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, शनिवार को, संत पापा फ्राँसिस ने तीन मूलभूत विशेषताओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया, जो कलीसिया के मिशन के लिए उनकी सेवा के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं: संचार, रचनात्मकता और दृढ़ता।

मिशनरी संचार और धर्मांतरण

संत पापा ने सबसे पहले इस मिशन के संचार आयाम पर जोर दिया।

यह देखते हुए कि जिस हमारे प्रति प्रेम के कारण ईश्वर हमें खोजने और बचाने के लिए आते हैं, वे पृथ्वी पर तीर्थयात्री कलीसिया की मिशनरी प्रकृति का आधार भी है। उन्होंने कहा, "हम ईश्वर और अपने भाइयों एवं बहनों के साथ आध्यात्मिकता में जुड़ने के लिए बुलाये गये हैं।”

इस संबंध में, संत पापा ने धर्मांतरण के खिलाफ चेतावनी दी: उन्होंने कहा कि ख्रीस्तीय मिशन, “किसी अमूर्त सत्य या धार्मिक विश्वास को प्रसारित करने के बारे में नहीं है – हमें धर्मांतरण की कम आवश्यकता है – लेकिन, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, उन लोगों को सक्षम करना है जिनसे हम मिलते हैं ताकि वे ईश्वर के प्रगाढ़ प्रेम का अनुभव कर सकें।”

एक धर्मसभा शैली

चूंकि मिशनरी सोसाइटीज अपने प्रेरितिक संविधान ‘प्रेदिकाते इवांजेलियुम’ के अनुसार अपने क़ानूनों को नवीनीकृत करती हैं, इसलिए संत पापा फ्राँसिस ने उनसे इस “मिशनरी समन्वय की आध्यात्मिकता” में बढ़ने का आग्रह किया, जो “कलीसिया की वर्तमान धर्मसभा यात्रा का आधार है।”

“चूंकि मिशनरी रूपांतरण की यात्रा सभी के लिए आवश्यक है, इसलिए यह आवश्यक है कि ‘सामुदायिक’ मिशनरी आध्यात्मिकता के आयाम में बढ़ने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक प्रशिक्षण के अवसर प्रदान किए जाएं।”

संत पापा ने इस धर्मसभा आयाम पर जोर देते हुए कहा: "हमें यह नहीं भूलना चाहिए, कि एकता के लिए आह्वान एक धर्मसभा शैली को दर्शाता है: एक साथ चलना, एक-दूसरे की बात सुनना, संवाद में शामिल होना।"

अपने मिशन में रचनात्मक बनें

संत पापा फ्राँसिस ने रचनात्मकता के बारे में बात करते हुए पीएमएस को याद दिलाया कि "सुसमाचार रचनात्मकता ईश्वरीय प्रेम से उत्पन्न होती है और सभी मिशनरी गतिविधियाँ इस हद तक रचनात्मक होती हैं कि मसीह का दया इसका मूल, रूप और अंत है।" "इस प्रकार, उन्होंने कहा "इस तरह की दया दूसरों, विशेष रूप से सबसे गरीब लोगों की सेवा करने और सुसमाचार प्रचार करने के नए तरीकों को प्रेरित करता है।"

"हमें अपनी मिशनरी रचनात्मक स्वतंत्रता को दबाना नहीं चाहिए!"

संत पापा ने आगे कहा, रचनात्मकता उन व्यक्तियों, समूहों और संस्थानों की उदारता को प्रोत्साहित करने के लिए भी महत्वपूर्ण है जो कलीसिया के मिशनरी प्रयासों का समर्थन करना चाहते हैं।

दृढ़ रहें और शहीदों के उदाहरण का अनुसरण करें

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने दृढ़ता का आह्वान किया, अर्थात, "उद्देश्य और कार्य में दृढ़ता।"

संत पापा ने उन्हें याद दिलाया कि दिव्य मिशन "सभी पुरुषों और महिलाओं के पास जाने का अथक प्रयास है" और इस प्रकार पीएमएस से कठिनाइयों और कष्टों के बावजूद अपने काम में लगे रहने और  कभी भी हार न मानने का आग्रह किया।  उन्होंने याद दिलाया कि कुछ ख्रीस्तीय मसीह में अपने विश्वास को प्रमाणित करने के लिए शहादत को भी स्वीकार कर लेते हैं।

उन्होंने काथलिकों की गवाही का हवाला दिया, जिन्हें हाल ही में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के उत्तरी किवु में उनके विश्वास के कारण मार दिया गया था और संत पापा ने 2015 में लीबिया में इस्लामिक स्टेट मिलिशिया द्वारा मारे गए कॉप्टिक शहीदों को याद किया।

"शहीदों की कलीसिया दृढ़ता की कलीसिया है जिसे प्रभु आगे बढ़ाते हैं।"

संत पापा ने उन्हें प्रोत्साहित करते हुए कहा, "हालाँकि आप कई चुनौतियों, जटिल परिस्थितियों, बोझ और थकावट का सामना कर सकते हैं जो कलीसिया के जीवन के साथ होती हैं, लेकिन निराश न हों!", "ईश्वर के कार्य पर विचार करने से मिलने वाले सकारात्मक पहलुओं और आनंद पर ध्यान केंद्रित करके, हम जान पाएंगे कि कैसे समस्याग्रस्त परिस्थितियों का भी धैर्य के साथ सामना करना है, निष्क्रियता और हार की भावना से बचना है।" संत पापा फ्राँसिस ने उन लोगों की अपनी कमज़ोरियों, जिसमें वे बहुधा गिर जाते हैं, धैर्य के साथ उससे उपर उठने के लिए कहते हैं: "चौंकिए नहीं, दयालु बनिए और प्रतीक्षा कीजिए।"

"एक चीज़ जो मुझे प्रभावित करती है, वह है प्रभु का धैर्य: वह जानता है कि कैसे प्रतीक्षा करनी है"

अंत में संत पापा फ्राँसिस ने विश्वासियों की मिशनरी ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देने में उनकी उदारता और समर्पण के लिए पीएमएस को धन्यवाद दिया, "विशेष रूप से पवित्र बालकपन के पोंटिफ़िकल सोसाइटी के बच्चों की देखभाल करने में।"

पोंटिफिकल मिशन सोसाइटीज (टीपीएमएस) संत पापा की सेवा में एक विश्वव्यापी नेटवर्क है जो प्रार्थना और दान के साथ मिशनों और युवा कलीसियाओं का समर्थन करता है। इनमें सोसाइटी फॉर द प्रोपेगेशन ऑफ द फेथ, सोसाइटी ऑफ सेंट पीटर द एपोस्टल, मिशनरी चाइल्डहुड एसोसिएशन (एमसीए) और मिशनरी यूनियन ऑफ प्रीस्ट्स एंड रिलीजियस शामिल हैं।

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25 May 2024, 15:43