जून में पोप की प्रार्थना की प्रेरिताई
"प्रिय भाइयो और बहनो, इस महीने मैं चाहूँगा कि हम अपने देशों से भाग रहे लोगों के लिए प्रार्थना करें।
अपनी मातृभूमि छोड़ने, युद्धों या गरीबी से भागने के लिए मजबूर लोगों के सदमे के अनुभव में होती है, अक्सर जड़ से उखाड़ने की भावना, उन्हें नहीं पता कि उनकी जगह क्या है।
इससे भी अधिक, कुछ गंतव्य देशों में, आप्रवासियों को खतरे के रूप में देखा जाता है, भय के साथ।
तब दीवारों की काली छाया प्रकट होती है - पृथ्वी पर दीवारें परिवारों को अलग करती हैं, और दिलों में विभाजन लाती हैं।
ख्रीस्तीय यह दृष्टिकोण साझा नहीं कर सकते। जो एक परदेशी का स्वागत करता है वह ख्रीस्त का स्वागत करता है। हमें एक ऐसी सामाजिक और राजनीतिक संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए जो प्रवासियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करे, एक ऐसी संस्कृति जो इस संभावना को बढ़ावा दे कि वे अपनी पूरी क्षमता हासिल कर सकें, और उन्हें एकीकृत करे।
एक आप्रवासी को साथ दिये जाने, बढ़ावा दिये जाने और एकीकृत किये जाने की आवश्यकता है।
आइए, हम प्रार्थना करें कि युद्ध या भूख से भाग रहे, खतरे और हिंसा से भरी यात्राएँ करने के लिए मजबूर आप्रवासियों को स्वागत और जीवन के नए अवसर मिलें।"
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