वेरोना के पुरोहितों से संत पापा : पश्चातापी को यातना न दें, सबको माफ कर दें
वाटिकन न्यज
वेरोना, शनिवार 18 मई (रेई, वाटिकन रेडियो) : संत पापा फ्राँसिस शनिवार 18 मई को एक दिवसीय प्रेरितिक दौरे के लिए हेलीकॉप्टर से शेक्सपियर द्वारा वर्णित शहर वेरोना में सुबह, 7 बजकर 55 मिनट पर बेंटेगोडी स्टेडियम से सटे चौक पर उतरे। संत पापा फ्राँसिस का स्वागत वेरोना के धर्माध्यक्ष दोमेनिको पोम्पिली और स्थानीय अधिकारियों द्वारा किया गया, जिसमें वेरोना के मेयर डेमियानो टोमासी और वेनेतो क्षेत्र के अध्यक्ष लुका ज़िया शामिल थे। स्वागत समारोह के तुरंत बाद संत पापा फ्राँसिस को वेरोना शहर के संरक्षक संत जेनो के महागिरजाघऱ के प्रांणण में कार द्वारा स्थानांतरण किया गया। महागिरजाघऱ के बाहर लगभग 5,500 लोग और महागिरजाघऱ के करीब अंदर 800 लोग एकत्रित थे। संत ज़ेनो के अवशेषों को तहखाने से ऊपरी मंजिल पर ले जाया गया। महागिरजाघऱ में प्रवेश करने के बाद संत पापा ने संत ज़ेनो के अवशेषों के सामने कुछ देर मौन प्रार्थना की।
संत ज़ेनो महागिरजाघर "इटली में सबसे सुंदर महागिरजाघऱों में से एक के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसने दांते और कार्डुची जैसे कवियों को प्रेरित किया।" संत पापा फ्राँसिस सबसे पहले इटली के सबसे खूबसूरत रोमनस्क्यू बसिलिका, संत ज़ेनो महागिरजाघर में एकत्रित धर्माध्यक्षों, पुरोहितों और समर्पित पुरुषों और महिलाओं एवं डीकनों से मुलाकात की। संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि महागिरजाघर की वास्तुकला ने उन्हें एक नाव की याद दिला दी और वे प्रभु की नाव का हिस्सा थे जो "सुसमाचार के आनंद को फैलाने के लिए इतिहास के समुद्र में नौका का संचालन कर रहे थे।"
इस छवि को ध्यान में रखते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसमाजी जीवन पर दो विचार प्रस्तुत किए।
बुलावा का स्वागत करना
संत पापा ने कहा "सबसे पहले हमें उस बुलावा का स्वागत करना चाहिए जो हमें मिला है।"
संत पापा याद करते हैं कि गलील में येसु अपने कार्य की शुरुआत में "झील के किनारे चलते हैं और एक नाव और दो मछुआरे भाइयों पर अपनी नज़र डालते हैं... वे उनके पास आते हैं और उन्हें अपने पीछे चलने के लिए कहते हैं।"
संत पापा ने उपस्थित पुरोहितों और धर्मसंघियों से इस छवि को कभी न भूलने का आह्वान किया, जो दर्शाता है कि ख्रीस्तीय जीवन के केंद्र में प्रभु के साथ मुलाकात है, जो "व्यक्तिगत योग्यता या प्रयासों के बिना" आती है। इसी तरह, उन्होंने आगे कहा, "समर्पित जीवन के मूल में" प्रभु का बुलावा है।
संत पापा फ्राँसिस ने कहा, आप "बुलावे के आश्चर्य को कभी न खोयें! यह अनुग्रह द्वारा प्राप्त उपहार की स्मृति से पोषित होता है, एक स्मृति जिसे हमें हमेशा अपने भीतर जीवित रखना चाहिए।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "यह हमारे समर्पण और हमारी प्रेरिताई की पहली नींव है।"
मिशन
फिर संत पापा ने अपने चिंतन के दूसरे बिंदु की ओर रुख किया: मिशन। उन्होंने मिशन को पूरा करने में साहस की आवश्यकता पर जोर दिया और एक बार फिर येसु की छवि को देखा, जब वे गलील की झील पर अपने शिष्यों से मिले थे।
संत पापा ने कहा, "साहस एक उपहार है जिसे यहां की कलीसिया अच्छी तरह से जानती है। अगर वेरोना के पुरोहितों और धर्मसंघियों की एक विशेषता है, तो वह है उद्यमशील, रचनात्मक और सुसमाचार की भविष्यवाणी को मूर्त रूप देने में सक्षम होना।"
वेरोना की विरासत
संत पापा ने आस्था से प्रेरित सामाजिक योगदान की वेरोना की ऐतिहासिक विरासत को याद किया।
उन्होंने विरासत का वर्णन ऐसे असंख्य "विश्वास के गवाहों से किया है जो वचन की घोषणा को ज़रूरतमंदों की उदार और करुणामयी सेवा के साथ जोड़ने में सक्षम रहे हैं।" उन्होंने विशेष रूप से, "'सामाजिक रचनात्मकता' का उल्लेख किया जिसके कारण प्रशिक्षण विद्यालय, अस्पताल, देखभाल गृह, आश्रय और आध्यात्मिकता के स्थान बने।"
संत ज़ेनो की शिक्षाओं पर विचार करते हुए, संत पापा ने महागिरजाघऱ में एकत्रित लोगों को लालच को सामान्य बनाने के खतरों और सक्रिय दान के महत्व की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि "आपको अपने इतिहास से सक्रिय दान में विश्वास की हिम्मत विरासत में मिली है।" इस कारण से, उन्होंने संत पौलुस के शब्दों “भले काम करने में हतोत्साहित न हों” (2 थेसलनीकियों 3:13)को दोहराया और वहाँ उपस्थित सभी से ऐसा करने के लिए कहा।
संत पापा ने आगे कहा, " कभी भी निराशा को अपने नजदीक आने न दें, मिशन में साहसी बनें, जानें कि आज एक कलीसिया कैसे बनें, जो निकट आती है, जो घावों को भरती है, जो ईश्वर के दया की गवाही देती है।"
पश्चातापी को यातना न दें
संत पापा फ्राँसिस ने तैयार लिखित संदेश के हटकर विशेष रूप से मेलमिलाप संस्कार के क्षण में क्षमा के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने पापस्वीकार संस्कार की पीठिका पर बैठने वाले पुरोहितों से कहा: "कृपया सब कुछ माफ कर दें"। और यदि आप यह समझने में सक्षम नहीं हैं कि पश्चाताप करने वाला क्या कहता है, तो आपको आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि "ईश्वर ने समझ लिया है"। "कृपया – संत पापा फ्राँसिस ने कहा - पश्चाताप करने वालों को यातना न दें।"। संत पापा ने एक कार्डिनल को याद किया जो पापस्वीकार पीठिका में जब किसी व्यक्ति को "बातें कहने में कठिनाई होती थी" तो वे प्रायश्चितकर्ता को इन शब्दों से संबोधित करते थे: "आगे बढ़ो। मुझे समझ नहीं आया लेकिन ईश्वर समझ गये हैं।” संत पापा ने रेखांकित किया कि पापस्वीकार संस्कार एक यातना सत्र नहीं होना चाहिए। कृपया सबको माफ कर दीजिए।" संत पापा फ्रांसिस ने पुरोहितों से कहा कि "लोगों को कष्ट पहुंचाए बिना उन्हें माफ कर दें, उनके दिलों में आशा जगाएं।" "कलीसिया को क्षमा की आवश्यकता है।"
प्रेम का शहर
इसके बाद अपने संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने वहां उपस्थित सभी लोगों को, वेरोना को प्रेम का शहर बनाने और सुसमाचार से प्रेरित होकर प्रेम बोने के लिए प्रोत्साहित किया।
"शेक्सपियर की प्रतिभा" का उल्लेख करते हुए, जो रोमियो और जूलियट की पीड़ा की कहानी बताने के लिए शहर की सुंदरता से प्रेरित थे, संत पापा ने कहा, "हम ख्रीस्तीय, सुसमाचार से प्रेरित होकर, घृणा और मृत्यु से अधिक मजबूत प्रेम बोने का काम करें।"
संत पापा ने अंत में कहा, "इस तरह से प्रेम के शहर के रूप में वेरोना का सपना देखें और ईश्वर का प्रेम एवं उनका आशीर्वाद आपके साथ रहे।"
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