खोज

Cookie Policy
The portal Vatican News uses technical or similar cookies to make navigation easier and guarantee the use of the services. Furthermore, technical and analysis cookies from third parties may be used. If you want to know more click here. By closing this banner you consent to the use of cookies.
I AGREE
लौटीन में रोजरी विन्ती
सूची पोडकास्ट
2024.05.15"ला पाचे ए ला जुस्तिसिया सी बाच्चेरान्नो" ("न्याय और शांति गले मिलेंगे") पुस्तक 2024.05.15"ला पाचे ए ला जुस्तिसिया सी बाच्चेरान्नो" ("न्याय और शांति गले मिलेंगे") पुस्तक  

संत पापा: 'शांति केवल शक्तिशाली लोगों द्वारा नहीं बल्कि हमारे हाथों में है'

संत पापा फ्राँसिस ने "ला पाचे ए ला जुस्तिसिया सी बाच्चेरान्नो" ("न्याय और शांति गले मिलेंगे") पुस्तक की प्रस्तावना लिखी, जो इतालवी शहर वेरोना की उनकी प्रेरितिक यात्रा से पहले प्रकाशित विचारों का एक संग्रह है, जिसमें उन्होंने पुष्टि की है कि हम सभी हमारे दैनिक जीवन में शांति के कारीगर बनने के लिए बुलाये गये हैं।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार 15 मई 2024 : "शांति हमारे हाथों से बनती है।" यह न केवल शक्तिशाली लोगों द्वारा "अपनी पसंद और अपनी अंतर्राष्ट्रीय संधियों से" बनाया जाता है, बल्कि हम भी शांति का निर्माण कर सकते हैं, "अपने घरों में, परिवार में, पड़ोसियों के बीच, अपने कार्यस्थलों में और पड़ोस में जहां हम रहते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने न्याय और शांति के बीच संबंधों पर ग्रंथों और चिंतनों को एकत्रित करने वाली एक नई पुस्तक की प्रस्तावना में उस अनुस्मारक की पेशकश की।

"ला पाचे ए ला जुस्तिसिया सी बाच्चेरान्नो" ("न्याय और शांति गले मिलेंगे") शीर्षक पुस्तक, उत्तरी इतालवी शहर वेरोना की उनकी प्रेरितिक यात्रा से पहले, बुधवार को वाटिकन पब्लिशिंग हाउस एलईवी और एल'एरेना द्वारा जारी की गई थी। संत पापा की 18 मई की प्रेरितिक यात्रा का फोकस न्याय और शांति होगा।

न्याय और शांति के बीच घनिष्ठ संबंध

संत पापा लिखते हैं, “यदि न्याय की कमी है, तो शांति ख़तरे में है; शांति के बिना, न्याय से समझौता किया जाता है", "यह पहले से कहीं अधिक सच है कि न्याय, जिसे ईश्वर और दूसरों को जो देना है उसे देने के गुण के रूप में समझा जाता है, हिब्रू शब्द 'शालोम' के सबसे प्रामाणिक और उचित अर्थ में, शांति से निकटता से जुड़ा हुआ है।" एक शब्द जो "युद्ध की अनुपस्थिति को नहीं बल्कि जीवन और समृद्धि की परिपूर्णता" को इंगित करता है।

स्वार्थ संघर्ष उत्पन्न करता है

शांति हर संघर्ष के "पीड़ितों" के बीच सबसे पहले न्याय को संभव बनाती है, जैसे "एक न्यायपूर्ण समाज के लिए शांति एक पूर्व शर्त बन जाती है।" हालाँकि, संत पापा कहते हैं कि मानवता को इन दो आयामों की "कीमत" चुकानी पड़ती है: "अपने स्वार्थ से लड़ना", अर्थात्, "जो 'मेरा' है उसे 'हमारा' से पहले रखना।"

सभी स्वार्थ "अन्यायपूर्ण हैं" और "जब यह हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में एक प्रणाली बन जाती है, तो यह संघर्ष के द्वार खोलती है, क्योंकि, हमारे हितों (या जिन्हें हम ऐसा मानते हैं) की रक्षा के लिए, " हम कुछ भी करने को तैयार हैं, यहां तक कि अपने पड़ोसी पर अत्याचार करने के लिए भी, जो पड़ोसी होने के नाते एक विरोधी बन जाता है और इसलिए अपमानित होने, गिराने और पराजित होने वाला दुश्मन बन जाता है।"

फादर रोमानो गार्डिनी की शिक्षाएँ

इस संबंध में, संत पापा जर्मनी में पले-बढ़े "एक वेरोना के नागरिक" फादर रोमानो गार्डिनी के स्पष्ट शब्दों का हवाला देते हैं: "स्वतंत्रता व्यक्तिगत या राजनीतिक इच्छा का पालन करने में शामिल नहीं है, बल्कि अस्तित्व की प्रकृति के लिए आवश्यक है।"

फादर गार्डिनी की शैक्षिक कार्रवाई और दार्शनिक-आध्यात्मिक चिंतन "विशेष रूप से अंधेरे समय में एक प्रकाशस्तंभ" थे, जो 1930 और 1940 के दशक में जर्मनी के लिए था, जो "नाजी शासन के भयानक जुए के अधीन था।"

संत पापा याद करते हैं कि कैसे म्यूनिख में नाज़ीवाद की निंदा करने वाले युवा जर्मनों के समूह, व्हाइट रोज़ के कुछ सदस्यों को "गार्डिनी के दार्शनिक और धार्मिक लेखन से पोषण मिला था।" संत पापा लिखते हैं, "उन पाठों से, उन लड़कों और लड़कियों की अहिंसक कार्रवाई का उदय हुआ, जिन्होंने शहर में बांटे गए गुप्त पर्चे लिखकर, हिटलर के अधिनायकवाद से स्तब्ध लोगों की अंतरात्मा को जगाने की कोशिश की और उन्होंने अपने विवेक और स्वतंत्रता की कीमत अपने जीवन से चुकाई।"

फादर  मरकान्ते और डल्लासेगा की कहानी

यूरोप के इतिहास का वह काला अध्याय संत पापा को वेरोना के फादर दोमेनिको मरकान्ते और निजी लियोनार्डो डल्लासेगा के बलिदान की याद  दिलाता है। डल्लासेगा त्रेंतिनो क्षेत्र में वैल डि नॉन के मूल निवासी, एक वेहरमाच सैनिक थे। अप्रैल 1945 से जुड़ी उनकी कहानी बताने लायक है क्योंकि यह "दोहरे व्यक्तिगत बलिदान में" न्याय और शांति को एक साथ जोड़ती है।

द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में उस अशांत समय में, डल्लासेगा को जबरन उत्तर की ओर भाग रहे जर्मन पैराट्रूपर्स के एक समूह में शामिल कर लिया गया, जब वे वेरोना प्रांत में और त्रेंतिनो क्षेत्र के साथ सीमा पर वैल डी'इलासी में प्रवेश कर रहे थे। वैल डी'इलासी के आखिरी गांव जियाज़ा में पहुंचकर, सैनिकों ने इतालवी पक्षपातियों के साथ झड़प के बाद बंधक के रूप में फादर दोमिनिको मरकान्ते को पकड़ लिया।

46 वर्षीय पल्ली पुरोहित, जिन्होंने दो साल से भी कम समय तक गाँव में अपनी प्रेरितिक सेवा दी थी, नाजी-फासीवादी कब्जे के दौरान नागरिक आबादी की रक्षा करने के कार्यों के लिए जाने जाते थे। सैनिक उसे मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करके पहाड़ों को पार करना चाहते थे,  और त्रेंतिनो तक पहुँचना चाहते थे और इस तरह संभावित प्रतिशोध से खुद को बचाने के लिए ब्रेनर की ओर बढ़ना चाहते थे।

सेरे-सैन मार्टिनो शहर पहुंचकर, एक अधिकारी ने डल्लासेगा को पुरोहित को मारने का आदेश दिया। लेकिन, एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, डल्लासेगा ने उत्तर दिया: "मैं काथलिक हूँ, चार बच्चों का पिता हूँ, मैं एक पुरोहित को गोली नहीं मार सकता!"

पुरोहित और सैनिक दोनों को मार डाला गया। कुछ दिनों के बाद फादर दोमिनिको का शव वापस जियाज़ा लाया गया। डल्लासेगा के हाथ में एक क्रूस, एक रोजरीमाला और उसकी पत्नी की एक तस्वीर मिली।

केवल कई वर्षों के बाद ही उसे पहचाना गया: दशकों तक अंतरात्मा की आवाज पर आपत्ति जताने वाला वह जर्मन सैनिक गुमनाम रहा। कहानी की जांच, दस्तावेजीकरण और रिपोर्ट वेरोना के पुरोहित फादर लुइजी फ्रैकरी द्वारा की गई थी। 1943 से इटालियन मिलिट्री इंटर्नीज़ (आईएमआई) और उस समय के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष चेसारे ओर्सेनिगो के साथ जर्मनी में शामिल थे।

अपने जान की कीमत पर, दूसरों के लिए अपना जीवन दिया

यह एक "दुखद घटना" थी, संत पापा फ्राँसिस ने प्रस्तावना में लिखा है, जिसमें, हालांकि, "हम ख्रीस्तीय बलिदान का गहरा अर्थ पाते हैं: दूसरों के लिए अपना जीवन देना, यहां तक ​​कि अपने जान की कीमत पर भी।" यह "मसीह के पास्का का रहस्य है: हिंसा और मृत्यु प्रेम और स्वयं के उपहार से पराजित होती है।"

संत पापा आगे लिखते हैं, "हो सकता है, हमें अपने विश्वास को व्यक्त करने हेतु अपना खून बहाने को मजबूर नहीं किया जाएगा, जैसा कि आज भी दुनिया के कई हिस्सों में हमारे कई ख्रीस्तीय भाइयों के साथ होता है, लेकिन यह छोटी-छोटी चीजों में है जिसे हम कहते हैं मसीह के क्रूस की शक्ति शांति और उससे पैदा होने वाले नए जीवन की गवाही देना: उन लोगों के प्रति क्षमा का भाव, जिन्होंने हमें ठेस पहुंचाई है, अन्यायपूर्ण बदनामी सहना, हाशिए पर पड़े व्यक्ति की मदद करना।"

नई दुनिया के निर्माण के लिए शांति और न्याय का विकल्प

शांति का निर्माण छोटे-छोटे कार्यों, शब्दों और आदतों से होता है, संत पापा फ्राँसिस आगे लिखते हैं: "हम सड़क पर भीख मांग रहे एक प्रवासी की मदद करके, एक बुजुर्ग व्यक्ति के पास जाकर, जो अकेले हैं और जिनके पास बात करने के लिए कोई नहीं है, शांति का निर्माण कर सकते हैं।" हमारे स्वार्थ का शिकार हमारी पृथ्वी के प्रति देखभाल और सम्मान, दुनिया में आने वाले हर अजन्मे बच्चे का स्वागत करना, एक ऐसा भाव जो संत मदर तेरेसा के लिए शांति का एक प्रामाणिक कार्य था।

इसलिए "टुकड़े-टुकड़े" विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि में,  जहाँ "शांति के छोटे-छोटे टुकड़े" हैं जिसे "यदि एक साथ मिला दें, तो एक महान शांति का निर्माण कर सकते हैं।" संत पापा ने अपनी प्रस्तावना को विराम देते हुए लिखा, "शांति और न्याय के इन दैनिक और आसानी से प्राप्य विकल्पों में, हम एक नई दुनिया की शुरुआत का बीजारोपण कर सकते हैं, जहां मौत अंतिम शब्द नहीं होगी और हर किसी के लिए जीवन फलेगा-फूलेगा।''

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 मई 2024, 15:51
Prev
April 2025
SuMoTuWeThFrSa
  12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
27282930   
Next
May 2025
SuMoTuWeThFrSa
    123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031