वेरोना के बच्चों से पोप : येसु के प्रेम और मित्रता के आनन्द को महसूस करें
वाटिकन न्यूज
वेरोना, शनिवार, 18 मई 2024 (रेई) : इटली के शहर वेरोना में बच्चों से मुलाकात करते हुए, पोप फ्राँसिस ने उनसे आग्रह किया कि वे येसु के प्यार से सशक्त और प्रसन्न रहें, शांतिदूत बनें, धारा के विपरीत जाएँ और प्रार्थना से सुदृढ़ बनें।
संत पापा ने कहा, "जब हम येसु को एक मित्र के रूप में अनुभव करते हैं, भले ही हम एक कठिन समय से गुजर रहे हों, हमारे दिल की गहराई में हम शांति में रहते हैं: हम जानते हैं कि वे हमारे साथ हैं, कि वे हमारी मदद करेंगे, कि वे हमारा हाथ पकड़कर हमें आगे ले चलेंगे।"
संत पापा ने अपने सम्बोधन की शुरूआत, लोगों के सहर्ष एवं गर्मजोशी स्वागत के लिए धन्यवाद देते हुए की तथा कहा कि उनकी खुशी उस चीज को दर्शाती है जो प्रभु के साथ मित्रता से उत्पन्न होती है।
संत पापा ने उन्हें हमेशा प्रसन्नचित रहने और दूसरों को भी येसु से मुलाकात के आनन्द को बांटते रहने की सलाह दी। उन्होंने कहा, "हमेशा खुश रहें, हर किसी को येसु से मिलने की खुशी देने की कोशिश करें।"
साथ ही, उन्होंने जीवन की कठिनाइयों, जैसे रिश्तेदारों के खोने और वर्तमान में जारी भयानक युद्धों पर शोक व्यक्त किया, उन्होंने व्यक्त किया कि जो खुशी प्रभु हमें देते हैं वह हमें आगे बढ़ने में सक्षम बनाती है और हमें सांत्वना देती है।
येसु का आनंद हमें संभालता है
संत पापा ने कहा येसु हमारे मित्र हैं, हमसे प्रेम करते और हमें कभी अकेले नहीं छोड़ते।
"येसु ही हैं! जब हम उन्हें एक मित्र के रूप में अनुभव करते, भले ही हम एक कठिन समय से गुजर रहे हों, हमारे दिल की गहराई में हम शांति महसूस करते हैं: हम जानते हैं कि वे हमारे साथ है, हमारी मदद करेगा, और हमारा हाथ पकड़ लेंगे।
शांति निर्माता बनें
पोप ने बच्चों और युवाओं को, येसु को अपने सहयोगी के रूप में रखते हुए, शांतिदूत बनने, साहसपूर्वक और विश्वास के साथ, धारा के खिलाफ जाने से नहीं डरने और अपनी क्षमता का प्रयोग दूसरों के लिए उपहार के रूप में करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा, "मुझे यह भी यकीन है कि येसु इस यात्रा में आपके सहयोगी होंगे, वे आपका मित्र होंगे जो आपको शांतिदूत बनाने और आपको बहुत अधिक खुशी देने के लिए हमेशा आपका साथ देंगे!”
अंत में, बच्चों के प्रदर्शन से पहले, संत पापा ने एक साथ प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, आइए सबसे पहले हम सब मिलकर अपने पिता से प्रार्थना करें। फिर उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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