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आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस 

संत पापाः पवित्र आत्मा में ईशवचन सदैव सजीव और सक्रिय

संत पापा फ्रांसिस ने अपनी बुधवारीय धर्मशिक्षा माला में पवित्र आत्मा की प्रेरणा और रहस्य प्रकटीकरण पर प्रकाश डाला।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात, आप सभों का स्वागत।

आइए हम पवित्र आत्मा पर धर्मशिक्षा माला को जारी रखें जो कलीसिया को येसु ख्रीस्त हमारी आशा की ओर दिशा निर्देशित करते हैं। वे हमारे लिए मार्गदर्शक हैं। पिछली बार हमने सृष्टि में पवित्र आत्मा पर चिंतन किया, आज हम उन्हें रहस्य उद्भेदन पर मनन करेंगे जिसके फलस्वरुप हम पवित्र धर्मग्रंथ को ईश्वर की प्रेरणा और अधिकार का साक्ष्य पाते हैं।

तिमथी के नाम अपने दूसरे पत्र में हम संत पौलुस के इन शब्दों को पाते हैं, “पूरा धर्मग्रंथ ईश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है।” वहीं नये व्यवस्थान में हम एक दूसरी बात को पाते हैं, “पवित्र आत्मा से प्रेरित होकर मनुष्य ईश्वर की ओर से बोले।” धर्मग्रंथ के संबंध में यह दिव्य प्रेरणा का सिद्धांत है, जिसे हम धर्मसार में विश्वास स्वरुप घोषित करते हैं, “पवित्र आत्मा ने नबियों के मुख से कहा है।”

पवित्र आत्मा प्रेरणा के स्रोत

पवित्र आत्मा जो धर्मग्रंथ के लेखन हेतु प्रेरणा के स्रोत हैं, वे ही हमें इसकी व्याख्या करते और इसे सदैव जीवित तथा क्रियाशील बनाते हैं। वे लेखन हेतु मानव को प्रेरित करते और उसे प्रेरणा के स्रोत बनाते हैं। द्वितीय वाटिकन महासभा कहती है कि “पवित्र धर्मग्रंथ ईश्वर के द्वारा प्रेरित हुई और जैसे इसे एक बार लिखने हेतु निर्णय लिया गया...यह स्वयं ईश्वर के वचनों को बिना परिवर्तित किये प्रसारित करना और पवित्र आत्मा की आवाज को नबियों और प्रेरितों के शब्दों में ध्वनित करना है।” इस भांति पवित्र आत्मा कलीसिया में निरंतर पुर्जीवित येसु के कार्यों को करते हैं, जैसे हम पास्का उपरांत सुनते हैं, “वे शिष्यों के मन-दिल को खोलते हैं जिससे वे सुसमाचार को समझ सकें।”

विश्वास और प्रार्थनामय स्थिति फलदायक

संत पापा ने कहा कि वास्तव में, हमारे लिए ऐसा होता है कि हम सुसमाचार के किसी पद को जिसे हमने बहुत बार बिना किसी विशेष मनोभाव से पढ़ा है, एक दिन हम उसे विश्वास और प्रार्थनामय वातावरण में पढ़ते, और आश्चर्यजनक रुप में उस पद से अपने को आलोकित पाते हैं। यह हमें कुछ कहता है, यह हमारी मुसीबतों के लिए एक समाधान लेकर आता है यह हमारे लिए ईश्वर की योजना को एक निश्चित स्थिति में सुस्पष्ट करता है। यदि ऐसा पवित्र आत्मा के प्रकाश में नहीं होता, तो इस परिवर्तन के क्या कारण हो सकते हैंॽ धर्मग्रंथ के शब्द, पवित्र आत्मा के क्रियाकलाप में हमें प्रकाशित करते हैं, और उन परिस्थितियों में हम अपने हाथों से उन बातों का स्पर्श करते हैं जो ईब्रानियों ने नाम पत्र में घोषित करता है, “ईश्वर का वचन जीवन्त, सशक्त और किसी भी दुधारी तलवार से तेज है।”

आध्यात्मिक पठन-पाठन जरूरी

प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि कलीसिया धर्मग्रंथ के आध्यात्मिक पठन-पाठ द्वारा पोषित होती है, अर्थात पवित्र आत्मा के निर्देश में ऐसा करना हमें प्रकाशित करता है। इसके केन्द्र में, जैसे कि एक प्रकाश स्तम्भ जो सब कुछ को प्रकाशित करता है, जहाँ हम मसीह की मृत्यु और पुनरूत्थान की घटना को पाते, जो मुक्ति योजना को पूरा करती है, जहाँ हम सभी चिन्हों और भविष्यवाणियों को पाते हैं, जो सभी छिपे रहस्यों को प्रकट करती है और जो पूरे धर्मग्रंथ बाईबल को पढ़ने की सच्ची प्रेरणा उत्पन्न करती है। प्रकाशना ग्रंथ हमारे लिए इन सारी चीजों को मेमने के रुप में व्याख्या करता है जो मोहर लगी हुई पुस्तक को खोलते हैं अर्थात पुराने विधान को। कलीसिया, येसु की वधू को एक अधिकार प्राप्त है जो धर्मग्रंथ के वचनों की सत्यता को एक मध्यस्थ स्वरुप घोषित करती है। चूंकि कलीसिया को पवित्र आत्मा प्राप्त है जिसके कारण वह यह प्रेरित और परिभाषित करती है, कि वह “सत्य का स्तम्भ और मूलाधार है।” कलीसिया को चाहिए कि वह विश्वासियों की सहायता करें जो सच्चाई की खोज करते और धर्मग्रँथ के शब्दों को सही रुप में पारिभाषित करना चाहते हैं।

लेक्सियो दिभिना

संत पापा ने कहा कि ईश्वर के वचनों का आध्यात्मिक पठन-पाठन का एक रूप लेक्सियो दिभिना है। यह हमें व्यक्तिगत रुप में ईश वचनों को पढ़ने के लिए एक समय निर्धारित करते हुए उनपर चिंतन करने का आहृवान करता है। संत पापा ने लेक्सियो दिभिना का मर्म समझाते हुए कहा कि यह हमारे लिए अति महत्वपूर्ण है हम रोज दिन सुनने हेतु कुछ समय निकालें। यदि हमारे पास समय है तो हम वचनों पर चिंतन करें, पदों को पढ़ें। इसीलिए मैंने इस बात का सुझाव दिया है कि आप अपने साथ एक धर्मग्रंथ की छोटी पुस्तिका थैली में रखें, जिसे आप अपनी यात्रा के समय या अवकाश की घड़ी उसमें से कुछ पढ़ सकें। यह हमारे जीवन के लिए अति जरुरी है। लेकिन धर्मग्रंथ का सर्वोत्कृष्ट आध्यात्मिक पठन धार्मिक अनुष्ठान पवित्र यूखारिस्त में समुदाय स्वरुप होता है। वहाँ हम एक घटना या एक शिक्षा को जो पुराने व्यवस्थान से है येसु ख्रीस्त में पूरा होता पाते हैं।

संत पापाः पवित्र आत्मा प्रेरणा के स्रोत

प्रवचन का सुझाव

संत पापा ने कहा कि प्रवचन को चाहिए कि वह जीवन की पुस्तिका से ईश वचन को हस्तांतरित करे। उन्होंने इस बात पर पुनः जोर दिया की प्रवचन अपने में छोटा हो। “यह आठ मिनट से लम्बा न हो क्योंकि इसके लम्बे होने पर लोग अपना ध्यान खो देते और सोने लगते हैं। अपनी इन बातों को संत पापा ने पुरोहितों की ओर इंगित करते हुए कहा जिन्हें बहुधा अधिक बोलने की आदत है। प्रवचन छोटा हो, एक विचार, एक अनुभव, एक कार्य। आठ मिनट से अधिक नहीं क्योंकि प्रवचन जीवन की किताब से ईश्वर के वचन को लोगों में पोषित करे। उन्होंने कहा कि ईश्वर के जिन वचनों को हम मिस्सा में या प्रार्थना की घड़ी सुनते हैं, उनमें एक विशेष हमारे लिए होता है। कुछ चीज जो हमारे हृदय का स्पर्श करती है। हम उसका स्वागत हृदय में करें, यह हमारे दिन को प्रकाशित करेगा और हमें प्रार्थना हेतु प्रेरित करेगा। हम बहरे बनते हुए इसे यूं ही जाने न दें।

ईशवचन, प्रेम पत्र - प्रेम का बखान

संत पापा ने ईश वचन को संगीत के एक स्वर से तुलना करते हुए कहा कि इसकी भी एक शुरूआत और अंत है इसमें हम ईश्वर के प्रेम को पाते हैं। संत अगुस्टीन इसके बारे में कहते हैं कि पूरा “धर्मग्रंथ कुछ नहीं बल्कि ईश्वर के प्रेम का बखान करता है।” वहीं संत ग्रेगोरी महान इसे “सर्वशक्तिमान ईश्वर की ओर से सृष्ट प्राणियों के लिए एक पत्र” स्वरूप परिभाषित करते हैं, मानों यह वर की ओर से वधू को लिखा गया एक पत्र हो, वे हमें “ईश्वर के हृदय को ईश्वर के वचनों में जानने और समझ को कहते हैं। वाटिकन द्वितीय महासभा पुनः कहती हैं, इस प्रकटीकरण से अदृश्य ईश्वर, अपने असीमित प्रेम में मित्र की भांति मानव से बातें करते और उनके बीच निवास करते हैं, वे हमें अपना निमंत्रण देते जिससे वे हमें अपने भोज में शामिल कर सकें।                                                                                                                                                                                              अपनी धर्मशिक्षा के अंत में संत पापा ने पुनः धर्मग्रंथ को अपने संग रखने की याद दिलाई जिससे ईश वचनों को दिन के किसी भी समय पढ़ा जा सके जो हमें पवित्र आत्मा और ईशवचन के निकटतम रखेगा। पवित्र आत्मा जिन्होंने धर्मग्रंथ को प्रेरित किया, जो उनके द्वारा हमारी सांसें बनते हैं, यह हमें ईश्वर के इस प्रेम को जीवन की ठोस परिस्थितियों में समझते हुए मदद करें। 

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12 June 2024, 15:25