खोज

संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

संत पापाः पवित्र आत्मा में सच्ची स्वतंत्रता

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में पवित्र आत्मा पर चिंतन करते हुए उन्हें सच्ची स्वतंत्रता का स्रोत कहा।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज की धर्मशिक्षा माला में मैं आप सभों के संग पवित्र आत्मा के उन नामों पर चिंतन करूँगा जिसे हम धर्मग्रँथ में पाते हैं।

नाम में पहचान

संत पापा ने कहा कि पहली बात हम किसी भी व्यक्ति को उसके नाम से जानते हैं। हम उसे उसके नाम से बुलाते हैं जो उसे अपने में एक निश्चित पहचान प्रदान करती और जिसे हम याद करते हैं। तृत्वमय ईश्वर के तीसरे जन का भी एक नाम है जिसे हम पवित्र आत्मा कहते हैं। लेकिन “स्पीरिट” आत्मा अपने में एक लातीनी शब्दरूप है। पवित्र आत्मा का नाम जिसके द्वारा हम रहस्यों को पाने वाले- नबियों, स्त्रोत रचियताओं, मरियम, येसु और प्रेरित उन्हें “रुह” कहकर पुकारते हैं, जिसका अर्थ सांस, वायु, पवन का एक झोंका है।

रूह

धर्मग्रंथ में यह नाम इतना महत्वपूर्ण है कि हम इससे व्यक्ति स्वरुप परिचित होते हैं। ईश्वर के पवित्र नाम की घोषणा करना, ईश्वर को धन्य कहना और उन्हें सम्मान देना है। यह सिर्फ पारंपरिक पद्वी मात्रा नहीं है बल्कि यह सदैव एक व्यक्ति के बारे में, उसकी उत्पत्ति या उसकी प्रेरितिक कार्य की कुछ अभिव्यक्ति है। रूह के संबंध में भी हम इसी सच्चाई को पाते हैं। यह हमारे लिए व्यक्ति के रुप में प्रथम मूलभूत रहस्य और पवित्र आत्मा के कार्यों का प्रकटीकरण है।

पेन्तेकोस्त की घटना

संत पापा ने कहा कि वायु का आभास करते हुए और उसकी विभिन्न अभिव्यक्तियों को देखते हुए, हम धर्मग्रँथ के लेखकों को ईश्वर के द्वारा “वायु” की विभिन्न प्रकृतियों की खोज करते हुए पाते हैं। पेन्तेकोस्त  के दिन शिष्यों के ऊपर पवित्र आत्मा का “वायु की तीव्र घड़घड़हाट” में उतरना हमारे लिए कोई संयोग नहीं है। (प्रेरि. 2.2)। यह हमारे लिए ऐसा प्रतीत होता है कि पवित्र आत्मा उनमें उन बातों को अंकित करने की चाह रखते हैं जिन्हें वे उनके द्वारा करने की चाह रखते हैं।

पवित्र आत्मा- शक्ति की निशानी

अतः यह रूह हमें पवित्र आत्मा के बारे में क्या बतलाती हैॽ वायु की पहली निशानी हमारे लिए सर्वप्रथम पवित्र आत्मा की शक्ति को व्यक्त करती है। “पवित्र आत्मा और शक्ति” या “पवित्र आत्मा की शक्ति” जिसे हम पूरे धर्मग्रंथ में कई बार पाते हैं। वास्तव में, हवा में हम एक जबरदस्त और अदम्य शक्ति को पाते हैं। यह अपने में समुद्रों को भी हिला सकती है।

यद्यपि, कोई धर्मग्रँथ की इन सच्चाइयों के अर्थ का पता लगने हेतु अपने को प्राचीन व्यवस्थान तक ही सीमित नहीं कर सकता है, बल्कि उसे येसु की ओर आने की जरुरत है। शक्ति के अलावे, येसु हमारे लिए वायु की एक अन्य विशेषता पर प्रकाश डालते हैं जो कि स्वतंत्रता है। निकोदेमुस जो रात के पहर में येसु से मिलने आया, वे उन्हें कहते हैं, “पवन जिधर चाहता उधर बहता है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्तु यह नहीं जानते कि वह किधर से आता और किधर जाता है। जो आत्मा से जन्मा है, वह ऐसा ही है।” (यो.3.8)।

वायु अनियंत्रित है

संत पापा ने कहा कि वायु ही केवल एक ऐसी चीज है जिसे हम पूर्णरूपेण अपने में नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, यह बोतल में या किसी बक्से में बंद नहीं की जा सकती है। पवित्र आत्मा को अवधारणाओं, विषयों या ग्रंथों में अंकित करने की कोशिश नहीं की जा सकती है जैसे कि आधुनिक बुद्धिवाद ने कई बार इसका प्रयास किया है। ऐसा करने के द्वारा हम उसे खो देते हैं, उसे निरस्त करते या सिर्फ मानवीय विचार तक सीमित करते और साधारण बना देते हैं। यद्यपि, कलीसिया के क्षेत्र में भी हम इसी प्रलोभन को पाते हैं, हम पवित्र आत्मा को कलीसियाई नियमों, संस्थानों, विषयवस्तुओं या परिभाषाओं तक सीमित करने की चाह रखते हैं, ऐसा करने के द्वारा हम इसे खो देखते हैं, इसे निरस्त करते या पवित्र आत्मा हमारे संस्थानों को पोषित करते है लेकिन वे अपने में “संस्थानगत” नहीं कर सकते हैं। वायु जहाँ चाहती है बहती है, अतः पवित्र आत्मा अपने उपहारों को “जिसे चाहते” उसे प्रदान करते हैं (1.कुरू. 12.11)।

संत पापाः पवित्र आत्मा में सच्ची स्वतंत्रता

स्वतंत्रता के कार्य

संत पौलुस इसे ख्रीस्तीय कार्य का एक मूलभूत नियम निर्धारित करते हैं, “जहाँ ईश्वर का आत्मा निवास करता है, वहाँ स्वतंत्रता है।” (2. कुरू. 3.17)। वे उस ख्रीस्तीय के बार में कहते हैं जो ईश्वर के आत्मा से पोषित है, वह अपने में स्वतंत्र है। यह हमारे लिए एक विशेष स्वतंत्रता है, उस स्वतंत्रता से एकदम अलग जिसे हम सामान्य रुप में समझते हैं। यह वह स्वतंत्रता नहीं जिसके फलस्वरुप कोई जो चाहता कर सकता है बल्कि यह वह स्वतंत्रता है जहाँ व्यक्ति उन चीजों को करता जिसे ईश्वर चाहते हैं। यह अच्छाई या बुराई करने की स्वतंत्रता नहीं बल्कि अच्छे कार्य करने की हममें एक स्वतंत्रता है, जो हमें आकर्षित करती है, न कि हम उसे दबाव में करते हैं। दूसरों शब्दों में संतानों की स्वतंत्रता न की गुलामी।

सेवा स्वतंत्रता का एक रूप

संत पापा ने कहा कि संत पौलुस स्वतंत्रता की गलत समझ और उसके द्वारा होने वाले शोषण से वाकिफ हैं, वे गलतियों के नाम अपने पत्र में लिखते हैं, “भाइयो, आप जानते हैं कि आप लोग स्वतंत्र होने के लिए बुलाये गये हैं। आप सावधान रहें, नहीं तो यह स्वतंत्रता भोग विलास का कारण बन जायेगी” (गला. 5.13)। यह स्वतंत्रता अपने को सेवा को व्यक्त करती है जो विरोधभावी लाती  है, और सेवा में हम सच्ची स्वतंत्रता को पाते हैं। 

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हम अच्छी तरह जानते हैं कि कब यह स्वतंत्रता “शरीर के लिए बहाना” बन जाती है। इस संबंध में संत पौलुस हमें एक सूची प्रदान करते हैं, “शरीर के कुकर्म, अशुद्धता, लम्पटता, मूर्तिपूजा, जादू-टोना, बैर, फूट, ईर्ष्या, क्रोध, स्वार्थपरता, मनमुटाव, दलबंदी, द्वेष, मलवालापन, रंगरलियाँ और इस प्रकार की बातें” (गला.5. 19-21)। यह स्वतंत्रता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जहाँ हम अमीरों के द्वारा गरीबों के शोषण को पाते हैं, जहाँ ताकतवर कमजोरों का शोषण करते तथा हम सभी पर्यावरण का शोषण करते हैं। यह अपने में बुरी स्वतंत्रता है जो हमारे लिए आत्मा की ओर से नहीं आती है।

सच्ची स्वतंत्रता येसु में

प्रिय भाइयो एवं बहनो, हम पवित्र आत्मा में यह स्वतंत्रता कहाँ से प्राप्त करते हैं जो हमारे स्वार्थ से विपरीत हैॽ इसका जबाव हम येसु ख्रीस्त के वचनों में पाते हैं जिसे वे अपने सुनने वालों से एक दिन कहते हैं,“यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करता तो तुम सचमुच में स्वतंत्र होगे” (यो. 8.36) हम येसु से निवेदन करें कि वे हमें पवित्र आत्मा के द्वारा सच्ची स्वतंत्रता प्रदान करें, जिससे हम सही अर्थ में स्वतंत्र नर और नारी बन सकें, और अपनी स्वतंत्रता में प्रेम और खुशी से अपनी सेवा दे सकें।

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

05 June 2024, 15:19

ताजा आमदर्शन

सभी को पढ़ें >