देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस का सम्बोधन देवदूत प्रार्थना से पूर्व सन्त पापा फ्राँसिस का सम्बोधन  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

धैर्य, ध्यान, निरंतरता और विनम्रता के गुणों को विकसित करें

वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रोम के संरक्षक सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के दिन शनिवार को देवदूत प्रार्थना से पहले सन्त पापा फ्राँसिस ने इन दो सन्तों के गुणों का बखान कर तीर्थयात्रियों से आग्रह किया कि वे धैर्य, ध्यान, निरंतरता और विनम्रता जैसे गुणों को विकसित करें।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 29 जून 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रोम के संरक्षक सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस के महापर्व के दिन शनिवार को देवदूत प्रार्थना से पहले सन्त पापा फ्राँसिस ने इन दो सन्तों के गुणों का बखान कर तीर्थयात्रियों से आग्रह किया कि वे धैर्य, ध्यान, निरंतरता और विनम्रता जैसे गुणों को विकसित करें।

चाभियाँ प्रेरिताई का प्रतीक

सन्त मत्ती रचित सुसमाचार में निहित पाठ की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए सन्त पापा ने कहा कि प्रभु येसु ख्रीस्त ने  पेत्रुस से कहा था कि वे स्वर्ग की चाभियाँ उनके सिपुर्द कर रहे थे। सन्त पापा ने कहा कि इसके वास्तिक अर्थ को समझने की आवश्यकता है, वास्तव में ये चाभियाँ उस अधिकार मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करती हैं जिसे प्रभु येसु मसीह ने सम्पूर्ण और सार्वभौमिक कलीसिया की सेवा हेतु पेत्रुस के सिपुर्द किया है।

सन्त पापा ने कहा कि वस्तुतः, सन्त पेत्रुस के सिपुर्द की गई चाभियाँ ईश राज्य की चाभियाँ हैं, जिसे प्रभु येसु ने एक सुरक्षित या बख्तरबंद कमरे के रूप में वर्णित नहीं किया है, बल्कि, सन्त मत्ती रचित सुसमाचर के 113 वें अध्याय के अनुसार, एक छोटे से बीज, एक कीमती मोती, एक छिपे हुए खज़ाने और मुट्ठी भर ख़मीर के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने कहा कि इस छोटे से और अगोचर खज़ाने को प्राप्त करने के लिये सुरक्षा तंत्रों और तालों को सक्रिय करना आवश्यक नहीं है, अपितु धैर्य, ध्यान एवं मनन-चिन्तन, दृढ़ता और विनम्रता जैसे गुणों को विकसित करना आवश्यक है।

रास्ता खोजने में मदद करें

सन्त पापा ने कहा कि इसलिये प्रभु येसु ने सन्त पेत्रुस को जो मिशन सौंपा है, वह घर के दरवाजे बंद करना नहीं है, न ही केवल कुछ चुनिंदा मेहमानों को ही प्रवेश की अनुमति देना है, बल्कि येसु मसीह के सुसमाचार के प्रति निष्ठावान रहते हुए हर किसी को रास्ता खोजने में मदद करना है।

सन्त पापा ने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि बहुत बार गिरने के उपरान्त, येसु के आदेश के अनुसार, पेत्रुस ने जीवन भर सत्यनिष्ठा, आनन्द और स्वतंत्रतापूर्वक अपने मिशन को अन्जाम दिया। उन्होंने कहा कि येसु के प्रति उदार रहने के लिये पेत्रुस को स्वतः मनपरिवर्तन की आवश्यकता पड़ी, जो कि सरल काम नहीं था। सन्त मत्ती रचित सुसमचार के 16 वें अध्याय में हम पढ़ते हैं कि येसु में अपने विश्वास की अभिव्यक्ति के कुछ ही समय बाद पेत्रुस ने येसु के दुखभोग और क्रूस पर मरण की भविष्यवाणी को सुनने से इनकार कर दिया था।

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पेत्रुस विनम्र और ईमानदार

सन्त पापा ने कहा कि कमज़ोरियों के बावजूद पेत्रुस को स्वर्गराज्य की चाभियाँ सौंपी गई थी इसलिये नहीं कि वे परिपूर्ण थे और उनमें कोई खामियाँ नहीं थीं बल्कि इसलिये कि वे विनम्र और ईमानदार थे तथा ईश्वर से उन्हें दृढ़  विश्वास का वरदान मिला था। सन्त लूकस रचित सुसमचार के 22 वें अध्याय के 32 पद के अनुसार, सन्त पापा ने कहा, "इसीलिये पेत्रुस ख़ुद को ईश्वर की दया के सिपुर्द करते हुए भाइयों का समर्थन करने और उन्हें मजबूत करने में सक्षम रहे।"

सन्त पापा ने कहा कि हम भी अपने आप से पूछे, "क्या मैं ईश्वर की कृपा से, उसके राज्य में प्रवेश करने और उसकी मदद से, दूसरों के लिए भी एक स्वागत योग्य अभिभावक बनने की इच्छा मन में उत्पन्न कर सकता हूँ? और ऐसा करने के लिए, क्या मैं येसु और पवित्रआत्मा द्वारा जो मुझमें निवास करते हैं अपने आप को नरम और विनम्र आकार दिये जाने दे सकता हूँ?"

सन्त पापा ने कहा कि प्रेरितों की रानी मरियम तथा सन्त पेत्रुस एवं सन्त पौलुस हमें अपनी प्रार्थनाओं द्वारा येसु मसीह के साथ साक्षात्कार हेतु  तथा अन्यों के लिये मार्गदर्शक और समर्थक बनने में सक्षम बनाते हैं।

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29 June 2024, 11:44