संत पापा: फिलिस्तीन और इज़राइल राज्य एक साथ रहें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 08 जून 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने दस साल पहले वाटिकन उद्यान में ऐतिहासिक "शांति के लिए आह्वान" के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "मैं हर दिन प्रार्थना करता हूँ कि यह युद्ध आखिरकार खत्म हो जाए..." और उस अवसर पर इजरायल राज्य के तत्कालीन राष्ट्रपति शिमोन पेरेज, फिलिस्तीन राज्य के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और कॉन्स्टांटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम प्रथम द्वारा लगाए गए जैतून के पेड़ की छाया में बोलते हुए, उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की कि "राष्ट्रों के नेता और संघर्षरत दलों को शांति और एकता का रास्ता मिल सके।"
हम सभी को एक स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए और खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए, जहां फिलिस्तीन और इज़राइल दुश्मनी और नफरत की दीवारों को तोड़ते हुए एक साथ रह सकें। हम सभी को येरुसालेम को संजोना चाहिए ताकि यह ख्रीस्तियों, यहूदियों और मुसलमानों के बीच भाईचारे का शहर बन जाए, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष दर्जा प्राप्त हो।"
"हम सभी को एक स्थायी शांति प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए और खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए, जहां फिलिस्तीन राज्य और इज़राइल राज्य एक साथ रह सकें।"
यह कार्यक्रम 8 जून 2014 को हुए ऐतिहासिक समागम की याद दिलाता है, जब संत पापा फ्राँसिस, इजरायल के तत्कालीन राष्ट्रपति शिमोन पेरेज, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और कॉंस्टांटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम्यू प्रथम ने एक साथ प्रार्थना करके और शांति के लिए जैतून का पेड़ लगाकर इतिहास रचा था।
नवीनीकृत प्रतिबद्धता
उस अवसर पर, संत पापा ने उन्हें यह भी याद दिलाया कि "मुलाकात के लिए हाँ और संघर्ष के लिए नहीं, संवाद के लिए हाँ और हिंसा के लिए नहीं, बातचीत के लिए हाँ और शत्रुता के लिए नहीं कहने का साहस चाहिए।" वर्ष 2014 में, संत पापा ने येरूसालेम में संत पापा पॉल षष्टम और तत्कालीन प्राधिधर्माध्यक्ष एथ्नागोरस के बीच बैठक की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर 24-26 मई को तीर्थयात्रा की थी, जिसके दौरान उन्होंने "एक बड़ी इच्छा व्यक्त की थी कि ये दोनों नेता संवाद और शांति के एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक संकेत को आगे बढ़ाने के लिए मिलें।"
7 जून 2024 की शाम 6 बजे वाटिकन उद्यान में संत पापा के साथ रब्बी अल्बर्तो फुनारो, इटालियन इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र के महासचिव अब्दुल्ला रेडुआने और वाटिकन में इजरायल और फिलिस्तीन राज्यों के राजदूत उपस्थित थे। उद्यान में एक तरफ, वाटिकन से मान्यता प्राप्त राजदूत और दूसरी तरफ, कार्डिनल मंडल के कई कार्डिनल उपस्थित थे। जैतून के पेड़ के नीचे बैठकर, संत पापा फ्राँसिस ने दोनों राष्ट्रपतियों के बीच "रोमांचक आलिंगन" की स्मृति में अपनी व्यक्तिगत भावनाओं को उपस्थित लोगों के साथ साझा किया।
आइए हम खुद को धोखा देना बंद करें
अपनी टिप्पणी में, संत पापा ने कहा कि हम केवल "खुद को धोखा दे रहे हैं" जब हम सोचते हैं कि "युद्ध समस्याओं को हल कर सकता है और शांति ला सकता है", इसके बजाय "हमें आज दुर्भाग्य से हावी एक विचारधारा के प्रति सतर्क और आलोचनात्मक होने की आवश्यकता है, जो दावा करती है कि "संघर्ष, हिंसा और व्यवधान समाज के सामान्य कामकाज का हिस्सा हैं।"
संत पापा ने सभी से एक स्थायी शांति के लिए काम करने की अपील की जो फिलिस्तीन और इज़राइल राज्यों को "एक साथ रहने" की अनुमति देगा। उन्होंने सभी अभिनेताओं से "येरूसालेम को संजोने" का आह्वान किया ताकि "यह ख्रिस्तियों, यहूदियों और मुसलमानों के बीच भाईचारे के मिलन का शहर बन जाए, आर इसे एक विशेष अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गारंटीकृत स्थिति द्वारा संरक्षित किया जाए।"
गाजा में रक्तपात रोकें
संत पापा ने कहा कि वे इजरायल और फिलिस्तीन में पीड़ित सभी लोगों, ख्रीस्तियों, यहूदियों और मुसलमानों के बारे में सोचते हैं। उन्होंने गाजा में नरसंहार को समाप्त करने और इजरायली बंधकों को रिहा करने के लिए युद्ध विराम की अपनी अपील को दोहराया।
उन्होंने कहा, "मैं सोचता हूँ कि यह कितना जरूरी है कि गाजा के मलबे से हथियारों को रोकने का निर्णय आखिरकार सामने आए," और इजरायली बंधकों के परिवारों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि "उन्हें जल्द से जल्द रिहा किया जाए।"
"यह कितना जरूरी है कि गाजा के मलबे से हथियारों को रोकने का निर्णय आखिरकार सामने आए।"
उन्होंने फिलिस्तीनी जनता की सुरक्षा का भी आह्वान किया, ताकि उन्हें "सभी आवश्यक मानवीय सहायता मिल सके" तथा लड़ाई के कारण विस्थापित हुए असंख्य लोगों के घरों का यथाशीघ्र पुनर्निर्माण किया जाए, "ताकि वे शांतिपूर्वक अपने घर लौट सकें।"
नए दिन की उम्मीद बनाए रखना
एक विशेष तरीके से, संत पापा ने फिलिस्तीनियों और इजरायलियों के प्रति अपनी निकटता की पेशकश की, जो अपने आंसुओं और पीड़ा के बीच, "एक नए दिन के आने की उम्मीद करते हैं और एक शांतिपूर्ण दुनिया की सुबह लाने का प्रयास करते हैं।"
इस भावना के साथ, संत पापा ने सर्वशक्तिमान दयालु ईश्वर से, एकत्रित लोगों की प्रार्थना सुनने और शांति का उपहार देने के लिए कहा।
"वास्तव में, शांति केवल लिखित समझौतों या मानवीय और राजनीतिक समझौतों से नहीं बनती है," बल्कि "बदले हुए दिलों से पैदा होती है, और तब पैदा होती है जब हममें से प्रत्येक का सामना होता है और ईश्वर के प्यार से प्रभावित होता है, जो हमारे स्वार्थ को खत्म कर देते हैं, हमारे पूर्वाग्रहों को तोड़ देते हैं और हमें दोस्ती, भाईचारे और आपसी एकजुटता का स्वाद और आनंद देते हैं।"
उन्होंने चेतावनी दी, "कोई शांति नहीं हो सकती, अगर हम पहले ईश्वर को अपने दिलों को निहत्था करने और उन्हें मेहमाननवाज, दयालु और करुणावान बनाने की अनुमति नहीं देते हैं।"
"अगर हम परमेश्वर को अपने हृदयों को निशस्त्र करने की अनुमति नहीं देते, तो शांति नहीं हो सकती।"
शांति का आलिंगन
संत पापा ने प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शांति का सपना देखना हमें एक मानव परिवार का हिस्सा होने का अप्रत्याशित आनंद देता है, जैसा कि उन्होंने याद किया जब वेरोना की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान, इजरायल और फिलिस्तीनी पिताओं के चेहरों पर खुशी थी, जिन्होंने सबके सामने एक-दूसरे को गले लगाया था।
"यही वह है जिसकी इजरायल और फिलिस्तीन को जरूरत है: शांति का आलिंगन!"
संत पापा ने उपस्थित लोगों को प्रभु की मध्यस्थता में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया ताकि "राष्ट्रों के नेता और संघर्षरत पक्ष शांति और एकता का रास्ता पा सकें।" उन्होंने उपस्थित लोगों के साथ एक दशक पहले आह्वान पर की गई प्रार्थना को एक साथ पढ़ा।
शांति के लिए प्रार्थना 8 जून 2014
"शांति के परमेश्वर प्रभु, हमारी प्रार्थना सुनें!
हमने अपनी शक्तियों और अपनी भुजाओं के बल पर अपने संघर्षों को हल करने के लिए कई बार और कई वर्षों तक प्रयास किया है। हमने शत्रुता और अंधकार के कितने क्षणों का अनुभव किया है; कितना खून बहा है; कितने जीवन चकनाचूर हो गए हैं; कितनी आशाएँ दफन हो गई हैं... हमारे प्रयास व्यर्थ हो गए हैं। अब, प्रभु, हमारी सहायता के लिए आइये! हमें शांति प्रदान कीजिए, हमें शांति सिखाइये; शांति के मार्ग पर हमारे कदमों का मार्गदर्शन कीजिए। हमारी आँखें और हमारे दिल को खोलिए और हमें यह कहने का साहस दीजिए: "फिर कभी युद्ध नहीं!"; "युद्ध के साथ, सब कुछ खो जाता है"। हमारे दिलों में शांति प्राप्त करने के लिए ठोस कदम उठाने का साहस पैदा कीजिए।
प्रभु, अब्राहम के परमेश्वर, नबियों के परमेश्वर, प्रेम के परमेश्वर, आपने हमें बनाया है और आप हमें भाई-बहनों की तरह रहने के लिए बुलाते हैं। हमें प्रतिदिन शांति के साधन बनने की शक्ति दें; हमें यह देखने में सक्षम बनाइये कि हमारे रास्ते में आने वाला हर व्यक्ति हमारा भाई या बहन है। हमें अपने नागरिकों की अपील के प्रति संवेदनशील बनाइए, जो हमसे युद्ध के हथियारों को शांति के औजारों में बदलने, अपनी घबराहट को भरोसे में बदलने और अपने झगड़ों को क्षमा में बदलने की अपील करते हैं। हमारे भीतर आशा की लौ को जलाए रखिए, ताकि धैर्य और दृढ़ता के साथ हम संवाद और सुलह का विकल्प चुन सकें। इस तरह शांति की जीत हो और हर पुरुष और महिला के दिल से “विभाजन”, “घृणा” और “युद्ध” जैसे शब्द निकल जाएं।
हे प्रभु, हमारी जीभ और हमारे हाथों की हिंसा को शांत कीजिए। हमारे दिल और दिमाग को नया बनाइए, ताकि जो शब्द हमें हमेशा साथ लाता है वह “भाई” हो और हमारा जीवन हमेशा यही हो: शालोम, शांति, सलाम! आमेन।”
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