संत पापा ने महासागरों के शोषण के खिलाफ चेतावनी दी
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 08 जून 2024 : 7-8 जून को सैन जोस में होने वाले "महासागर कार्रवाई पर उच्च स्तरीय कार्यक्रम: परिवर्तन में डूबा हुआ" में भेजे जाने वाले के कोस्टा रिकन राजदूत फेदरिको ज़मोरा कॉर्डेरो को दिए गए संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने पानी के प्रतीकात्मक महत्व और मानव जीवन और सामाजिक प्रगति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
यह कार्यक्रम महासागर शासन और स्वास्थ्य से संबंधित सर्वोत्तम प्रथाओं और सफल अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है।
रोम शहर और महासागरों के बीच एक समानता को दर्शाते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्राचीन रोम के लोग पानी के आगमन का जश्न मनाते थे जिसने कमी और उथल-पुथल के दौर के बाद शहर की भव्यता को बहाल किया।
रोम के प्रतिष्ठित (फोंताना दी त्रेवी) ‘त्रेवी फव्वारा’ में ओसियेनस (समुद्र देवता का प्रतिनिधित्व) की छवि का संदर्भ देते हुए, संत पापा ने बताया कि यह प्रतीक, जिसमें ओसियेनस को समुद्री घोड़ों द्वारा खींचे गए रथ पर सवार होकर रोम की सड़कों पर चलते हुए दिखाया गया है, पानी के साथ शहर के ऐतिहासिक संबंधों की एक शक्तिशाली याद दिलाता है।
मानव सभ्यता और महासागरों के बीच गहरे संबंध को उजागर करते हुए संत पापा ने कहा, "ऐसा लगता है मानो पूरा शहर समुद्र के क्षेत्र में डूबा हुआ है।"
मानवता ने इस अनमोल उपहार का दोहन किया है
संत पापा ने दुनिया के जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति पर दुख व्यक्त किया और बताया कि किस तरह मानवता ने इस अनमोल उपहार का दोहन किया है।
उन्होंने कहा, "यह देखना दुखद है कि हमने पानी जैसी उपयोगी वस्तु को शोषण की वस्तु में बदलकर ऐसे विशेषणों को विकृत कर दिया है। हम उस चीज का उल्लंघन करते हैं जो आम भलाई के लिए विनम्र और मौन कार्य करती है और ईश्वर के इस उपहार को अनमोल मानने के बजाय, हम इसे मुद्रा, अटकलों का कारण और यहां तक कि जबरन वसूली का साधन बना देते हैं।"
असीसी के संत फ्राँसिस के “प्राणियों का भजन” ("कांटिक्ल ऑफ द क्रीचर्स") का हवाला देते हुए, जिसमें पानी को "उपयोगी, विनम्र, कीमती और पवित्र" बताया गया है, संत पापा ने इन मूल्यों की ओर लौटने की अपील की और ईश्वर के उपहार के रूप में पानी का सम्मान करने और उसकी रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
संदेश में संत पापा ने रोम के प्रसिद्ध त्रेवी फव्वारा के पीछे की कहानी को भी याद किया, जिसे अक्वा वर्जिन के नाम से जाना जाता है, जिसका नाम एक युवा युवती के नाम पर रखा गया था, जिसने रोमन सैनिकों को एक ताजे झरने तक पहुंचाया था, जो शुद्धता और पानी के जीवनदायी गुणों का प्रतीक है।
संत पापा फ्राँसिस ने चेतावनी दी कि मानवीय द्वेष, स्वार्थ और पर्यावरण की उपेक्षा के कारण यह शुद्धता और अच्छाई खतरे में है। उन्होंने चेतावनी दी, "पानी से आम लोगों को मिलने वाली सारी अच्छाई द्वेष, स्वार्थ और दूसरों के प्रति अवमानना के कारण नष्ट होने का खतरा है।"
परिवर्तन का आह्वान
मानवता जिस तरह से पानी को देखती है और उससे जुड़ती है, उसमें "पूर्ण परिवर्तन" का आह्वान करते हुए, संत पापा ने खाद्य सुरक्षा और जलवायु विनियमन में पानी की भूमिका को पहचानने के महत्व पर जोर दिया और उन्होंने महासागरों की सुंदरता और शुद्धता को बहाल करने के लिए प्रदूषण के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, "आइए हम खाद्य सुरक्षा में इसकी सामान्य उपयोगिता, जलवायु विनियमन में इसके विनम्र कार्य को महत्व दें, इसकी बहुमूल्य सुंदरता को बहाल करने के लिए प्रदूषण के खिलाफ लड़ें और इसकी शुद्धता का उल्लंघन न करने की प्रतिबद्धता लें, इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए विरासत के रूप में छोड़ दें।"
संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "इस खूबसूरत रोमन फव्वारे की छवि हमें यह एहसास दिलाने में मदद करे कि हमारी पूरी सभ्यता महासागर में डूबी हुई है।"
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