संत पापा: जुबली के दौरान रोम सबसे स्वागतयोग्य, मेहमाननवाज़ और उदार रहे
वाटिकन न्यूज
रोम, सोमवार 10 2024 : संत पापा फ्राँसिस ने रोम के महापौर के कैपिटोलिन असेंबली में आने के निमंत्रण को स्वीकार कर सोमवार 10 जून की सुबह रोम के केंद्र में स्थित कैपिटोलिन भवन पहुँचे। रोम शहर 2025 जयंती वर्ष की मेजबानी के लिए तैयार है। आज सुबह संत पापा जब माइकल अंजेलो द्वारा डिजाइन किए गए शानदार कैपिटोलिन स्क्वायर पर पहुंचे, जहां तुरही बजाकर उनका स्वागत किया गया। कैपिटोलिन - जिसे रोम में "कैम्पिदोलियो" के नाम से जाना जाता है, नगरपालिका का कार्यालय है। हॉल ऑफ फ्लैग्स में संत पापा फ्राँसिस ने बुक ऑफ ऑनर पर हस्ताक्षर किया।
संत पापा ने कहा कि रोम एक सार्वभौमिक भावना वाला शहर है, जो "दान की सेवा, आतिथ्य और स्वागत की सेवा में है, जो तीर्थयात्रियों से लेकर पर्यटकों, प्रवासियों, गंभीर कठिनाई में फंसे लोगों तक फैला हुआ है: सबसे गरीब, अकेले, बीमार, कैद, बहिष्कृत "इस भावना का सबसे सच्चे गवाह होने चाहिए।"
"उन्हें यह प्रमाणित करना चाहिए कि सत्ता पूरी तरह से तब सत्ता होती है जब वह सभी की सेवा करती है, जब वह नागरिकों विशेष रूप से सबसे कमजोर, सबसे गरीब व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी वैध शक्ति का उपयोग करती है।"
रोम शहर का अविश्वसनीय इतिहास
जूलियस सीजर हॉल में संत पापा फ्राँसिस ने महापौर और पार्षदों और अन्य आमंत्रित अधिकारियों को दिए गए अपने भाषण के दौरान, परमधर्मपीठ और नगर पालिका के बीच उत्कृष्ट सहयोग और तीर्थयात्रियों का सर्वोत्तम संभव तरीके से स्वागत करने के लिए शहर को तैयार करने की नगर पालिका की प्रतिबद्धता के लिए आभार व्यक्त किया।
शहर के अविश्वसनीय इतिहास पर प्रकाश डालते हुए, संत पापा ने कहा: "मैं आपसे और आपके माध्यम से पूरे शहर से मिलने आया हूँ, जिसका जन्म लगभग 2,800 साल पहले हुआ था और जिसने सार्वभौमिकता का स्पष्ट और निरंतर आह्वान किया है।"
संत पापा ने कहा, "प्राचीन रोम, अपने कानूनी विकास और संगठनात्मक क्षमताओं और सदियों से ठोस और स्थायी संस्थानों के निर्माण के कारण, एक ऐसा प्रकाश स्तंभ बन गया, जिसकी ओर कई लोग स्थिरता और सुरक्षा के लिए मुड़े।"
उन्होंने प्राचीन रोमन संस्कृति के कई गुणों को दर्शाते हुए, इसके मूल्यों को विकसित करने की आवश्यकता पर जोर दिया: "इस प्राचीन रोमन संस्कृति, जिसने निस्संदेह कई अच्छे मूल्यों का अनुभव किया, उसको भी खुद को ऊपर उठाने, अधिक और गहरे भाईचारे, प्रेम, आशा और मुक्ति के संदेश का सामना करने की आवश्यकता थी।"
ख्रीस्तीय धर्म के मूल्य
संत पापा फ्राँसिस ने इस बात पर विस्तार से चर्चा की कि कैसे रोमन समाज में ख्रीस्तीय धर्म का प्रसार हुआ, जो शहीदों की गवाही और आरंभिक ख्रीस्तीय समुदायों की दानशीलता से प्रेरित था; और कहा कि ख्रीस्तीय धर्म ने व्यक्तियों को एक क्रांतिकारी आशा प्रदान की और गुलामी जैसी संस्थाओं को चुनौती दी, जिन्हें कभी स्वाभाविक और अपरिवर्तनीय माना जाता था।
संत पापा ने कैसर के रोम से संत पापा के रोम में परिवर्तन की बात की और कहा कि परिवर्तनों के बावजूद, रोम के सार्वभौमिक आह्वान की न केवल पुष्टि हुई बल्कि उसे और भी ऊंचा किया गया, कलीसिया का मिशन भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर मसीह के संदेश को वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए आगे बढ़ा।
उन्होंने कहा, "बहुत सी चीजें बदल गईं, लेकिन रोम के सार्वभौमिक आह्वान की पुष्टि हुई और उसे ऊंचा किया गया।"
लातेरन संधि
इस वर्ष लातेरन संधि के संशोधन की 40वीं वर्षगांठ है, इस पर ध्यान देते हुए संत पापा फ्राँसिस ने कहा, "संधि ने इस बात की पुष्टि की है कि इतालवी राज्य और काथलिक कलीसिया, 'प्रत्येक अपने स्वयं के क्रम में, स्वतंत्र और संप्रभु हैं,' तथा वे अपने संबंधों में इस सिद्धांत का पूर्ण सम्मान करने और मानव जाति और देश की भलाई के लिए आपसी सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
जयंती वर्ष की समावेशिता
इस प्रकार, जैसा कि रोम 2025 की जयंती के लिए तैयारी कर रहा है, संत पापा ने तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के सैलाब का स्वागत करने के लिए शहर की तत्परता का आह्वान किया और कहा कि स्थानीय और राष्ट्रीय अधिकारियों के बीच सक्रिय सहयोग से सभी को लाभ होगा।
उन्होंने कहा, "अगली जयंती भी शहर के चेहरे पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, इसकी शालीनता में सुधार ला सकती है और सार्वजनिक सेवाओं को और अधिक कुशल बना सकती है, न केवल केंद्र में बल्कि केंद्र और परिधि के बीच तालमेल को बढ़ावा देकर।"
पवित्र द्वार
रोम की सार्वभौमिक भावना को दोहराते हुए, जो दान, आतिथ्य और जरूरतमंद लोगों की सेवा के लिए समर्पित है, जिसमें गरीब, अकेले, बीमार, कैद और बहिष्कृत लोग शामिल हैं, उन्होंने जयंती वर्ष के दौरान रोम की जेलों में से एक में पवित्र द्वार खोलने के अपने इरादे की घोषणा की।
"मैंने जेल में पवित्र द्वार खोलने का फैसला किया है।"
अपने संदेश को समाप्त करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने रोम को अपने सच्चे, स्वागत करने वाले और महान चरित्र को प्रदर्शित करना जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
जयंती वर्ष: एक विशेषाधिकार और एक जिम्मेदारी
उन्होंने आगंतुकों के भीड़ से उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार किया और शहर के लिए एक नया दृष्टिकोण पेश किया, कि रोम की विशाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संपदा इसके नागरिकों और नेताओं के लिए एक विशेषाधिकार और जिम्मेदारी दोनों है।
उन्होंने कहा, "इसका सामना करने वाली हर समस्या इसकी महानता का 'उल्टा' पक्ष है और संकट के कारक से, यह नागरिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए एक अवसर बन सकता है।"
सालुस पोपुली रोमानी
अंत में, उन्होंने शहर की ईश्वरीय भूमिका का सम्मान करने के लिए सभी शासन निकायों के बीच मजबूत सहयोग का आह्वान किया और धन्य कुंवारी मरिया, ‘सालुस पोपुली रोमानी’ के प्रति अपनी भक्ति को याद किया।
संत पापा ने कहा, "हर बार जब मैं रोम आता था, तो मैं ‘सालुस पोपुली रोमानी’ से मिलने जाता था और उनसे अपने प्रयासों में साथ चलने के लिए कहता था।" उनसे आशीर्वाद लेता था और रोम के लोगों के लिए भी प्रार्थना करता था,कि वह "शहर और रोम के लोगों की देखभाल करें, आशा का संचार करें और दया को प्रेरित करें।"
उपहारों का आदान-प्रदान
इसके बाद रोम के महापौर रोबर्टो ने संत पापा को यात्रा की स्मृति में रजत पदक और कुछ सामाजिक पहल स्थापित करने वाला एक दस्तावेज़ दिया। संत पापा ने नगर पालिका को उपहार के रूप में टाइटस के विजय द्वार का एक मोसाइक चित्र दिया महापौर रोबर्टो गुआल्टिएरी को पदकों की एक त्रिपिटक दिया। संत पापा व्यक्तिगत रूप से पार्षदों और कार्यालय के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें पदक और जुबली की घोषणा करने वाला बुल उपहार में दिया।
अभिवादन के बाद, संत पापा और महापौर सेनेटोरियल पैलेस के झरोखे पर बाहर निकले। संत पापा ने पियाज़ा देल कम्पिदोलियो में एकत्रित रोमन नागरिकों का स्वागत किया। उनके साथ रोम को माता मरिया को सुपुर्द करते हुए प्रणाम मरिया प्रार्थना का पाठ किया। इसके बाद वे करीब 11 बजे वाटिकन वापस लौट आये।
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