संत पापा स्पेकोला सम्मेलन प्रतिभागियों के संग संत पापा स्पेकोला सम्मेलन प्रतिभागियों के संग  (Vatican Media)

संत पापाः विश्वास और विज्ञान में सामंजस्य स्थापित करें

संत पापा फ्रांसिस ने वाटिकन स्पेकोला सम्मेलन में भाग ले रहे वैज्ञानिकों को सत्य की खोज में विश्वास और विज्ञान के बीच सामंजस्य स्थापित करने का आग्रह किया, दोनों ईश्वर के पूर्ण सत्य की उपज हैं जिसे मानवता की सेवा में उपयोग किया जाना है।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, 20 जून 2024 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने गुरुवार को वाटिकन स्पेकोला में “ब्लैक होल, गुरुत्वाकर्षण तरंगें और अंतरिक्ष-समय विलक्षणता" की विषयवस्तु पर सम्मेलन में सहभागी हो रहे प्रतिभागियों को संबोधित किया।

उन्होंने महाधर्माध्यक्ष ने जॉर्ज लेमेत्रे को श्रद्धांजलि देते हुए उपस्थित सभी लोगों का गर्मजोशी से स्वागत किया। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बेल्जियम के पुरोहित और ब्रह्मांड वैज्ञानिक के जीवन और वैज्ञानिक खोज की चर्चा करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने निर्णय लिया है कि प्रसिद्ध हबल कानून को हबल-लेमैत्रे कानून कहा जाना अधिक उचित होगा।

“ब्रह्मांड विज्ञान में वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा उठाए गए नवीनतम प्रश्नों” पर बहस करने के लिए एकत्र हुए वैज्ञानिकों को संत पापा फ्रांसिस ने आश्वासन दिया कि “कलासिया इस तरह के शोध के प्रति चौकस है और इसे बढ़ावा देती है, क्योंकि यह हमारे समय के पुरुषों और महिलाओं की संवेदनशीलता और बुद्धि को चुनौती प्रदान करती है।”

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ब्रह्मांड की शुरुआत, इसका सम्पूर्ण विकास और अंतरिक्ष तथा समय की गहन संरचना "मनुष्यों को एक अर्थ की खोज हेतु अतुर करती है, जहां वे खुद को खोने की जोखिम में पड़ जाते हैं।” संत पापा ने कहा कि भजनों के माध्यम और अन्य बातों से  यह स्पष्ट हो जाता है कि ये धर्मशास्त्र,  दर्शनशास्त्र, विज्ञान और आध्यात्मिक जीवन के लिए विशेष अर्थ रखते हैं। 

इसका एक उदाहरण, वास्तव में, स्वयं जॉर्ज लेमेत्रे थे। वे “एक अनुकरणीय पुरोहित और वैज्ञानिक" थे, जिनका "मानवीय और आध्यात्मिक जीवन यात्रा हमारे लिए एक आदर्श स्वरुप है, जिससे हम सभी सीख सकते हैं।" उन्होंने इस बात को समझा कि "विज्ञान और आस्था दो अलग-अलग चीजें हैं लेकिन वे समानांतर रास्तों पर चलती हैं, जिनके बीच कोई संघर्ष नहीं है।”

संत पापा ने कहा कि ये दोनों राहें एक-दूसरे के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं, क्योंकि एक विश्वासी के लिए विज्ञान और आस्था, दोनों में ईश्वर के पूर्ण सत्य के ताने-बाने हैं।

संत पापा ने वैज्ञानिकों को अपने संबोधन के अंत में इस बात के लिए आमंत्रित किया कि वे तर्क-विर्तक के मुद्दों वफादार और विनम्रता बने रहते हुए अपनी तुलना जारी रखें। "स्वतंत्रता और कंडीशनिंग की कमी, जिसका अनुभव आप इस सम्मेलन में कर रहे हैं,  आपको सत्य की ओर बढ़ने में मदद करेगा, जो निश्चित रूप से ईश्वर के उपहार का परिणाम है।" उन्होंने कहा, “आस्था और विज्ञान को सेवा में एकजुट किया जा सकता है यदि विज्ञान को मानवता की सेवा में इसका उपयोग किया जाये,  हम इसका उपयोग विनाश या विकृत हेतु न करें।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 June 2024, 16:46