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ख़तरनाक यात्राओं का जोखिम उठाकर इटली पहुँचे आप्रवासियों के संग सन्त पापा फ्राँसिस (फाइल तस्वीर) ख़तरनाक यात्राओं का जोखिम उठाकर इटली पहुँचे आप्रवासियों के संग सन्त पापा फ्राँसिस (फाइल तस्वीर)  (ANSA)

इब्राहीमः सन्त पापा ने मेरे घावों को सहलाया

वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक प्रासाद में सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात कर लेने के उपरान्त सेनेगल के आप्रवासी इब्राहीम लो ने पत्रकारों को अपनी आपबीती सुनाई तथा कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने उनके घावों को सहलाया और उन सब के लिये प्रार्थना की जो मुक्ति की आशा करते हैं।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 5 जुलाई 2024 (वाटिकन न्यूज़): वाटिकन स्थित सन्त मर्था प्रेरितिक प्रासाद में सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात कर लेने के उपरान्त सेनेगल के आप्रवासी इब्राहीम लो ने पत्रकारों को अपनी आपबीती सुनाई तथा कहा कि सन्त पापा फ्राँसिस ने उनके घावों को सहलाया और उन सब के लिये प्रार्थना की जो मुक्ति की आशा करते हैं।

सन्त पापा के साथ मुलाकात को याद करते हुए इब्राहीम ने लीबिया की जेलों में सही गई यातना की अपनी कहानी सुनाई और "उन लोगों को आवाज देने हेतु जो सफल नहीं हो सके" शीर्षक से लिखी अपनी पुस्तक  सन्त पापा को अर्पित की।

प्रार्थना का आश्वासन

इब्राहीम ने बताया कि सन्त पापा ने उनके घावों को सहलाया, अपनी आँखें बन्द की और वे द्रवित हो उठे तथा उन लोगों के लिये प्रार्थना करने लगे जो समुद्र के तल में खो गये हैं। उन पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए उन्होंने प्रार्थना की जो अभी भी लीबिया के नज़रबन्दी शिविरों में बंद हैं, उन लोगों के लिए जो सुरक्षित स्थान की तलाश में सहारा रेगिस्तान को पार कर रहे हैं, और फिर सन्त पापा ने तमाम विश्व के निर्धनों के लिए प्रार्थना की, विशेष रूप से, अफ्रीका के ग़रीबों के लिये जिनके पास पानी की एक बूंद पाने या भोजन की एक थाली पाने की संभावना नहीं है। फिर उन लोगों के लिये भी जो बम विस्फोटों के नीचे मर जाते हैं।

दो जुलाई को इब्राहीम लो ने गाम्बिया के इब्राहीम कुयातेह और उनके परिवार के लोगों के साथ सन्त पापा के दर्शन किये थे। 23 वर्षीय इब्राहीम लो ने 2017 में 16 साल की उम्र में यूरोप पहुँचने की तमन्ना लेकर अपनी मातृभूमि सेनेगल को छोड़ा था। इनके संग सेविन्ग हयूमन्स के संस्थापक लूका काज़ारीनी तथा आप्रवासियों की प्रेरिताई में लगे फादर मातिया फेर्रारी भी शामिल थे।  

मुलाकात

इब्राहीम कहते हैं, "जब उन्होंने मुझे बुलाया तो मैं बहुत प्रभावित हुआ क्योंकि सन्त पापा ख़ुद हमसे मिलना चाहते थे, मैं भावुक हो गया और उत्साहित भी - आम तौर पर आप उन्हें दूर से देखते हैं, कई लोगों से घिरे हुए, और इसके विपरीत, मैं एक कमरे में उनके साथ था और मेरा हाथ उन्हें छू सकता था। उन्होंने मुझसे कहा: 'इब्राहीम, मैंने तुम्हें देखा है, तुम कैसे हो, तुम कहाँ रहते हो?' मैंने उन्हें अपनी किताब भेंट की,  अपनी कहानी सुनाई, और पीड़ितों के लिये प्रार्थना का आग्रह किया और मेरे उस मित्र के लिये भी प्रार्थना का मैंने आग्रह किया जो मेरे साथ लीबिया की जेल में था किन्तु फुटबॉलर बनने के लिए इटली पहुंचने का सपना देखा करता था।" इब्राहीम ने कहा, "लेकिन दुर्भाग्यवश वह ऐसा नहीं कर सका, वह समुद्र में डूब गया। इब्राहीम कहते हैं कि सन्त पापा ने मुझे आश्वासन दिया के वे उसके लिये अवश्य प्रार्थना करेंगे। मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं इस्लाम धर्मानुयायी हूँ, लेकिन मैं स्काउट बन गया क्योंकि मैं भाईचारे में विश्वास करता हूं, तब सन्त पापा ने मुझसे कहा: "हम सभी भाई हैं और हम सभी ईश्वर की संतान हैं।" और उनके इन शब्दों ने मुझे बहुत प्रभावित किया।

घाव शक्ति के स्रोत

इब्राहीम इस समय वेनिस में रहते हैं तथा आप्रवासियों की कठिनाइयों से सम्बन्धित दो पुस्तकें लिख चुके हैं। अफ्रीका से यूरोप तक पहुँचते-पहुँचते आप्रवासियों को किन संकटों से गुज़रना पड़ता है, इस विषय में वे कहते हैं,  "शरीर में उत्पीड़न और यातनाओं के जो घाव बने हुए हैं वे तो समय के साथ ठीक हो जायेंगे किन्तु मनो-मस्तिष्क में और हृदय में जो घाव बने हुए हैं वे अब भी ताज़े हैं उसके लिये न तो कोई दवा है, न ही कोई चिकित्सक और न ही कोई अस्पताल, क्योंकि ये घाव वे बीमारियाँ हैं जो अनेककानेक इब्राहीम अपने ज़हन में, आजीवन अपने साथ ढोते हुए चलेंगे।"    

 

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05 July 2024, 12:05