दुनिया का सबसे पुराना तीर्थस्थल
वास्तव में, यहाँ एक प्राचीन लकड़ी की माता मरियम की तस्वीर के प्रति भक्ति की जाती है, मदोन्ना सालुस पोपुली रोमानी, अर्थात् रोम के लोगों की मुक्ति। भले ही परम्परा इसे संत लूकस के हाथों का श्रेय देती है, जिन्होंने अपने सुसमाचार को लिखते समय, येसु की माँ को अपने स्रोतों में शामिल किया था, सबसे हालिया अभिलेखों के अनुसार यह प्रतिमा नौवीं और ग्यारहवीं शताब्दी के बीच की है।
माता मरियम का चेहरा पवित्र है और उसकी निगाहें तीव्र लेकिन मधुर हैं। वे रोमवासियों की रक्षिका हैं। पोप चुने जाने के बाद पोप फ्राँसिस का दूसरे ही सबेरे यहाँ आना एक आश्चर्य की बात थी। वे हरेक प्रेरितिक यात्रा में जाने से पहले और वहाँ से वापस लौटने पर यहां आते हैं। वे उन्हें फूल, स्कार्प और उपहार भेंट करते हैं जो उन्हें दुनियाभर से तीर्थयात्रा के दौरान भेंट किये जाते हैं, और महामारी के बीच लॉकडाऊन के दौरान इस पवित्र तस्वीर को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में, ओर्विस प्रार्थना के लिए स्थापित किया था, जिसमें लाखों लोगों ने ऑनलाईन भाग लिया था।
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