संत पापाः ईश्वरीय सुगंध बनें
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।
आज हम पवित्र आत्मा पर चिंतन करते हैं जो यर्दन नदी में बपतिस्मा के समय येसु ख्रीस्त के ऊपर उतरते हैं, और उनके द्वारा सारी कलीसिया में फैल जाते हैं जो उनका शरीर है। संत मारकुस के सुसमाचार में हम येसु के बपतिस्मा के दृश्य को इस भांति चित्रित पाते हैं,“उन दिनों ईसा गलीलिया के नाजरेत से आये। उन्होंने यर्दन नदी में योहन से बपतिस्मा ग्रहण किया। वे पानी से निकल ही रहे थे कि उन्होंने स्वर्ग को खुलते और आत्मा को कपोत के रुप में अपने ऊपर आते देखा। और स्वर्ग से यह वाणी सुनाई दी, “तू मेरा प्रिय पुत्र है। मैं तुझ पर अत्यन्त प्रसन्न हूँ।”
महान रहस्य का उद्भेदन
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि यर्दन के तट में, उस घड़ी हम पवित्र तृत्वमय ईश्वर के मिलन को पाते हैं। पिता ईश्वर की उपस्थिति को हम उनकी वाणी स्वरुप पाते हैं, पवित्र आत्मा कपोत के रुप में उपस्थित हैं जो येसु पर उतरते हैं, वहीं हम येसु ख्रीस्त को देखते हैं जिन्हें पिता अपने प्रिय पुत्र के रुप में घोषित करते हैं। यह एक अति महत्वपूर्ण रहस्य का प्रकटीकरण है, और यह मुक्ति इतिहास का एक बहुत ही अहम क्षण है। सुसमाचार के इस पद को पुनः पढ़ना हमारे अच्छा होगा।
संत पापा ने कहा कि येसु के बपतिस्मा में वह कौन-सी ऐसी बात थी जो अति महत्वपूर्ण है जिसकी चर्चा सभी सुसमाचार लेखक करते हैंॽ हमें इसका उत्तर येसु ख्रीस्त के वचनों में मिलता है जिसे वे थोड़े समय बाद याहूदियों के प्रार्थनालय, नाजरेत के मंदिर में घोषित करते हैं जो स्पष्ट रुप से यर्दन की घटना की ओर इंगित कराता है,“ईश्वर का आत्मा मुझ पर छाया रहता है, क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है।”
येसु का अभिषेक
पिता ईश्वर ने अपने बेटे का “अभिषेक पवित्र आत्मा से किया”, अर्थात वे उन्हें राजा, नबी और पुरोहित के रुप में अभिषिक्त करते हैं। वास्तव में, प्राचीन विधान में राजाओं, नबियों और पुरोहितों का अभिषेक सुगंधित तेल से होता था। येसु ख्रीस्त के संबंध में, तेल की जगह हम आध्यात्मिक विलेपन पवित्र आत्मा को पाते हैं जो चिन्ह के बदले सच्चाई हैं। हम स्वयं पवित्र आत्मा को येसु के ऊपर उतरता पाते हैं।
येसु अपने देहधारण के शुरू से ही पवित्र आत्मा से पोषित हैं। यद्यपि इसे हम उनके लिए एक “व्यक्तिगत कृपा” स्वरुप में पाते हैं, जो वर्तमान स्थिति में अवर्णनीय है, वास्तव में, इस विलेपन के द्वारा वे अपनी प्रेरिताई के लिए अपने को पवित्र के वरदान से विभूषित पाते हैं, जिसे वे शीर्ष के रुप में अपने शरीर के संग, और हममें से प्रत्येक जन के संग साझा करते जो कि कलीसिया है। यही कारण है कि कलीसिया अपने में एक नया “उपहार”, नबी और पुरोहितिक प्रजा कहलाती है। ईब्रानी भाषा का शब्द “मसीह” और यूनानी भाषा में “ख्रीस्त” दोनों हमें येसु की ओर इंगित कराते हैं जिसका अर्थ है “अभियंजित”। वे खुशी रुपी तेल से, पवित्र आत्मा से विलेपित किये गये। “ख्रीस्तीय” होने का अर्थ जिसे कलीसिया के आचार्य शब्दिक रुप में व्याख्या करते हुए कहते हैं “ख्रीस्तानुकरण से विलेपित”, संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय होने का अर्थ है ख्रीस्त का अनुकरण वाले।
सुगंधित तेल का जिक्र
उन्होंने कहा कि धर्मग्रंथ बाईबल में एक स्तोत्र सुगंधित तेल की चर्चा करता है, जिससे प्रधानयाजक हारून के सिर में उड़ेला जाता है जो उसके परिधान के झबे तक बहता है। यहाँ हम एक काव्यात्मक चित्रण को पाते हैं जो हमारे भाई-बहनों के संग खुशी में जीवनयापन करने की स्थिति को व्यक्त करने हेतु किया गया है, जो हमारे लिए येसु ख्रीस्त और कलीसिया के संग आध्यात्मिक और रहस्यात्मक सच्चाई को पुष्ट करता है। ख्रीस्त हमारे सिर हैं, हमारे प्रधानयाजक, पवित्र आत्मा सुंग्धित तेल हैं और कलीसिया ख्रीस्त का शरीर जिसपर वह प्रवहित होती है।
ख्रीस्त की सुगंध बनना, मानवीय बुलाहट
संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हम धर्मग्रँथ में पवित्र आत्मा को वायु के रूप में चित्रित पाते हैं वास्तव में, यह नाम “रूह” से लिया गया है। हमारे लिए यह पूछना अर्थपूर्ण होता है कि क्यों इसकी निशानी तेल है, और हम इससे कौन-सा प्रयोगिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। पवित्र बृहस्पतिवार के दिन, तेल की आशीष जो “किज्मा” कहलाती है, धर्माध्यक्ष, उन लोगों का जिक्र करते हुए जो बपतिस्मा और दृढ़कारण संस्कार की दीक्षा प्राप्त करेंगे, कहते हैं: “वे जो इस तेल के पवित्र विलेपन से और अपने प्रथम जन्म के पाप की दाग से परिशुद्ध किये जाते हैं, निर्दोषिता की सुगंध से तेरी महिमा के मंदिर बनें जो तुझे प्रिय है।” संत पौलुस इसकी चर्चा कुरिंथियों के नाम अपने दूसरे पत्र में करते हैं, “हम सभी ईश्वर के लिए मसीह की सुगंध हैं।” संत पापा ने कहा कि अभियंजन हमें सुगंधित करता है, और एक व्यक्ति जो अपने अभियंजन को आनंद के साथ जीता है वह कलीसिया को सुगंधित करता है, समुदाय को सुगंधित करता है, इस आध्यात्मिक सुगंध से परिवार सुगंधित होता है।
सुगंध न कि दुर्गंध
दुर्भाग्यवश हम इस बात से भी वाकिफ हैं कि कभी-कभी ख्रीस्तीय ख्रीस्त की सुंगध को नहीं फैलाते बल्कि अपने पाप के कारण दुर्गंध बिखेरते हैं। उन्होंने कहा, “हम इस बात को कभी न भूलें, पाप हमें येसु से दूर करता है, हम बुरा तेल बनाता है। शैतान थैले के माध्यम हमारे जीवन में आता है, हम इससे सावधान रहें।” हम इस प्रतिबद्धता से विमुख न हों जिसके लिए हमें जीवन मिला है, और जितना संभव हो सके, हम अपने परिवेश को, दुनिया को ख्रीस्त की अच्छी सुगंध से भर दें। मसीह की सुगंध “आत्मा के फलों” से निकलती है, जहाँ हम “प्रेम, आनंद, शांति, उदारता, परोपकार, अच्छाई, विश्वासनीयता, नम्रता, आत्म-नियंत्रण” को पाते हैं। संत पौलुस कहते हैं कि उस व्यक्ति को पाना कितना सुन्दर है जिसमें ये सारे गुण मौजूद हैं- प्रेम, प्रेम से भरा व्यक्ति, एक खुशहाल व्यक्ति, एक व्यक्ति जो शांति स्थापित करता है, एक उदार हृदयी व्यक्ति न की कंजूस, हृदय से विशाल व्यक्ति, एक हितकारी जो हरएक का स्वागत करता है, एक अच्छा व्यक्ति। एक अच्छे व्यक्ति को पाना कितना सुन्दर है जो विश्वासीय है, नम्र है, जो घमंडी नहीं बल्कि नम्र है। अपने बगल में किसी एक ऐसे व्यक्ति को पाना हमारे महौल को सुगंधित बनाता है। हम पवित्र आत्मा से निवेदन करें कि वह हमें इस बात की अनुभूति दिलाये कि हम उनके द्वारा अभियंजित किये गये हैं।
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