पोप फ्राँसिस का चीनी पुरोहित के साथ साक्षात्कार
वाटिकन न्यूज
फादर पेद्रो चिया : नमस्ते, प्रिय संत पापा फ्राँसिस, आप कैसे हैं? (इस स्पानी वाक्य का अर्थ, “अभी आप कहाँ हैं?” भी होता है)
पोप फ्राँसिस : मैं बैठा हूँ।
फादर पेद्रो चिया : (हंसते हैं) बहुत अच्छा।
पोप फ्राँसिस : मैं ठीक हूँ।
फादर पेद्रो चिया : मेरा स्वागत करने और साक्षात्कार को स्वीकार करने के लिए धन्यवाद।
संत पापा, आप दुनियाभर से बहुत सारे अतिथियों का स्वागत करते हैं, और विभिन्न दलों को संदेश देते हैं तथा कई प्रेरितिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। मैं यह जानने के लिए बहुत उत्सुक हूँ कि आप कैसे हर दिन इतने कार्यों को कर पाते हैं?
पोप फ्राँसिस : यह कोई असाधारण बात नहीं है। जब आप व्यवस्थित जीवन जीते हैं, तब आप चीजों को कर सकते हैं। मैं सुबह में यहाँ (प्रेरितिक प्रासाद) में लोगों से मिलता हूँ। कभी-कभी दोपहर में वहाँ मिलता हूँ। विभाग के प्रमुखों से अच्छा संबंध बनाकर रखना है। विशेषकर, इसलिए क्योंकि वे सहयोगी हैं। और सबसे बढ़कर, एक चीज बहुत महत्वपूर्ण है, प्रतिनिधित्व सौंपने जानना। यह जानना कि कैसे प्रत्यायोजित करना है, क्योंकि यदि आप अकेले सब काम करना चाहेंगे, तो नहीं होगा। इसलिए काम सौंपने जानना है।
फादर पेद्रो: जी हाँ, सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है?
पोप फ्राँसिस : हाँ, महत्वपूर्ण है और सुनना एवं परामर्श करना तथा सब कुछ एक साथ करना, महत्वपूर्ण है।
फादर पेद्रो : आपके समय प्रबंधन का क्या राज है? क्योंकि हमारे पास बहुत समय नहीं होता। जी हाँ, आपका राज। सहयोग करना, है न?
पोप फ्राँसिस : हाँ, लेकिन मेरे पास कोई राज नहीं है। मैं केवल वही करता हूँ जो मुझे करना है, सभी के सहयोग से। उदाहरण के लिए, वहाँ (कुर्सियों की और इशारा करते हुए) पुर्तगाली धर्माध्यक्षों से मुलाकात करने के लिए कुर्सियाँ सजी हुई हैं। सब कुछ एक साथ मिलकर काम करना है, सुनना है।
फादर पेद्रो : आप तनाव से कैसे निपटते है? उदाहरण के लिए, कलीसिया के अंदर की समस्याओं से, आलोचनाओं और दूसरों के विरोध से? उनका कैसे सामना करते हैं?
पोप फ्राँसिस : आलोचनाएँ हमेशा मदद करती हैं, भले ही ये रचनात्मक न हों, ये हमेशा मदद करती हैं क्योंकि ये आपको अपने काम के तरीके पर विचार करने पर मजबूर करती हैं। इसलिए परामर्श लें, सुनें। और मैं प्रतिरोध का सामना कैसे करता हूँ। आप अच्छी तरह जानते हैं कि आपको सहने के लिए इंतजार करना पड़ता है और कई बार खुद को सुधारना पड़ता है क्योंकि प्रतिरोध के पीछे एक अच्छी आलोचना हो सकती है और कभी-कभी दर्द के साथ भी क्योंकि प्रतिरोध जैसा कि इस समय हो रहा है, केवल मेरे खिलाफ नहीं है, बल्कि कलीसिया के खिलाफ है, उदाहरण के लिए, कुछ लोगों का एक समूह है जो केवल पीयुस 12वें तक को पहचानते हैं, उनके बाद के पोप को नहीं। ऐसे बहुत कम लोग हैं, मुझे नहीं पता लेकिन एक स्पेनिश पत्रिका में करीब 22 समूहों की एक सूची दिखाई गई, जो संत पेत्रुस के धर्मासन को रिक्त मानते हैं। लेकिन वे छोटे दल हैं। और मैं मानता हूँ कि समय के साथ वे एकीकृत (कलीसिया के साथ) होने जा रहे हैं।
फादर पेद्रो : क्या आप अपने परमाध्यक्षीय काल में उस सांत्वना के अनुभव को साझा करेंगे जिसको आप कभी नहीं भूल सकते?
पोप फ्राँसिस : हाँ, अनेक हैं, बहुत सारे हैं। और ईश्वर सांत्वना के द्वारा अपनी उपस्थिति दिखाते हैं। बहुत बार, कठिन परिस्थिति में भी। ईश्वर उसका समाधान करते हैं। यह खूबसूरत है, जिसको ईश्वर करते हैं। (सांत्वना के) कई अनुभव हैं।
फादर पेद्रो : लेकिन क्या एक को चुनना संभव है?
पोप फ्राँसिस : जी नहीं, यहाँ तक कि कठिन एवं अकेलेपन के समय भी, बाद में अच्छी तरह हल हो जाते हैं। यही सांत्वना है।
फादर पेद्रो : आपके परमाध्यक्षीय काल में सबसे बड़ी चुनौती क्या रही है? और आपने इसका सामना कैसे किया है?
पोप फ्राँसिस : कड़ी चुनौतियाँ रही हैं उदाहरण के लिए, महामारी, यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी, और वर्तमान में युद्ध की चुनौतियाँ। यूक्रेन में युद्ध, म्यांमार में युद्ध, फिलिस्तीन में युद्ध। मैंने उन्हें हमेशा बातचीत से हल करने की कोशिश की है। और जब यह काम नहीं करता है, तब धैर्य से हमेशा हास्य की भावना के साथ कोशिश करता हूँ। मुझे संत थॉमस मोर की प्रार्थना से बड़ी मदद मिलती है। मैं उनसे अधिक हास्य भाव बनाये रखने के लिए प्रार्थना करता हूँ। मैं चालीस से अधिक वर्षों से हर दिन यही प्रार्थना कर रहा हूँ कि प्रभु मुझे हास्य की भावना प्रदान करे।
फादर पेद्रो : हास्य की भावना कहने का मतलब?
पोप फ्राँसिस: यह जीने के लिए है यह महत्वपूर्ण है।
फादर पेद्रो: क्या आपने अपने एक येसु समाजी के रूप में धर्मसंघी जीवन के दौरान किसी संकट का अनुभव किया है?
पोप फ्राँसिस : निश्चय ही, अन्यथा मैं मनुष्य नहीं होता। संकटों को हमेशा दो चीजों से दूर किया जाना चाहिए पहला, आप संकट से उपर उठें भंवरजाल से ऊपर उठने की तरह। जिसमें चलते रहने से इसके अंत का पता नहीं चलता। आप ऊपर उठकर संकट से बाहर निकल सकते हैं। दूसरा, आप कभी अकेले बाहर न निकलें। आप मदद के द्वारा या साथ के द्वारा बाहर निकलें। दूसरों से मदद पाने के लिए अपने आपको खोलना बहुत महत्वपूर्ण है।
फादर पेद्रो: जी हाँ, मदद पाने के लिए अपने आपको खुला रखना चाहिए। यदि एक युवा आपको बतलाता है कि वह येसु समाजी बनना चाहता है, आप इस युवक को क्या सलाह देंगे?
पोप फ्राँसिस : उसे दोमनिकन बनने के लिए कहूँगा। (हंसते हैं...)
फादर पेद्रो : सचमुच?
पोप फ्राँसिस : नहीं, मैं कहूँगा कि कोई उसका साथ दे और वह आत्मपरख करे। हाँ, येसु समाज में एक चीज है जिसे हमें कभी नहीं खोना चाहिए, एक मिशनरी भावना। यह मिशनरी उत्सुक रहता है। यह रोचक है। कठिनाइयाँ और प्रतिरोध हैं, जिनको संत इग्नासियुस ने शुरू में अनुभव किया था। उन लोगों के साथ संघर्ष था जो अंदर देखते थे और मिशनरी भावना को खो दिया। यह रोचक है।
फादर पेद्रो : तो ऐसा बनने के लिए आप क्या कहेंगे? अधिक खुले रहें?
पोप फ्राँसिस: जी हाँ, मिशन के लिए बाहर निकलना, याद है जब मुझे अर्जेंटीना का प्रोविंशल नियुक्त किया गया था। मैं बहुत छोटा था। और वहाँ बंद रहने का संघर्ष था। मैं उसे “मठवासी बीमारी” कहता हूँ। प्रभु ने उन लोगों की मदद की जो मुझे सलाह दिये, कुछ लोगों को मिशन में अर्जेंटीना भेजने के लिए। इस तरह अर्जेंटीना मिशनरी टीम का गठन हुआ। और वह ताजी हवा लेकर आई। यह अनुठा था।
फादर पेद्रो : क्या आध्यात्मिक साधना का कोई खास पहलू है जो पोप के रूप में कार्य करते हुए अक्सर आपके दिल में होता है?
पोप फ्राँसिस : सब कुछ। यह परिस्थितियों पर निर्भर करता है, कभी-कभी एक चीज मुझे दूसरे से अधिक मदद करती है, लेकिन एक चीज जो मैं कोशिश करता हूँ वह है साथ की खोज करना। निर्णय लेने से पहले सुनना, किसी को अपने साथ रखना ताकि गलतियाँ न हों। आत्मपरख करना, आत्मपरख महत्वपूर्ण है।
(फादर पेद्रो से) थोड़ा पानी पी लीजिए।
फादर पेद्रो: ठीक है धन्यवाद। (पानी पाते हैं) वह कौन सी कृपा है जिसको आप अक्सर अपनी प्रार्थना में मांगते हैं।
पोप फ्राँसिस : क्षमा किये जाने की कृपा के लिए। “प्रभु मुझपर धीरज रखिये।”
फादर पेद्रो : अत्यन्त मानवीय! संत पापा, आपने अपनी रुचि व्यक्त की है और चीन में एक प्रेरितिक यात्रा करने की आपकी योजना है।
पोप फ्राँसिस : बिलकुल, मैं सचमुच जाना चाहता हूँ।
फादर पेद्रो : यदि आपका यह सपना सच हो गया तो आप, चीन में कौन सी जगह जाना पसंद करेंगे?
पोप फ्राँसिस: मैं शेशान की माता मरियम, ख्रीस्तीयों की सहायिका का दर्शन करना चाहूँगा।
फादर पेद्रो : जी हाँ, हम आज 24 मई को उनका पर्व मनाते हैं।
पोप फ्राँसिस : 24 मई माता मरियम का पर्व भी है, येसु समाज की मार्ग की माता मरियम का पर्व।
संत मार्था में मेरे कार्यालय के सामने मेरा शयनकक्ष है, वहाँ एक कमरा है जहाँ मैं लोगों से मिलता हूँ, मेरा अध्ययन कक्ष भी है वहाँ मैं शेशान की माता मरियम को रखा हूँ।
फादर पेद्रो: और आप चीन में किससे मिलना चाहेंगे?
पोप फ्राँसिस : निश्चय ही धर्माध्यक्षों से, और ईश प्रजा से। वे वफ़ादार हैं। उनके साथ बहुत सारी चीजें हुई लेकिन वे वफ़ादार बने हुए हैं।
फादर पेद्रो: और आप चीन के काथलिकों, विशेषकर, युवा काथलिकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
पोप फ्राँसिस : अभी मेरे मन में कोई खास विचार नहीं आ रहा है। लेकिन, आशा का संदेश, आप आशा के बारे में नहीं जानते, लेकिन मुझे ऐसे लोगों को आशा का संदेश देना तर्कसंगत लगता है, जो प्रतीक्षा करने में माहिर हैं, चीनी धैर्य रखने में माहिर हैं, अप्रत्याशित रूप से आपके पास आशा का वायरस है, यह बहुत सुंदर है।
फादर पेद्रो: धन्यवाद। और 50 वर्षों के बाद की काथलिक कलीसिया के लिए आपके क्या सपने हैं? हम कह सकते हैं भविष्य के लिए?
पोप फ्राँसिस : कुछ लोग कहते हैं कि यह छोटी होगी, सीमित कलीसिया होगी। मुझे लगता है कि कलीसिया को सावधान रहना चाहिए, याजकवाद की महामारी और आध्यात्मिक सांसारिकता के प्लेग में नहीं पड़ना चाहिए। आध्यात्मिक सांसारिकता जैसा कि फादर हेनरी दी लुबेक कहते हैं कि यह एक बड़ी बुराई है जो कलीसिया में पड़ सकती है। सांसारिकता उन संत पापाओं के समय से भी बदतर है जिनकी पत्नियाँ थीं।
फादर पेद्रो : आप अपने उत्तराधिकारी को क्या कहेंगे अर्थात् संत पेत्रुस के अगले उत्तराधिकारी को।
पोप फ्राँसिस: प्रार्थना करें, जी हाँ, महत्वपूर्ण है।
फादर पेद्रो : केवल यही शब्द? क्योंकि ईश्वर प्रार्थना में बोलते हैं।
फादर पेद्रो : पाँच साल पहले आपने समाज को मिशन दिया था चार विश्वव्यापी प्रेरितिक प्राथमिकताओं को अपनाने का मिशन, इन चार प्राथमिकताओं में से आप किस पहलू पर चीन प्रांत के जेसुइट्स से अधिक ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद करेंगे?
पोप फ्राँसिस : उनके बारे मुझे बताओ।
फादर पेद्रो : पहला, आध्यात्मिक साधना और आत्मपरख के माध्यम से ईश्वर का रास्ता दिखाना; दूसरा, गरीबों के साथ चलना एवं मेल-मिलाप और न्याय का मिशन; तीसरा, आशामय समाज के निर्माण के लिए युवाओं के साथ चलना; और चौथा, हमारे आमघर की देखभाल करना, ये चार प्रेरितिक प्राथमिकताएँ हैं।
पोप फ्राँसिस : ये चार एक साथ हैं, जी हाँ वे एकीकृत हैं। उदाहरण के लिए, पहला है आध्यात्मिक अभ्यास के द्वारा आत्मपरख जिसको, आत्मसात करना होगा, यानी चारों एकीकृत हैं, हम उन्हें अलग नहीं कर सकते। मेरे मन में ऐसा ही लगता है।
फादर पेद्रो : इस साक्षात्कार को समाप्त करने से पहले क्या आपके पास चीनी काथलिकों के लिए कोई विशेष संदेश है? दुनियाभर के चीनियों के लिए, क्योंकि आज बहुत सारे चीनी दूसरे स्थानों में रहते हैं।
पोप फ्राँसिस : और मैं अर्जेंटीना में चीनियों का मदद करता था। आप मार्को पोलो के नूडल्स के बाद से अब तक एक महान जनता की संतान हैं आप महान लोग हैं उस विरासत को बर्बाद न होने दें, धैर्यपूर्वक उस महान जनता की विरासत को आगे बढ़ाएँ, जो आपके पास है।
फादर पेद्रो : अंत में, कृपया आप हमें, सभी चीनी लोगों को अपना आशीर्वाद दें।
पोप फ्राँसिस : जरूर, खुशी से, शेशान की माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा, जिनका पर्व हम आज (24 मई) मना रहे हैं, उनके पर्व के दिन, चीन के सभी लोगों पर पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा का आशीर्वाद। आमेन।
फादर पेद्रो : आपके साक्षात्कार के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
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