तिमोर-लेस्ते के लोगों से पोप : आपका विश्वास ही आपकी संस्कृति बने
वाटिकन न्यूज
तिमोर लेस्ते, सोमवार, 9 सितंबर 2024 (रेई) : एशिया और ओशिनिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के तीसरे पड़ाव पर, संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को तिमोर लेस्ते के राष्ट्रपति भवन में, वहाँ के सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों एवं नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। पोप ने तिमोर लेस्ते के लोगों को आमंत्रित किया कि वे अपने सिद्धांतों, परियोजनाओं और चयन को अपने विश्वास से प्रेरित होने दें।
उन्होंने उन्हें सम्बोधित कर कहा, “मैं तिमोर-लेस्ते के इस खूबसूरत देश में आपके हार्दिक और हर्षोल्लासपूर्ण स्वागत के लिए धन्यवाद देता हूँ।”
इस जगह पर एशिया और ओशिनिया एक दूसरे का स्पर्श करते हैं। एक निश्चित अर्थ में, वे यूरोप से भी मिलते हैं, जो भौगोलिक दृष्टि से दूर होने के बावजूद पिछली पांच शताब्दियों में इस क्षेत्र में अपनी भूमिका के कारण करीब है। दरअसल, सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगाल से पहले डोमिनिकन मिशनरी यहाँ आए थे, जो अपने साथ काथलिक धर्म और पुर्तगाली भाषा लेकर आए।
शांति और स्वतंत्रता का नया सवेरा
ख्रीस्तीय धर्म, जिसका जन्म एशिया में हुआ, यूरोपीय मिशनरियों के माध्यम से महाद्वीप के इन सुदूर क्षेत्रों में पहुंचा, तथा इसने अपने सार्वभौमिक आह्वान और यहाँ तक कि सबसे विविध संस्कृतियों के साथ सामंजस्य स्थापित करने की अपनी क्षमता का प्रमाण दिया, जो सुसमाचार के संपर्क में आने पर एक नया मेल पाया।
पहाड़ों, जंगलों और मैदानों से सजी, फलों और बढ़िया एवं सुगंधित लकड़ी से भरपूर यह भूमि, आत्मा में शांति और आनंद की भावनाएँ जगाती है, लेकिन यह भूमि हाल के दिनों में एक दर्दनाक दौर से गुजरी है। इसने उथल-पुथल और हिंसा का अनुभव किया है, जो अक्सर तब होता है जब लोग पूर्ण स्वतंत्रता की ओर देखते लेकिन स्वायत्तता की उनकी खोज को नकार दिया जाता है या विफल कर दिया जाता है।
28 नवंबर 1975 से लेकर 20 मई 2002 तक, यानी स्वतंत्रता की घोषणा से लेकर इसे निश्चित रूप से बहाल किए जाने तक, तिमोर-लेस्ते ने अपनी सबसे बड़ी पीड़ा और परीक्षा को सहन किया। फिर भी, देश पुनः उठने में सक्षम रहा है, शांति का मार्ग खोज रहा है और विकास के एक नए चरण की शुरुआत कर रहा है, बेहतर जीवन स्थितियों और इस भूमि एवं इसके प्राकृतिक और मानव संसाधनों की, अदूषित भव्यता के सभी स्तरों पर सराहना कर रहा है।
हम प्रभु को धन्यवाद देते हैं, क्योंकि आपने अपने इतिहास के ऐसे नाटकीय दौर से गुजरते हुए कभी आशा नहीं खोई, और अंधकारमय एवं कठिन दिनों के बाद, अंततः शांति और स्वतंत्रता का नया सवेरा हुआ।
संत पापा ने कहा, काथलिक धर्म में आपकी दृढ़ता ने इन महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत मदद की है। संत जॉन पॉल द्वितीय ने आपके देश की प्रेरितिक यात्रा के दौरान इस पर जोर दिया था। ताची-टोलू में अपने प्रवचन में, उन्होंने याद दिलाया था कि तिमोर-लेस्ते के काथलिकों की “एक परंपरा है जिसमें पारिवारिक जीवन, शिक्षा और सामाजिक रीति-रिवाज सुसमाचार में गहराई से निहित हैं”, एक ऐसी परंपरा “जो धन्यताओं की शिक्षा और भावना से ओतप्रोत है,” “ईश्वर पर विनम्र भरोसा, दया, क्षमा, और, जब आवश्यक हो, परीक्षण के समय धैर्यपूर्वक पीड़ित होना।” (12 अक्टूबर 1989)
नयी चुनौतियाँ
इस संबंध में, मैं विशेष रूप से इंडोनेशिया में अपने भाइयों और बहनों के साथ पूर्ण सामंजस्य स्थापित करने के लिए आपके अथक प्रयासों को याद करना और उनकी सराहना करना चाहता हूँ, एक ऐसा दृष्टिकोण जिसका पहला और शुद्धतम स्रोत सुसमाचार की शिक्षाओं में निहित है। आप कष्टों के बीच भी आशा में दृढ़ रहकर, अपने लोगों के विश्वास के कारण दुःख को खुशी में बदल दिया! प्रभु करे कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अन्य संघर्षों में भी शांति और स्मृति के शुद्धिकरण की इच्छा प्रबल हो, ताकि घावों पर पट्टी बांधा जा सके और घृणा को मेल-मिलाप और विरोध को सहयोग से बदला जा सके!
संत पापा ने कहा, एक और सराहनीय घटना तब हुई जब देश की स्वतंत्रता की बीसवीं वर्षगांठ पर, आपने मानव बंधुत्व पर घोषणा को एक राष्ट्रीय दस्तावेज के रूप में शामिल किया, जिस पर मैंने अबू धाबी में अल-अजहर के ग्रैंड इमाम के साथ मिलकर हस्ताक्षर किए थे। आपने ऐसा इसलिए किया है ताकि - जैसा कि घोषणा में कहा गया है - इसे अपनाया जा सके और स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जा सके। निश्चय ही, शैक्षिक प्रक्रिया मौलिक है।
साथ ही, मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप अपने गणराज्य की संस्थाओं की विवेकपूर्ण स्थापना और सुदृढ़ीकरण में नए विश्वास के साथ आगे बढ़ें, ताकि नागरिकों को यह महसूस हो सके कि उनका सही प्रतिनिधित्व हो रहा है और संस्थाएँ तिमोर-लेस्ते के लोगों की सेवा करने के लिए समुचित रूप से सुसज्जित हैं।
अब, आपके सामने एक नया क्षितिज खुल गया है, जो काले बादलों से मुक्त है, लेकिन सामना करने के लिए नई चुनौतियाँ और हल करने के लिए नई समस्याएँ हैं। इसलिए संत पापा ने कहा, “विश्वास, जिसने आपको अतीत में प्रबुद्ध बनाए रखा और आपके वर्तमान एवं भविष्य को प्रेरित कर रहा है : सुसमाचार के अनुरूप सिद्धांतों, परियोजनाओं और चयन को प्रेरित करे।
संत पापा ने वर्तमान के प्रमुख मुद्दों पर गौर करते हुए कहा, “मैं आप्रवासन की घटना के बारे में सोचता हूँ, जो सदैव संसाधनों के अपर्याप्त मूल्यांकन का संकेत है; साथ ही सभी को उचित वेतनवाली नौकरी उपलब्ध कराने में कठिनाई का भी संकेत है, जो परिवारों को उनकी बुनियादी आवश्यकताओं के अनुरूप आय की गारंटी दे सके।
मैं अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद गरीबी के बारे भी सोचता हूँ, तथा इसके समाधान के लिए नेताओं तथा बहुपक्षीय प्रयासों की सामूहिक तथा व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता पर भी चिंतन करता हूँ।
इसके अलावा, मैं उन सामाजिक संकटों के बारे भी सोचता हूँ जिन्हें सामाजिक विपत्ति माना जा सकता है, जैसे कि शराब का अत्यधिक सेवन और युवाओं द्वारा गिरोह बनाना। गिरोह के सदस्यों को मार्शल आर्ट में प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन इस ज्ञान का उपयोग असहाय लोगों की सेवा में करने के बजाय, वे इसे हिंसा की क्षणभंगुर और हानिकारक शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए करते हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इसके द्वारा इन बच्चों और किशोरों की गरिमा का हनन हो रहा है। जवाब में, हम सभी को हर तरह के दुर्व्यवहार को रोकने और सभी युवाओं के लिए एक स्वस्थ और शांतिपूर्ण बचपन की गारंटी देने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
शिक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव
इन समस्याओं को हल करने और देश के प्राकृतिक संसाधनों - मुख्य रूप से तेल और गैस भंडार, जो विकास के लिए अभूतपूर्व संभावनाएं प्रदान कर सकते हैं - का बेहतर प्रबंधन प्राप्त करने के लिए, उन लोगों को उचित रूप से तैयार करना और उचित प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है, जो निकट भविष्य में देश के नेता बनेंगे। तब उनके पास आम भलाई पर विशेष रूप से केंद्रित एक दूरगामी योजना विकसित करने हेतु सभी आवश्यक उपकरण होंगे।
देश के अधिकारियों के सामने कलीसिया के धर्मसिद्धांत को रखते हुए संत पापा ने कहा, “कलीसिया अपने सामाजिक सिद्धांत को ऐसी रचनात्मक प्रक्रिया के लिए आधार के रूप में प्रस्तुत करती है। यह एक अपरिहार्य और भरोसामंद स्तंभ है जिस पर विभिन्न दृष्टिकोणों का निर्माण किया जा सकता है और यह सत्यापित किया जा सकता है कि क्या वे वास्तव में समग्र विकास का पक्ष लेते हैं या इसके बजाय बाधा उत्पन्न करते, अस्वीकार्य असमानताएँ लाते और बड़ी संख्या में लोगों को त्याग दिया जाता है या हाशिये पर छोड़ दिया जाता है।” हालांकि, समस्याओं की कमी नहीं है मैं आपको आश्वस्त रहने और भविष्य की ओर आशा भरी नजर रखने के लिए आमंत्रित करता हूँ।
उन्होंने कहा, “आप युवा लोग हैं। मैं आपकी संस्कृति और इतिहास की बात नहीं कर रहा हूँ, जो काफी पुरानी हैं, बल्कि इस तथ्य की बात कर रहा हूँ कि तिमोर-लेस्ते की लगभग 65 प्रतिशत लोग तीस वर्ष से कम आयु के हैं। यह आँकड़ा हमें बताता है कि आपको सबसे पहले शिक्षा में, परिवार में और स्कूलों में निवेश करना चाहिए: ऐसी शिक्षा प्राप्त करने के लिए जो बच्चों और युवाओं को केंद्र में रखती है और उनकी गरिमा को बढ़ावा देती है।”
युवाओं में जो उत्साह, ताज़गी, दूरदर्शी दृष्टिकोण, साहस और संसाधनशीलता होती है, वह बुजुर्गों के अनुभव और ज्ञान के साथ मिलकर ज्ञान का एक शुभ मिश्रण बनाती है और भविष्य की ओर एक महान प्रेरणा देती है। यह उत्साह और ज्ञान के साथ एक महान संसाधन है और निष्क्रियता, एवं निराशावाद को जगह नहीं देती।
आशा के कारण
कलीसिया की विशेषता बतलाते हुए संत पापा ने कहा, “काथलिक कलीसिया, उसका सामाजिक सिद्धांत, जरूरतमंदों को सहायता और दान देनेवाली संस्थाएँ, तथा शैक्षणिक और स्वास्थ्य सेवा संस्थाएँ, सभी लोगों की सेवा में हैं और एक मूल्यवान संसाधन भी हैं, जो सभी लोगों को भविष्य को आत्मविश्वास और आशा के साथ देखने हेतु मदद करती है।” इस संबंध में, इस तथ्य को मान्यता दी जानी चाहिए कि आम भलाई के लिए कलीसिया की प्रतिबद्धता राज्य के सहयोग और समर्थन पर निर्भर हो सकती है, जो कि परमधर्मपीठ और तिमोर-लेस्ते के बीच विकसित हुए सौहार्दपूर्ण संबंधों के ढांचे के भीतर है, और दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते में परिलक्षित होता है जो 3 मार्च 2016 को लागू हुआ है।
तिमोर-लेस्ते, जो धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ बड़े संकट के समय का सामना करने में सक्षम रहा है, आज एक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक देश के रूप में पनप रहा है, जो एकजुटता और भाईचारे का समाज बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध विकसित कर रहा है। आपके अतीत और अब तक की उपलब्धियों को देखते हुए, यह विश्वास किया जा सकता है कि आपका राष्ट्र भी आज की कठिनाइयों और समस्याओं का बुद्धिमानी और रचनात्मक तरीके से सामना करने में सक्षम होगा।
संत पापा ने अपने संदेश का समापन करते हुए कहा, “मैं तिमोर-लेस्ते और इसके सभी लोगों को निष्कलंक गर्भागमन की सुरक्षा में सौंपता हूँ। वे आपका साथ दे और एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और एकजुट देश बनाने के आपके मिशन में हमेशा आपकी मदद करें जहाँ कोई भी खुद को अलग-थलग महसूस न करे और हर कोई शांति और सम्मान के साथ रह सके। ईश्वर तिमोर-लेस्ते को आशीष प्रदान करे!”
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