इंडोनेशिया का हृदय बहुफलक 'विविधता में एकता का प्रतीक'
मार्क सालुड्स, लिकास न्यूज
स्कोलास ऑकुरेंतेस ने सोमवार को जकार्ता में एक प्रेस ब्रीफिंग आयोजित किया, जिसमें 4 सितंबर को पोप फ्राँसिस की प्रेरितिक यात्रा के बारे में बताया गया, जब वे 'हाती इंडोनेशिया' या इंडोनेशिया का हृदय नामक बहुफलक परियोजना में अंतिम अंश जोड़कर एक सामूहिक कलाकृति में भाग लेंगे।
प्रेस ब्रीफिंग में, परमधर्मपीठीय फाउंडेशन ने पॉलीहेड्रॉन परियोजना का अनावरण किया, जिसके बारे में दल ने कहा कि यह “इंडोनेशिया की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता की समृद्धि” का प्रतीक है।
‘हाती इंडोनेशिया’ के प्रभारी वास्तुकार मार्शेलू रफी ने कहा कि बहुफलक में कई त्रिकोण हैं जो एक दूसरे से “अद्वितीय” और “अलग” हैं।
उन्होंने कहा, "और इसे 1,500 से ज़्यादा लोगों ने मिलकर बनाया है। इसमें अलग-अलग पृष्ठभूमि, सामाजिक-आर्थिक और धर्मों के अलग-अलग समुदाय शामिल हैं।"
रफी ने आगे बताया कि बहुफलक हृदय के आकार का है क्योंकि यह अलग-अलग "जातियों, धर्मों और पृष्ठभूमियों" का प्रतिनिधित्व करता है जो "एकल" इकाई बनाने के लिए एकजुट और जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा, "अगर बाहर से देखा जाए, तो आकार अधिक रंगीन है। यह हमारी विविधता का प्रतीक है, जो रंगों से भरा है। लेकिन अगर हम और गहराई से देखें, तो यह अधिक सफेद है, और चित्र को शब्दों में अधिक दर्शाया गया है... लोगों को हृदय के शब्दों द्वारा दर्शाया गया है।"
4 सितम्बर को पोप फ्राँसिस स्कोलस ऑकुरेन्तेस के युवाओं से मिलेंगे तथा हृदय आकार के बहुफलक में प्रवेश करेंगे।
रफी ने कहा, “वे वहाँ लिखनेवाले विभिन्न युवाओं के शब्दों के साथ एकजुट होने के लिए एक पत्र, दो शब्द भी देंगे। इसलिए स्थिति समान होगी और यह हमारे लिए एक आशीर्वाद होगा।"
'हाती इंडोनेशिया' के प्रोजेक्ट मैनेजर पाब्लो पाल्मेरो ने कहा कि बहुफलक का बाहरी हिस्सा अद्वितीय कलाकृति के 187 टुकड़ों से बना है जिसमें पुनर्नवीनीकरण सामग्री, प्राकृतिक तत्व और कपड़े शामिल हैं।
पाल्मेरो ने कहा, "यह वास्तव में चुनौतीपूर्ण था क्योंकि, उसी समय जब वास्तुकार की टीम संरचना का निर्माण कर रही थी, बाकी टीम त्रिकोण के टुकड़ों को विभिन्न समुदायों में ला रही थी।"
स्कोलास ऑकुरेन्तेस, पोप फ्राँसिस द्वारा 2013 में स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन है, जो कला, खेल और प्रौद्योगिकी के माध्यम से युवाओं को "मुलाकात की संस्कृति" में शिक्षित करने के लिए 190 से अधिक देशों में काम करता है।
यह संगठन युवाओं को अपने समुदायों में प्रमुख मुद्दों की पहचान करने और अभिनव समाधान विकसित करने में सक्षम बनाता है।
स्कोलास के वैश्विक अध्यक्ष जोस मारिया डेल कोरल ने कहा कि संगठन का जन्म "जॉर्ज बर्गोग्लियो के साथ 30 साल पहले हुआ था, जब वे पोप नहीं बने थे।"
उन्होंने कहा, "हम संकट के बीच में पैदा हुए हैं, जैसा कि पोप फ्राँसिस हमेशा कहते रहे हैं। हमारे देश में कई राजनीतिक और आर्थिक समस्याएँ थीं। हर कोई हर किसी के खिलाफ था।"
डेल कोरल ने कहा, "एक समृद्ध देश में लोग भूख से मर रहे थे और वे हर जगह भोजन की तलाश कर रहे थे। फादर जॉर्ज बर्गोग्लियो ने पहचाना कि देश में संकट एक शैक्षिक समस्या है।"
डेल कोरल ने कहा कि 19 दिसंबर, 2013 को पोप फ्राँसिस ने उनसे कहा था कि "शिक्षा समस्या" सिर्फ अर्जेंटीना की चिंता नहीं है, बल्कि "एक वैश्विक समस्या है।"
डेल कोरल ने जकार्ता में संवाददाताओं से कहा, "अगर हम शिक्षा में बदलाव नहीं करेंगे, तो दुनिया नहीं बदलेगी।"
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